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Saturday, 21 December, 2024
होमदेशसुप्रीम कोर्ट ने रामजन्म भूमि मामले की मध्यस्थता पर फैसला सुरक्षित रखा

सुप्रीम कोर्ट ने रामजन्म भूमि मामले की मध्यस्थता पर फैसला सुरक्षित रखा

इससे पहले अदालत ने दोनों पक्षों से इस मामले में कहा था कि अगर एक भी फीसदी सुलह की गुंजाइश हो तो दोनों पक्ष बीच का रास्ता निकालें.

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नई दिल्लीः अयोध्या राम मंदिर और बाबरी मस्जिद विवाद मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने मध्यस्थता पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. इसको लेकर आज हुई सुनवाई के दौरान न्यायाधीश एसए बोबडे ने कहा, ‘यह पूरा मामला भावनाओं, धर्म और विश्वास से जुड़ा है. हम लोग इस विवाद की गंभीरता को समझते हैं. इस मामले में किसी एक मझौलिये से नहीं, बल्कि एक पैनल बैठाए जाने की जरूरत है.

वहीं मामले में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने दोनों पक्षों से कहा कि वे अपने मध्यस्थों का नाम बतायें और अगर वे कोई पैनल बना रहे हैं तो उसका भी नाम बतायें. हम जल्द ही इस पर अपना आदेश पारित करेंगे.

न्यायाधीश बोबडे ने आगे कहा कि विगत में क्या हुआ इस पर हमारा नियंत्रण नहीं है, किसने बनाया, कौन राजा था. यह मंदिर था या फिर मस्जिद. हम लोग आज के विवाद पर बात कर रहे हैं और हम इसको लेकर चिंतित हैं और इसका समाधान ढूंढ़ रहे हैं.


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न्यायाधीश बोबडे ने मीडिया पर भी अपनी बात रखते हुए कहा कि अब जब इस मामले में मध्यस्थता जारी है तो इस पर रिपोर्ट नहीं की जानी चाहिए. यहां कोई ढकोसला नहीं चल रहा है. उन्होंने कहा कि मध्यस्थता प्रक्रिया शुरू होने पर किसी भी मकसद को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है.

सुप्रीम कोर्ट इससे पहले दोनों पक्षकारों से मामले में सुलह करने की बात कही थी. कोर्ट ने दोनों पक्षों से कहा था कि मामले में अगर एक भी फीसदी सुलह की गुंजाइश हो तो वे बीच का रास्ता निकालें. वह मध्यस्थता के लिए गंभीरतापूर्वक एक मौका देना चाहता है. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता में गठित पांच जजों की संवैधानिक बेंच मामले की सुनवाई कर रही है.

मामले में गठित सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने मध्यस्थता के तरीके के बारे में पूछा तो मुस्लिम पक्षकारों की ओर से पेश हुए वकील राजीव धवन ने कहा कि मुस्लिम याचिकाकर्ता संबंधित पक्षों के साथ मध्यस्थता, किसी भी समझौते या मामले के निपटान के लिए तैयार हैं.

वहीं सुप्रीम कोर्ट की हालिया सुनवाई पर राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कहा कोर्ट द्वारा मध्यस्थता की बात करना एक बेकार कोशिश है. राम जन्म भूमि पर कोई समझौता नहीं होगा.

वहीं इससे पहले मामले में हिंदुओं की तरफ से रामलला के पक्षकार एसी वैद्यनाथन ने कहा था कि बीच का रास्ता निकालने की पहले ही ढेर सारी कोशिशें हो चुकी हैं कुछ नहीं निकला. हिंदुओं की तरफ से दूसरे पक्षकार रंजीत कुमार ने कहा था कि अब सुप्रीम कोर्ट को मामले में सुनवाई कर फैसला सुनाना चाहिए. तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा था हम आप दोनों की मर्जी के बगैर कोई फैसला नहीं करेंगे.


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गौरतलब है कि इससे पहले अयोध्या मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार 26 फरवरी को सुनवाई की थी. इस मामले पर अगली सुनवाई 8 हफ्ते के लिए टाल दी गई थी. कोर्ट ने इस दौरान मामले से जुड़े दस्तावेजों के अनुवाद को देखने के लिए 6 हफ्ते का समय और दिया था और ये भी कहा था कि हमारे विचार में 8 हफ्ते के वक्त का इस्तेमाल मध्यस्थता के जरिये मसला सुलझाने के लिए भी हो सकता है. मध्यस्थता पर कोर्ट ने अगले मंगलवार को आदेश देने को कहा था.

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