नई दिल्ली: गृह मंत्रालय (एमएचए) ने केंद्र शासित राज्यों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के लिए संयुक्त एजीएमयूटी (अरुणाचल प्रदेश-गोवा-मिजोरम और केंद्र शासित प्रदेश) कैडर के तहत ‘हार्ड एरिया’ की श्रेणी में रखा है.
यह वर्गीकरण ज्वाइंट एजीएमयूटी कैडर के आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के ट्रांसफर/पोस्टिंग के संबंध में लागू दिशा निर्देशों में 18 जनवरी को एक संशोधन के जरिये किया गया, जिसके तहत जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को पूर्वोत्तर राज्यों अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम के साथ रखा गया है.
2019 में अनुच्छेद 370 खत्म होने और जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित राज्यों के तौर पर पुनर्गठित किए जाने के बाद यहां का प्रशासन पुराने जम्मू-कश्मीर कैडर के अधिकारियों या केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर तैनात अधिकारियों द्वारा चलाया जा रहा था. लोकसभा में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2021 पारित होने के बाद भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस), भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) और भारतीय वन सेवा (आईएफएस) जैसे अखिल भारतीय सेवा अधिकारियों के जम्मू-कश्मीर कैडर का पिछले साल अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम और केंद्र शासित प्रदेश (एजीएमयूटी) कैडर के साथ विलय कर दिया गया था.
दिप्रिंट ने इस मामले में गृह मंत्रालय और कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के प्रवक्ताओं से टेक्स्ट मैसेज के जरिये संपर्क साधा है और उनका जवाब आने पर इस रिपोर्ट को अपडेट किया जाएगा.
‘हार्ड’ और ‘रेग्युलर’ क्षेत्र क्या हैं
मंगलवार को जारी आदेश, जिसकी एक प्रति दिप्रिंट के पास मौजूद है, एजीएमयूटी कैडर के तहत वर्गीकरण की पहले से ही लागू प्रणाली में एक संशोधन का हिस्सा है.
इस कैडर के अधिकारियों द्वारा प्रशासित क्षेत्रों को दो श्रेणियों में बांटा गया है—श्रेणी ए या ‘रेग्युलर एरिया’ (दिल्ली, चंडीगढ़, गोवा, पुडुचेरी, दादरा एवं नगर हवेली, और दमन और दीव) और श्रेणी बी यानी ‘हार्ड एरिया’ (अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम, और अब जम्मू-कश्मीर और लद्दाख).
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के अनुसार, किसी केंद्र शासित प्रदेश या राज्य को भौगोलिक स्थिति (यानी जहां आवाजाही के लिहाज से इलाका कठिन या दुर्गम हो) और उग्रवाद या अन्य तरह के संघर्षों के कारण संवेदनशीलता की स्थिति के आधार पर ‘हार्ड’ या ‘रेग्युलर’ की श्रेणी में रखा जाता है.
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जम्मू-कश्मीर में पर्याप्त अधिकारियों की तैनाती सुनिश्चित करना
सिविल सेवाओं से जुड़े सूत्रों ने बताया, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को ‘हार्ड एरिया’ के तौर पर वर्गीकृत किए जाने से इन क्षेत्रों के लिए आईएएस अधिकारियों की तैनाती को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी क्योंकि इन क्षेत्रों में प्रतिनियुक्त अधिकारी कुछ इंसेंटिव के पात्र होते हैं, जैसा कि नवंबर 2016 में जारी ‘संयुक्त एजीएमयूटी कैडर के आईएएस/आईपीएस अधिकारियों के ट्रांसफर/पोस्टिंग संबंधी दिशा-निर्देशों’ में उल्लिखित है.
‘हार्ड एरिया’ में तैनात अधिकारियों से संबंधित दिशा-निर्देशों में उनके लिए विदेश में ट्रेनिंग, क्षेत्र में कार्यकाल पूरा होने के बाद उपसचिव स्तर पर पदोन्नति और ग्रेडेशन इंसेंटिव जैसे विशेष प्रावधान होने का उल्लेख है.
डीओपीटी के रिकॉर्ड के मुताबिक, 2016 के बाद से जम्मू-कश्मीर में आईएएस भर्तियों की संख्या घट रही है. कैडर में भर्ती होने वाले अधिकारियों की संख्या उस साल तीन से घटकर दो रह गई थी.
रिकॉर्ड बताते हैं कि इससे पूर्व जम्मू-कश्मीर कैडर में भर्ती होने वाले आईएएस अधिकारियों की संख्या आम तौर पर हर साल तीन से चार के बीच रहती थी. लेकिन 2018 और 2019 दोनों में, केंद्र ने जम्मू-कश्मीर कैडर के लिए केवल एक आईएएस अधिकारी की भर्ती की.
गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया, ‘हम पिछले कुछ समय से ऐसा करने की योजना बना रहे थे. इसके पीछे इरादा क्षेत्र में सेवारत अधिकारियों को ‘हार्ड एरिया’ श्रेणी बी के तहत सेवाओं के लिए विशेष प्रोत्साहन देना है. ये कदम सुनिश्चित करेगा कि सरकार क्षेत्र में बड़ी संख्या में आईएएस और आईपीएस अधिकारी भी उपलब्ध करा पाए.’
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