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Wednesday, 11 December, 2024
होमदेशहाशिये के लोगों के खिलाफ रहीं मोदी सरकार-2.0 की नीतियां, 'वादा न तोड़ो अभियान' की रिपोर्ट में आरोप

हाशिये के लोगों के खिलाफ रहीं मोदी सरकार-2.0 की नीतियां, ‘वादा न तोड़ो अभियान’ की रिपोर्ट में आरोप

सिटीजन समूह के 'वादा न तोड़ो अभियान' ने एनडीए-2 सरकार के एक साल पूरा होने पर वादे और हकीकत- 2020 के नाम से रिपोर्ट जारी की है.

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नई दिल्ली: नागरिक समाज संगठनों (CSOs) के वादा न तोड़ो अभियान (WNTA) ने मोदी सरकार-2.0 के एक साल के कार्यकाल पर रिपोर्ट जारी की है. ‘वादे और वास्तविकता 2020’ के नाम से जारी इस रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल की नीतियां हाशिए के लोगों के खिलाफ रहीं हैं.

रिपोर्ट दिखाती है कि कैसे सरकार के एसटी-एसटी के लिए बजट में कटौती, एनआरसी-सीएए, आर्टिकल 370 के खात्मे जैसे कदम गरीब, वंचितों और भेदभाव के शिकार लोगों के खिलाफ गए हैं.

भारत में गरीबी और सामाजिक बहिष्कार को समाप्त करने में प्रशासन की जवाबदेही बढ़ाने के लिए 2004 में शुरू किया गया वादा न तोड़ो अभियान (डब्ल्यूएनटीए) नागरिक समाज संगठनों (सीएसओ) की एक पहल है. यह अभियान राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं के लिए सरकार के प्रदर्शन की निगरानी करता है.

संगठन की वर्तमान रिपोर्ट ‘वादा और वास्तविकता 2020’ भारत के हाशिए के वर्गों के जीवन पर मई 2019- अप्रैल 2020 की अवधि के लिए सरकार की कुछ प्रमुख नीतियों और हस्तक्षेपों के असर की तहकीकात करती है.

ये कहती है रिपोर्ट

– 2019-20 के केंद्रीय बजट में जेंडर बजटिंग स्टेटमेंट (जीबीएस) के तहत कुल आवंटन में 5.29 फीसदी से 4.8 फीसदी की गिरावट का संकेत हैं.

-2019 के लोकसभा चुनावों में 542 में से 78 सीटें महिलाओं ने जीती थी. संसद और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण का एक महत्वपूर्ण वादे पर ज्यादा जोर नहीं दिया गया.

-भारतीय अर्थव्यवस्था 2018-19 के 6.1 प्रतिशत से घटकर 2019-20 में 4.2 प्रतिशत पर आ गई.

-2020-21 (बीई) बजट में एससी के लिए आवंटित 83,256.62 करोड़ और एसटी के लिए 53,652.86 करोड़ रुपये कुल बजटीय खर्च का महज 4.5 प्रतिशत है. जबकि, एससी और एसटी देश की कुल आबादी का 16 और 8 फीसदी हैं.

-अल्पसंख्यकों की कुल जनसंख्या का 21 प्रतिशत (2011 की जनगणना के अनुसार) होने के बावजूद, उनके लिए केंद्रीय बजट 2020-21 में न के बराबर 0.17 प्रतिशत खर्च निर्धारित किया गया है.

-भारत कुल शिशु मृत्यु का 69 प्रतिशत है (CRSA रिपोर्ट 2019) के साथ नवजात मृत्यु दर ऊंची बनी हुई है. हालांकि शिशु मृत्यु दर (IMR) के नीचे जाने के साथ वैश्विक स्तर पर अंडर-5 साल के बच्चों की मृत्यु दर (39 प्रति 1000 जीवित जन्म) तक पहुंची है.

-इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मीटिरोलॉजी के अनुसार ‘ग्लोबल क्लाइमेट रिस्क इंडेक्स (2020)’ के अनुसार भारत चरम जलवायु घटनाओं के मामले में पांचवां सबसे कमजोर देश है.

-भारत में COVID-19 के कारण ढेरों लॉकडाउन और बंदी से 32 करोड़ बच्चे प्रभावित हुए हैं.

