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Thursday, 2 May, 2024
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सरकारी विभागों में IAS अधिकारियों की कमी से निपटने के लिए मोदी सरकार ने शुरू किया ट्रेनिंग प्रोग्राम

कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के आदेशों के अनुसार, पिछले 4 हफ्तों में सरकार द्वारा की गई 73 नियुक्तियों में से केवल 33 आईएएस अधिकारियों की थीं, बाकी 55 प्रतिशत नियुक्तियां गैर-आईएएस अधिकारियों की थीं.

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नई दिल्ली: नरेंद्र मोदी सरकार गैर-आईएएस अधिकारियों को संयुक्त सचिवों, निदेशकों और उप निदेशकों के पद पर प्रमोशन देने के लिए एक प्रशिक्षण योजना लाई है. दिप्रिंट को यह जानकारी मिली है.

सरकारी विभागों में आईएएस अधिकारियों की कमी के मसले से निपटने और गैर-आईएएस अधिकारियों को ट्रेनिंग देने लिए प्रधानमंत्री की ‘मिशन कर्मयोगी’ योजना के एक हिस्से के तौर पर इस स्कीम को तैयार किया गया है.

कार्मिक और ट्रेनिंग विभाग (डीओपीटी) के आदेशों के अनुसार, पिछले चार हफ्तों में केंद्र सरकार द्वारा की गई 73 नियुक्तियों में से केवल 33 आईएएस अधिकारियों की थीं, और 55 प्रतिशत से अधिक अपॉइंटमेंट्स गैर-आईएएस अधिकारियों के किए गए. 17 नवंबर और 14 दिसंबर के बीच केंद्र सरकार द्वारा नियुक्तियों के 17 आदेश जारी किए गए, जिसके बाद 73 अधिकारियों को नियुक्त किया गया.

यह नियुक्तियां वर्तमान में रेलवे, डाक, वन, राजस्व और रक्षा विभाग में की गई हैं, ट्रेनिंग के बाद, गैर-आईएएस अधिकारी भी मंत्रालयों में आईएएस अधिकारियों के लिए रिजर्व पदों पर आसीन होंगे. केंद्र सरकार ने उच्च शिक्षा, आयुष, आर्थिक मामलों और श्रम मंत्रालयों में भारतीय आयुध निर्माणी सेवा के अधिकारियों, पृथ्वी विज्ञान में भारतीय वन सेवा के अधिकारियों और नागरिक उड्डयन में भारतीय डाक सेवा के अधिकारियों को भी तैनात किया है.

केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम कर्मयोगी भारत के सीईओ अभिषेक सिंह ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा, ‘हम उन अधिकारियों के लिए ट्रेनिंग मॉड्यूल ला रहे हैं जो आईएएस कैडर से नहीं हैं, लेकिन अब उन्हें संयुक्त सचिव, निदेशक या उप-निदेशक के रूप में नियुक्त किया जा रहा है. पहला बैच लगभग 40 अधिकारियों के साथ शुरू हुआ, जो विभिन्न केंद्रीय सेवाओं से हैं और भारत सरकार के मंत्रालयों और विभागों में नियुक्त किए गए हैं.’

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उन्होंने कहा, ‘ट्रेनिंग मॉड्यूल में प्रशासनिक संरचना में कार्य प्रक्रियाएं शामिल हैं. यह वर्कलोड के प्रबंधन, फाइलों पर नोट्स लिखने, नीतियों का मसौदा तैयार करने और अन्य सचिवालय कार्यों के बारे में है.’

मिशन कर्मयोगी को 2020 में देश में क्षमता निर्माण और शासन में सुधार के उद्देश्य से एक ट्रेनिंग मॉड्यूल के रूप में पेश किया गया था. यह 22 नवंबर को एक रोज़गार मेले में मोदी द्वारा शुरू की गई नई भर्तियों के लिए प्रारंभ मॉड्यूल का एक हिस्सा भी है. इस कार्यक्रम में पीएम ने लगभग 71,000 नियुक्ति पत्र बांटे थे.

डीओपीटी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सरकार ने बाद में गैर-आईएएस अधिकारियों के लिए भी ट्रेनिंग स्कीम लाने और विशेष रूप से उनके लिए एक कोर्स जोड़ने का फैसला किया.


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नया पैटर्न

सरकार लंबे समय से आईएएस अधिकारियों की कमी का मुद्दा उठाती रही है.

दिप्रिंट को मिली डीओपीटी की 2021 की वार्षिक रिपोर्ट के आंकड़ों के अनुसार, ऑल इंडिया सर्विस (एआईएस) के नियमों के अनुसार, आईएएस अधिकारियों की प्रदान शक्ति का 22 प्रतिशत, कुल 6,709 अधिकारियों को केंद्र सरकार में प्रतिनियुक्त किया जाना है. हालांकि, वर्तमान में कुल स्वीकृत अधिकारियों में से केवल 6 प्रतिशत को केंद्र में प्रतिनियुक्त किया गया है.

डीओपीटी के लिए राज्य मंत्री (एमओएस) जितेंद्र सिंह ने बुधवार को संसद को बताया कि सीएसई-2022 से सीएसई-2030 के लिए सिविल सेवा परीक्षा (सीएसई) के माध्यम से हर साल आईएएस अधिकारियों के सीधे प्रवेश की सिफारिश करने के लिए एक समिति का गठन किया गया है.

आईएएस अधिकारियों की कमी को दूर करने के लिए सरकार ने अन्य केंद्रीय सेवाओं से गैर-आईएएस अधिकारियों को मंत्रालय में शामिल करना शुरू किया है.

उक्त डीओपीटी अधिकारी ने कहा, ‘सरकार के पास मंत्रालयों में गैर-आईएएस अधिकारियों को नियुक्त करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है, क्योंकि इसकी जरूरत है.’

उन्होंने कहा, ’22 केंद्रीय सेवाएं हैं और हम अपने पास उपलब्ध कैडर अधिकारियों का ज्यादा से ज्यादा उपयोग करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन हमने यह भी महसूस किया है कि अन्य सेवाओं से आने वाले अधिकारियों को फाइल नोटिंग, पॉलिसी ड्राफ्टिंग और सामान्य सचिवालय सेवा और नौकरशाही के बारे में ट्रेनिंग देने की जरूरत है.

कोर्स शुरुआती बैच के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध हैं और अधिकारियों को उनके लिए साइन अप करने की जरूरत है.

(अनुवाद | संपादनः फाल्गुनी शर्मा)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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