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गुरूवार, 24 अप्रैल, 2025
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‘मिनी स्विटजरलैंड’ बैसरन में पर्यटकों की कमी, आतंक ने ज़िंदगी और आजीविका दोनों को उजाड़ा

जब टूरिस्ट सीज़न ज़ोर पकड़ ही रहा था, तभी आतंकी हमले ने सैकड़ों परिवारों को अनिश्चितता में डाल दिया. कई स्थानीय लोगों का मानना ​​है कि इस साल स्थिति में सुधार की कोई गुंजाईश नहीं है.

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नई दिल्ली: घने जंगलों और बर्फ से ढके पहाड़ों से घिरे कोमल ढलान वाले घास के मैदानों के साथ बैसरन पर्यटकों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है. मंगलवार दोपहर बंदूकों की गड़गड़ाहट ने उस शांति को भंग कर दिया, जिससे घास के हरे-भरे कालीन पर खून के थक्के जम गए और अनिश्चितता में सैकड़ों टैक्सी चालक, घोड़ा ऑपरेटर और अन्य स्थानीय पर्यटन हितधारक हैं.

केवल घोड़े की सवारी या लंवा ट्रेक करके पहुंचा जा सकने वाला बैसरन दक्षिण कश्मीर में पहलगाम से 6.5 किमी दूर है. यह सुदूर स्थान पहलगाम के मुख्य शहर से एक कच्ची पगडंडी से जुड़ा है. यह अलग-थलग रहता है क्योंकि यहां मोटर वाहन नहीं पहुंच पाते हैं.

पिछले कुछ साल में पर्यटन विभाग ने पर्यटकों के लिए ज़ोरबिंग, ज़िपलाइनिंग और ऑफ-रोडिंग जैसी चीज़ें शुरू की हैं. पूर्व पर्यटन निदेशक ने दिप्रिंट को बताया, “यह बिल्कुल बेताब घाटी की तरह है, हालांकि, यहां सड़क संपर्क नहीं है और बुनियादी ढांचे के लिहाज़ से भी बहुत कुछ उपलब्ध नहीं है.”

पूर्व अधिकारी ने बताया कि बैसरन घाटी को पहले ट्रैकिंग और ऑफ-रोड एडवेंचर के लिए बढ़िया माना जाता था और यह केवल पानी और गंदगी वाले रास्तों से घिरी हुई थी.

उन्होंने बताया, “जो लोग ऑफबीट दर्शनीय स्थलों की यात्रा के लिए सच में उत्सुक हैं, वह वहां जाते हैं. हालांकि, यह एक खूबसूरत घाटी है, लेकिन बहुत से लोगों के लिए यह आसान नहीं है.”

बैसरन को ट्रेकर्स के लिए बेहतरीन कैंपसाइट भी माना जाता है, जो आगे जाकर तुलियन झील देखना चाहते हैं जो लगभग 11 किमी दूर स्थित है.

22 अप्रैल की दोपहर को इस दुर्गम क्षेत्र का पता चला, जब कश्मीर के मिनी स्विटजरलैंड के नाम से मशहूर इस जगह पर आतंकवादियों ने हमला किया, जिसके बाद कीचड़ भरे इलाके ने बचाव कार्य को मुश्किल बना दिया. इस दौरान मची अफरातफरी में स्थानीय घोड़े वाले आतंक से पीड़ित पर्यटकों की मदद के लिए आगे आए. ऐसे कई वीडियो वायरल हो रहे हैं, जिनमें घोड़ा ऑपरेटर घायलों और परेशान लोगों की मदद कर रहे हैं.


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संकेतों की अनदेखी?

पहलगाम में स्थानीय टैक्सी स्टैंड टूरिस्ट टैक्सी स्टैंड 2 के अध्यक्ष आदिल फारूक ने दिप्रिंट को बताया कि मंगलवार के हमले से स्थानीय लोगों में दहशत फैल गई है और 26 पर्यटकों की हत्या “मानवता की मौत” है.

स्थानीय निवासियों ने दिप्रिंट को बताया कि लगभग एक साल पहले सुरक्षा एजेंसियों को पिछले साल अमरनाथ यात्रा के दौरान संभावित हमले के बारे में कुछ इनपुट मिले थे.

फारूक ने कहा, “यात्रा के दौरान घोड़ों की सेवाएं पूरी तरह से बंद थीं और हमने सरकार से सुरक्षा कैंप की मांग की थी. अगले दो महीनों तक किसी भी पर्यटक को वहां जाने की अनुमति नहीं थी.”

उन्होंने कहा कि पर्यटक मुख्य रूप से घोड़े के ज़रिए से घाटी में पहुंचते हैं.

“हमने एक बड़े कैंप की मांग नहीं की थी, बल्कि एक छोटे कैंप की मांग की थी. अगर यह वहां होता, तो त्रासदी टाली जा सकती थी.”
उन्होंने कहा कि घोड़ा सवारी संचालकों ने कई मौकों पर अपनी मांग उठाई थी क्योंकि वह हर दिन बैसरन जाते थे.

उन्होंने कहा, “वह थोड़ा असुरक्षित महसूस करेंगे. ये ऊंचे इलाके हैं और अगर ऐसी घटनाएं होती हैं, तो कौन वहां जाना चाहेगा? कोई भी मरना नहीं चाहता.”

