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Friday, 26 April, 2024
होमदेशवो सात सफल महिलाएं जिन्होंने महिला दिवस पर पीएम मोदी का ट्विटर हैंडल संभाला

वो सात सफल महिलाएं जिन्होंने महिला दिवस पर पीएम मोदी का ट्विटर हैंडल संभाला

बम विस्फोट से बची, जल संरक्षणवादी, भूख-विरोधी और शिल्प कार्यकर्ता- जैसे तमाम क्षेत्रों में योगदान देने वाली महिलाओं ने पीएम मोदी को प्रेरित किया.

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नई दिल्ली: वो सात सफल महिलाएं जिन्होंने पीएम मोदी के ट्वविटर हैंडल को संभाला अपने क्षेत्र में अहम योगदान को निभा रही हैं. बम विस्फोट से बची, जल संरक्षणवादी, भूख-विरोधी और शिल्प कार्यकर्ता- ये कुछ ऐसी महिलाएं हैं जिन्होंने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर रविवार को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के ट्विटर अकाउंट को संभाला.

इस सप्ताह की शुरुआत में, पीएम मोदी ने घोषणा की कि वह अपने सोशल मीडिया अकाउंट को ‘छोड़’ देंगे, बाद में उन्होंने कहा कि वह प्रेरित करने के लिए महिलाओं को इसे देंगे.

प्रधानमंत्री ने अपने ट्विटर और इंस्टाग्राम पेजों पर इन महिलाओं के छोटे वीडियो साझा किये और उनकी उपलब्धियों के वीडियो अपने फेसबुक पेज पर शेयर किये. उनकी उपलब्धियों के साथ उन्होंने हैशटैग ‘शी इंस्पायर्स अस’ भी लगाया.

स्नेहा मोहनदास

चेन्नई की एक फूड एक्टिविस्ट, स्नेहा मोहनदास रविवार सुबह पीएम का खाता संभालने वाली पहली महिला थीं. फूड बैंक इंडिया की संस्थापक, मोहनदास भूख से मुक्त ग्रह के लिए प्रयास कर रही हैं.

उन्होंने मोदी के ट्विटर अकाउंड पर लिखा, ‘हमारी 20 से ज्यादा शाखाएं हैं और अपने काम से कई लोगों पर असर डाला है. हमनें सामूहिक रूप से भोजन पकाना, खाना पकाने का मैराथन और स्तनपान जागरुकता अभियान की पहल भी की.’

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अपनी मां से प्रेरित होकर स्नेहा मोहनदौस ने ‘फुडबैंक इंडिया’ नाम से पहल शुरू की है. भूख मिटाने के लिये वह भारत के बाहर के कई स्वयंसेवकों के साथ भी काम करती हैं.

उनके एनजीओ के माध्यम से, गरीबों के लिए घर का खाना बनाया जाता है, कंटेनर में पैक किया जाता है और एक जगह इकट्ठा किया जाता है, इससे पहले कि एक छोटी सी टीम इसे कार या ऑटोरिक्शा में ले जाती है और बेघर लोगों को वितरित करती है.

फूड बैंक इंडिया के फेसबुक पेज के अनुसार, ‘केवल जरूरतमंदों और बेघरों तक खाना पहुंचे, यह सुनिश्चित करने के लिए कोर टीम सड़कों पर और आसपास ड्राइव करती है. यदि दूरी और लक्षित ऑडियंस स्पष्ट हो तो बहुत अधिक समय लगता है.’

मालविका अय्यर

मालविका अय्यर 13 साल की उम्र में एक बम धमाके का शिकार बनीं जिसमें उनके हाथ उड़ गए और पैर बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए.

उन्होंने प्रधानमंत्री के ट्विटर हैंडल पर लिखा, ‘छोड़ देना कभी कोई विकल्प नहीं होता. अपनी सीमाओं को भूलकर विश्वास और उम्मीद के साथ दुनिया का सामना कीजिए.’

अय्यर एक प्रेरक वक्ता, दिव्यांग कार्यकर्ता और मॉडल हैं.

कश्मीर की अरीफा जान

कश्मीर की अरीफा जान हमेशा से कश्मीर की पारंपरिक कला को फिर से जीवित करने के सपने देखती थीं, क्योंकि उनके मुताबिक इसका अर्थ स्थानीय महिलाओं को सशक्त करना होता.

उन्होंने लिखा, ‘मैं महिला कलाकारों की स्थिति देखती थी और इसलिये मैंने ‘नमदा’ कला को फिर से जिंदा करने का प्रयास किया…जब परंपरा और आधुनिकता का मिलन होता है तो चमत्कार हो सकता है. मैंने इसका अपने काम में अनुभव किया. यह आधुनिक बाजार के मुताबिक डिजाइन किया गया है.’

कल्पना रमेश

हैदराबाद के एक वास्तुकार जल संरक्षक कल्पना रमेश ने कहा, ‘योद्धा बनिए लेकिन थोड़े अलग तरह का. जल योद्धा बनिए.’

उन्होंने कहा, ‘छोटे प्रयास बड़ा प्रभाव डाल सकते हैं…पानी को जिम्मेदारीपूर्वक खर्च कर, वर्षाजल संचयन, झीलों को बचाकर, इस्तेमाल पानी का पुन: उपयोग और जागरुकता फैलाकर योगदान किया जा सकता है.’

विजया पवार

ग्रामीण महाराष्ट्र के बंजारा समुदाय के एक कारीगर, पवार मोदी के सोशल मीडिया अकाउंट को संभालने वाली पांचवीं महिला थीं.

ग्रामीण महाराष्ट्र के बंजारा समुदाय की हस्तकला को बढ़ावा देने वाली विजया पवार ने लिखा, ‘मैं पिछले दो दशक से इस पर काम कर रही हूं और इसमें हजारों अन्य महिलाएं मेरी सहायता करती हैं.’

कलावती देवी

उत्तर प्रदेश के कानपुर की कलावती देवी शौचालयों के निर्माण के लिये धन जुटाती हैं. उन्होंने कहा कि अगर आप कुछ हासिल करना चाहते हैं तो पीछे मत देखिए और लोगों की कड़वी बातों की अनदेखी कीजिए.

उन्होंने कहा, ‘मैं जिस जगह रहती थी वहां हर तरफ गंदगी थी. लेकिन एक पक्का विश्वास था कि स्वच्छता के जरिये हम स्थिति को बदल सकते हैं. मैंने लोगों को इसके लिये तैयार करने का फैसला किया. शौचालयों के निर्माण के लिये धन इकट्ठा किया.’

वीना देवी

बिहार के मुंगेर की रहने वाली वीना देवी कहती हैं, जहां चाह, वहां राह है. उन्होंने मशरुम की खेती की योजना के लिये जगह की कमी को अपने आड़े नहीं आने दिया और अपने पलंग के नीचे मशरुम उगाया.

उन्होंने कहा, ‘इच्छाशक्ति से सबकुछ हासिल किया जा सकता है. मुझे असली पहचान पलंग के नीचे एक किलो मशरुम उगाकर मिली. इसने मुझे न सिर्फ आत्मनिर्भर बनाया बल्कि मेरा विश्वास बढ़ाकर मुझे नया जीवन दिया.’

(न्यूज एजेंसी भाषा के इनपुट्स के साथ)

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