नई दिल्ली: दिप्रिंट को पता चला है कि आयुष मंत्रालय ने, वैकल्पिक दवाओं के निर्माताओं को चेतावनी दी है, कि उपभोक्ताओं को गुमराह करने के लिए, अपने उत्पाद को कोविड-19 का ‘इलाज या रोकथाम’ बताकर प्रचारित न करे.
मंत्रालय का ये क़दम उसके बाद आया है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोविड-19 के खिलाफ इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए, वैकल्पिक दवाओं के इस्तेमाल पर ज़ोर दिया था.
दो जून को लिखे पत्र में मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र-शासित क्षेत्रों से, उन दवा निर्माताओं को एक ‘हफ्ते की समय सीमा के साथ’ ‘चेतावनी’ जारी करने के लिए कहा, जो ग़लत दावे करके उपभोक्ताओं को गुमराह कर रहे हैं. मंत्रालय ने नियामकों को भी निर्दश दिया, कि अनुपालन न करने वाली कम्पनियों पर, एफआईआर दर्ज करके मुकदमा क़ायम किया जाए
आयुष मंत्रालय, जिसका अर्थ है आयुर्वेद, योगा, यूनानी, सिद्धा, सोवा रिगपा और नैचुरोपैथी, के अतिरिक्त सचिव प्रमोद कुमार पाठक ने अपने पत्र में लिखा, ‘आपका ध्यान प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया में, कोविड-19 के लिए आयुष इलाज के तौर, पर भ्रामक कम्यूनिकेशंस के ख़तरे की ओर आकर्षित कि जा रहा है.’
दिप्रिंट के हाथ लगे इस पत्र में आगे कहा गया, ‘स्पष्ट उल्लंघन के मामलों में, जो लाइसेंसिंग अथॉरिटी या ड्रग कंट्रोलर के सीधे संज्ञान में आएंगे, अथवा मंत्रालय द्वारा उन्हें प्रेषित होंगे, एक चेतावनी जारी की जा सकती है, और यदि एक सप्ताह में अनुपालन न हो, तो एफ़आईआर दर्ज की जा सकती है.’
पत्र में नियामकों से कहा गया कि वो, ड्रग्स एंड मैजिकल रेमेडीज़ एक्ट (ऑब्जक्शनेबल एडवर्टीज़मेंट्स) 1954 के अनुभाग 7, और ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट-1940 के अनुभाग 33-1 और 33-जे के अंतर्गत, शिकायतें दर्ज करा सकते हैं. इन अनुभागों के अंतर्गत अपराधी को, कम से कम दो साल की जेल हो सकती है, जो 6 साल तक बढ़ सकती है, और साथ ही कम से कम एक लाख रुपए जुर्माना, या ज़ब्त की गई दवाओं के मूल्य का तीन गुना, जो भी अधिक हो, लगाया जा सकता है.
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किस काम पर होगी कार्रवाई?
आयुष मंत्रालय के पत्र में तीन गतिविधियों का उल्लेख है, जो पहले जारी किए गए क़ानूनी प्रावधानों का उल्लंघन मानी जाएंगी. प्रदेश ड्रग नियामकों को आपदा प्रबंधन अधिनियम- 2005 के प्रावधानों के तहत, कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है.
पहली है, ‘झूठे दावे और कोविड-19 के बारे में, शोध कार्यों या उत्पाद की मैन्युफेक्चरिंग को लेकर, आयुष मंत्रालय की ओर से मिली तथाकथित मंज़ूरी का प्रकाशन.’ पीएम मोदी की ओर से आयुष चिकित्सकों से, कोविड-19 से निपटने में सहायता करने की अपील के बाद, आयुष मंत्रालय को 15 दिन से कम में 2,000 से अधिक शोध प्रस्ताव मिले. इन सब में सुझाव दिए गए थे, कि भारत इस अत्याधिक संक्रामिक बीमारी से कैसे लड़ सकता है.
दूसरा है,’आयुष उत्पाद के लेबल्स या कंटेनर्स पर, कोविड या कोविड-19 से जुड़े दावे लिखना, और आयुष मंत्रालय का नाम लिखने’ पर राज्यों की ओर से चेतावनी दी जाएगी.
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अंत में, पत्र में कहा गया,’आयुष मंत्रालय या कोविड-19 के बारे में किसी भी अन्य झूठे दावे या बयान’ पर भी निगाह रखी जाएगी. पत्र में आगे कहा गया, ‘इस मामले में कृपया सुनिश्चित करें कि संबंधित स्टेट लाइसेंसिंग अथॉरिटीज़ या ड्रग कंट्रोलर्स, भ्रामक सूचनाओं, झूठे दावों, और ग़लत ब्राण्डिंग आदि के खिलाफ़ आवश्यक कार्रवाई करें.’
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