उन्होंने बताया कि बैसरन में करीब 4,000 घोड़ा ऑपरेटर्स परिवार अपनी आजीविका के लिए पर्यटन पर निर्भर हैं. इसी तरह, टैक्सी चालक और फोटोग्राफर घाटी में आने वाले पर्यटकों की सेवा करके अपनी ज़िंदगी बसर करते हैं.

फारूक ने कहा कि स्थानीय हितधारकों ने पर्यटकों के लिए यात्रा को आसान और सुरक्षित बनाने के लिए केबल कार या गोंडोला की मांग की थी, जिस पर पूर्व पर्यटन निदेशक ने भी सहमति जताई थी.

सेवानिवृत्त अधिकारी ने कहा कि केबल कार सर्विस शुरू करने के बारे में बातचीत चार साल से अधिक समय से चल रही थी, लेकिन “कोई बड़ी प्रगति नहीं हुई”.

फरवरी में अधिकारियों ने घोषणा की कि पहलगाम को बैसरन से जोड़ने वाली एक अत्याधुनिक केबल कार सेवा मिलेगी.

फारूक ने दिप्रिंट को बताया, “अगर केबल कार पहले से ही होती, तो लोगों की जान सुरक्षित हो सकती थी क्योंकि सेना को वहां पहुंचने में कम से कम एक घंटा लगता था.”

पहलगाम से नेशनल कॉन्फ्रेंस के विधायक अल्ताफ कालू ने दिप्रिंट को बताया कि आतंकी हमले ने स्थानीय घोड़ेवालों और टैक्सी चालकों की कमाई छीन ली है. उन्होंने दुख जताते हुए कहा, “एक टैक्सी चालक जिन्होंने नई कार खरीदी थी, उन्हें अभी भी अपने कर्ज़ का 75 प्रतिशत चुकाना था. एक अन्य व्यक्ति इस सीज़न के खत्म होने तक अपनी बेटी की शादी करने वाले थे. कोई और व्यक्ति इस सीज़न में कमाए गए पैसे से घर बनाना चाहते थे…पर अब, सब खत्म हो गया है.”

पर्यटकों की हत्या पर टिप्पणी करते हुए कालू ने कहा कि सुरक्षा एजेंसियां ​​“पूरी तरह विफल” रहीं. उन्होंने कहा कि बैसरन जैसे पर्यटन स्थल पर कोई सुरक्षा कवर नहीं बचा है. उन्होंने कहा, “हमने (मुख्यमंत्री) उमर अब्दुल्ला और एलजी के साथ बैठक में भी यही कहा था. यह एक संवेदनशील इलाका था और सुरक्षा बेहद ज़रूरी थी.”

नाटियोमा कॉन्फ्रेंस के विधायक ने पिछले साल संभावित हमले की सूचना पर टैक्सी एसोसिएशन प्रमुख की टिप्पणी की पुष्टि की.

उन्होंने कहा कि “आतंकवाद प्रभावित क्षेत्र” में इस तरह की सूचना मिलने के बाद, सुरक्षा बलों को सतर्क रहना चाहिए था. कालू ने कहा, “पर्यटन हमारे लिए सिर्फ एक इलाका नहीं है, यह पूरी इंडस्ट्री है.”

उन्होंने कहा कि रेड अलर्ट जारी रहना चाहिए था और इस क्षेत्र को संवेदनशील माना जाना चाहिए था.

बुधवार को पूरे जम्मू-कश्मीर ने इस नृशंस हमले में मारे गए लोगों के साथ एकजुटता में बंद रखा. कालू ने दिप्रिंट को बताया कि यह घटना “अन्यायपूर्ण” है और कश्मीर के लोग एकजुट हैं और इसके खिलाफ हैं. “हमारे धर्म में बेगुनाहों की हत्या की इज़ाज़त नहीं है (और) यह धर्म के बारे में नहीं है.”

लोकल घोड़ेवाला और पहलगाम के पोनी एसोसिएशन के अध्यक्ष बिलाल अहमद ने दिप्रिंट को बताया कि मंगलवार तक प्रतिदिन 16,000 पोनी पर्यटकों को घाटी में घुमाएंगे. उन्होंने कहा कि इस घटना ने स्थानीय मजदूर वर्ग को भविष्य के लिए कोई उम्मीद नहीं छोड़ी है.

उन्होंने कहा, “हमें नहीं लगता कि हम इस सीज़न में इस घटना से उबर पाएंगे.” उन्होंने कहा कि हत्याओं ने लोगों को परेशान कर दिया है.

अहमद पर्यटकों को बैसरन से पहलगाम वापस ले जा रहे थे, तभी उन्हें आतंकवादियों के हमले के बारे में पता चला. उन्हें सुरक्षित स्थान पर छोड़ने के बाद, वह पर्यटकों की मदद करने के लिए घाटी में वापस चले गए और कई घायलों को सुरक्षित बाहर निकाला. “जबकि हम उनमें से कई को सुरक्षित स्थानों पर ले गए, हम जानते थे कि हमारी ज़िंदगी पूरी तरह से खत्म हो गई है. हम पर बहुत मानसिक दबाव है. यह हत्याओं के साथ-साथ हमारी रोज़ी-रोटी के बारे में भी है.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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