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Thursday, 21 November, 2024
होमदेशचुनावों के बीच OBC पर जस्टिस रोहिणी आयोग को 12वीं बार विस्तार देगी मोदी सरकार

चुनावों के बीच OBC पर जस्टिस रोहिणी आयोग को 12वीं बार विस्तार देगी मोदी सरकार

ओबीसी जातियों के उप-वर्गीकरण के लिए 2017 में सेवानिवृत्त जस्टिस जी. रोहिणी की अध्यक्षता में चार सदस्यीय आयोग गठित किया गया था. इसे मार्च 2018 तक अपनी रिपोर्ट देनी थी.

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नई दिल्ली: नरेंद्र मोदी सरकार अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के उप-वर्गीकरण और ओबीसी के लिए आरक्षित लाभ इन सभी उपवर्गों को समान रूप से मिलना सुनिश्चित करने के लिए 2017 में गठित जस्टिस रोहिणी आयोग को 12वां विस्तार देने की तैयारी में है. दिप्रिंट को मिली जानकारी में यह बात सामने आई है.

यह विस्तार ऐसे समय में किया जा रहा है जब अगले कुछ हफ्तों में उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, जिसमें जीत निर्धारित करने में पिछड़े वर्ग के मतदाताओं की भूमिका महत्वपूर्ण रहने वाली है.

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के अनुसार, ‘आयोग को अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए छह महीने का विस्तार दिया जाएगा.’

यह आयोग का 12वां विस्तार होगा जिसे मूलत: मार्च 2018 तक अपनी रिपोर्ट जमा करनी थी. आयोग को पिछली बार जुलाई 2021 में विस्तार दिया गया था.

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘रोहिणी आयोग ने मंत्रालय को सूचित किया है कि कोविड-19 महामारी के कारण उसका कार्य अभी पूरा नहीं हो पाया है, क्योंकि इसके लिए कई राज्यों के दौरे की आवश्यकता होती है. अब उन्हें अपना काम पूरा करने के लिए एक और विस्तार दिया जाएगा.’

चार सदस्यीय आयोग का नेतृत्व दिल्ली हाई कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश जस्टिस जी. रोहिणी (सेवानिवृत्त) करती हैं, जबकि अन्य सदस्यों में डॉ. जे.के. बजाज, निदेशक, नीति अध्ययन केंद्र, गौरी बसु, निदेशक, मानव विज्ञान सर्वेक्षण, कोलकाता (पदेन सदस्य) और विवेक जोशी, रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त (पदेन सदस्य) शामिल हैं.

आयोग का कार्य

सूत्रों के मुताबिक उत्तर प्रदेश में महत्वपूर्ण चुनाव से कुछ हफ्ते पहले आयोग को विस्तार मिलना तय है. गौरतलब है कि यूपी में ओबीसी की एक बड़ी आबादी रही है और किसी भी ओबीसी उप-वर्गीकरण या किसी को शामिल करने या हटाने से चुनाव पर इसका गहरा प्रभाव पड़ सकता है.

मार्च 2018 में तत्कालीन सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में कहा था कि आयोग को सौंपी गई जिम्मेदारियों में शामिल है, ‘केंद्रीय सूची में अन्य पिछड़ा वर्ग की व्यापक श्रेणी में शामिल जाति या समुदाय के बीच आरक्षण के लाभों के असमान वितरण के बारे में पता लगाना; वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाते हुए अन्य पिछड़े वर्ग के भीतर उप-वर्गीकरण के लिए मैकेनिज्म, मानदंड, मानक और पैरामीटर तय करना; अन्य पिछड़ा वर्ग की केंद्रीय सूची में शामिल जातियों या समुदायों या उप-जातियों या समान जातियों की पहचान करने और उन्हें उनकी संबंधित उप-श्रेणियों में वर्गीकृत करने की प्रक्रिया शुरू करना.’

प्रस्तावित विस्तार से ओबीसी के बीच उप-वर्गीकरण का बेहद अहम मसला कुछ महीनों के लिए टल जाएगा और पैनल अपनी रिपोर्ट यूपी, पंजाब और उत्तराखंड में विधानसभा चुनावों के कुछ समय बाद ही पेश कर पाएगा.

मौजूदा समय में सरकारी नौकरियों और केंद्र सरकार द्वारा वित्त पोषित शैक्षणिक संस्थानों में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण अलग से दिया गया है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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