नई दिल्ली: दिप्रिंट को पता चला है कि निजी क्षेत्र से नौ संयुक्त सचिवों की सीधी भर्ती के बाद नरेंद्र मोदी सरकार अब लेटरल एंट्री प्रक्रिया के तहत निदेशक और उप-सचिव स्तर पर 400 नई भर्तियां करने की योजना बना रही है.
कार्मिक व प्रशिक्षण विभाग के सूत्रों ने बताया कि सरकार इन सब स्तरों पर अधिकारियों की भारी कमी की समस्या से जूझ रही है और लेटरल एंट्री के ज़रिए भर्ती करने से दोहरा फायदा होगा- एक तो रिक्त पद भर जाएंगे दूसरे सरकार के अंदर क्षमता और विशेषज्ञता भी बढ़ जाएगी.
लेकिन अभी ये पूरी तरह तय नहीं किया गया है कि ये लेटरल भर्तियां कितने समय में होंगी और इनके लिए विज्ञापन कब जारी किए जाएंगे.
दिप्रिंट ने अधिकारिक टिप्पणी के लिए डीओपीटी प्रवक्ता शंभू चौधऱी से कॉल्स और टेक्स्ट मैसेज के ज़रिए संपर्क साधने की कोशिश की. लेकिन इस रिपोर्ट के पब्लिश होने तक उनका जवाब नहीं मिला.
भारी संख्या में रिक्त पद, भरने के कई प्रयास
सरकार में निदेशक और उप-सचिव स्तर के क़रीब 1,300 पद हैं. जिनमें तक़रीबन आधे अखिल भारतीय सेवाओं (एआईएस)- भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय पुलिस सेवा और भारतीय वन सेवा और दूसरी केंद्रीय सिविल सर्विसेज़- जैसे राजस्व (इनकम टैक्स व कस्टम्स), रेलवेज़, टेलिकॉम, पोस्ट्स, ट्रेड वग़ैरह- से लिए जाते हैं. सूत्रों ने बताया कि इन्हीं पदों के लिए निजी क्षेत्र के व्यक्तियों की भर्ती किए जाने की उम्मीद है.
बाक़ी 650 पद उन ऑफिसर्स के लिए आरक्षित हैं, जो केंद्रीय सचिवालय सेवा से पदोन्नत किए जाते हैं.
नाम न बताने का अनुरोध करते हुए एक अधिकारी ने कहा, ‘इन पदों पर भारी संख्या में रिक्त पद हैं और राज्यों से अधिकारियों को सेंट्रल डेपुटेशन पर बुलाने के केंद्र सरकार के प्रयासों के बाद भी ज़्यादा ऑफिसर्स आ नहीं रहे हैं. ये सुनिश्चित करने के लिए कि रिक्त पदों की वजह से शासन का काम प्रभावित न हो सरकार निजी क्षेत्र से टेलंट भर्ती पर ग़ौर कर रही है.’
सरकार बार-बार इन पोज़ीशंस पर रिक्तियों का मुद्दा उठाती रही है. पिछले हफ्ते उसने एम्पैनलमेंट पॉलिसी में भी बदलाव किया. ये सुनिश्चित करने के लिए कि केवल वही अधिकारी केंद्र में संयुक्त सचिव बन सकते हैं, जो केंद्र में निदेशक अथवा उप-सचिव स्तर पर दो साल काम कर चुके हों.
डीओपीटी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया था कि केंद्र सरकार में निदेशक और उप-सचिव स्तर पर ख़ाली पड़े पदों की समस्या सुलझाने के लिए ये फैसला लिया गया था.
पिछले साल, सरकार ने कहा था कि वो निदेशक और उप-सचिव स्तर के 40 पद लेटरल एंट्री के लिए खोलेगी, जिसके लिए संघ लोक सेवा आयोग द्वारा भर्तियां की जाएंगी.
जैसा कि दिप्रिंट ने इस महीने के शुरू में ख़बर दी थी. सरकारी थिंक-टैंक नीति आयोग ने भी निदेशक और उप-सचिव के स्तर पर 38 एक्सपर्ट्स की भर्ती करके निजी टेलंट को सरकार में शामिल करने के प्रयास को आगे बढ़ाया है.
सेंट्रल डेपुटेशन पर आने वाले अफसरों की घटती संख्या
इन 400 लेटरल एंट्री पदों के लिए सरकार ने अभी भर्ती के नियम तय नहीं किए हैं. लेकिन सेंट्रल स्टाफिंग स्कीम के तहत उप-सचिवों का कार्यकाल 4 साल और निदेशकों का कार्यकाल 5 साल का होता है.
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डीओपीटी नियमों के अनुसार, सीएसएस एक प्रावधान है जिससे भारत सरकार के मंत्रालयों/ विभागों में, उप-सचिव/निदेशक स्तर या उससे ऊंचे पद भरे जाते हैं.
नियमों में कहा गया है, ‘इसमें सभी राज्य सरकारों और ग्रुप-ए सेवाओं से अधिकारी लिए जाते हैं. हर साल कार्मिक व प्रशिक्षण विभाग का एस्टेंबलिशमेंट अधिकारी सभी राज्य सरकारों के मुख्य सचिवों और मंत्रालयों के सचिवों, जो भाग लेने वाले ग्रुप-ए सेवाओं के काडर कंट्रोलिंग अथॉरिटीज़ होते हैं, को एक सर्कुलर जारी करके सेंट्रल स्टाफिंग स्कीम के लिए उपयुक्त और इच्छुक अधिकारियों के नाम भेजने का अनुरोध करता है.’
लेकिन, जैसा कि दिप्रिंट ने ख़बर दी थी केंद्र सरकार के पुश के बावजूद, पिछले कुछ सालों में सीएसएस के अंतर्गत सेंट्रल डेपुटेशन पर आने वाले अफसरों की संख्या कम होती जा रही है.
सरकारी सूत्रों का कहना है कि आईएएस अफसर आमतौर पर केंद्र में लीडरशिप पोज़ीशंस पर आना पसंद करते हैं, जिसकी शुरूआत संयुक्त सचिव से होती है. उप-सचिव या निदेशक स्तर पर आने में उनकी दिलचस्पी कम होती है, क्योंकि इनमें कुछ ख़ास भत्ते और विशेषाधिकार नहीं होते.
पिछले वर्ष राज्यों को लिखे एक पत्र में केंद्र ने कहा था कि राज्य सेंट्रल डेपुटेशन सर्विस (सीडीआर) में निर्धारित संख्या के हिसाब से आईएएस अधिकारी नहीं भेज रहे हैं. सीडीआर में तय किया जाता है कि कितने अधिकारियों को भारत सरकार में डेपुटेशन पर भेजा जा सकता है.
अपने पत्र में डीओपीटी ने कहा ‘इस रिज़र्व के कम उपयोग से, ख़ासकर उप-सचिव/ निदेशक लेवल पर, काडर प्रबंधन में काफी गैप्स आ जाते हैं.’
आगे कहा गया कि, ‘जो काडर्स विभिन्न स्तरों पर सेंट्रल स्टाफिंग स्कीम के लिए पर्याप्त नामांकन नहीं भेज रहे हैं. उन्हें भविष्य में अतिरिक्त सीनियर ड्यूटी पदों में उसी अनुपात में कम संख्या से संतोष करना होगा. डीओपीटी सचिव द्वारा हाल ही में ली गई बैठकों में, सभी काडर-कंट्रोलिंग अथॉरिटीज़ को इन पहलुओं से अवगत करा दिया गया है.’
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