-COVID-19 ने भारत में डिजिटल डिवाइड तेज किया है. केवल 15 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों की ही इंटरनेट सेवाओं और 4.4 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों की कंप्यूटर तक पहुंच है.

-आर्टिकल 370 का खात्मा, राम मंदिर मुद्दे का निपटारा, ट्रिपल तालक को क्रिमिनाइल करना और नागरिकता अधिनियम में संशोधन जैसे सभी कदम मुस्लिम समुदाय पर असर डाल रहे.

-स्वास्थ्य पर लंबे समय से खर्च सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 1 से 1.5 प्रतिशत है. COVID- 19 की वजह से इसे बढ़ाने और सब के लाभ के लिए निजी स्वास्थ्य क्षेत्र को शामिल करना अधिक जरूरी होता जा रहा है.

-देश भर में लगभग 63.67 मिलियन शहरी और ग्रामीण परिवारों के पास पर्याप्त आवास नहीं है.

-31 अगस्त 2019 को, असम सरकार ने नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर को प्रकाशित किया, जिसमें लगभग दो मिलियन को बाहर कर दिया गया, जिससे वे राज्यविहीनता की कगार पर पहुंच गए.

-अगस्त 2019 में, जम्मू-कश्मीर में सरकार ने अनुच्छेद 370 को रद्द कर दिया, सेना की तैनाती में वृद्धि, राज्य में संचार ब्लैकआउट जैसे नागरिक स्वतंत्रता पर एक क्षेत्र-व्यापी कठोर कदम उठाया गया.

-देश की शीर्ष एक प्रतिशत आबादी के पास राष्ट्रीय संपत्ति का 42.5 प्रतिशत धन है, जबकि नीचे का आधे लोगों के पास राष्ट्रीय धन का मात्र 2.8 प्रतिशत है.

-देश का 90 प्रतिशत कार्यबल ठेके और बुरी परिस्थितियों के साथ अंसगठित क्षेत्र की अर्थव्यवस्था में लगा हुआ है और यहां श्रम सुधार कानून लागू नहीं किया जा सकता.

-COVID-19 के बीच हुए माइग्रेसन में कम से कम 300 प्रवासियों की मौतें देखी गईं हैं.

-2019 में, बेरोजगारी दर पर एनएसएसओ का डेटा 6.1 प्रतिशत दर्ज किया गया, जो 45 वर्ष में उच्चतम है.

अमिताभ बेहर, डब्ल्यूएनटीए के पूर्व संयोजक कहते हैं कि एनडीए-2 सरकार के एक वर्ष की समीक्षा में, यह स्पष्ट है कि भारतीय संविधान के मूल सिद्धांतों, बहुलवाद, धर्मनिरपेक्षता, बंधुत्व से समझौता किया जा रहा है.

ऐसे काम करता है संगठन

संगठन यह सुनिश्चित करने के लिए काम करता है कि वंचित वर्गों की चिंताओं और आकांक्षाओं को केंद्र और राज्य सरकारों के कार्यक्रमों, नीतियों और विकास लक्ष्यों की मुख्यधारा में लाया जाय. इसके लिए, 2004 के बाद से, WNTA संवैधानिक फ्रेमवर्क, राष्ट्रीय विकास लक्ष्यों और संयुक्त राष्ट्र के मिलेनियम घोषणापत्र (2000)/2030 एजेंडा के सतत विकास लक्ष्यों के निर्धारित राष्ट्रीय विकास लक्ष्यों और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं के ढांचे पर हाशिए के वर्गों के प्रति सरकार के प्रदर्शन की समीक्षा और निगरानी करता है.

वादा न तोड़ो अभियान (डब्ल्यूएनटीए, WNTA) के संयोजक, एनी नामला कहते हैं, ‘नागरिकों की डब्ल्यूएनटीए की ‘वादे और वास्तविकता’ की इस रिपोर्ट में एनडीए-2 सरकार के 2019-2020 के एक साल के काम का निष्पक्षता के साथ वस्तुपरक मूल्यांकन का प्रयास किया गया है, जिसमें दिखाया है कि कैसे सरकार के फैसले देश के सबसे अधिक हाशिए पर रहने वाले और कमजोर लोगों को प्रभावित करते हैं.’

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