नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद दूसरी बार विदेशी राजनयिकों के प्रतिनिधिमंडल को हालात का जायजा लेने की इजाजत दी है. जिसका उद्देश्य सरकार द्वारा स्थिति को सामान्य करने के लिए किए गए प्रयास को देखना है. आज सुबह पहुंचा प्रतिनिधिमंडल वहां के सुरक्षा अधिकारियों से मुलाकात के बाद अब लोकल लोगों, स्थानीय मीडिया और सिविल सोसाइटी के साथ मीटिंग करेगा. यह जानकारी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करके दी.
MEA: There first meeting was with security officials to get a sense of security situation in J&K, and also threat posed by terrorism in maintaining peace. Objective of visit was the envoys to see first hand the efforts which have been made by govt's to normalise situation https://t.co/pLsGELndeY
— ANI (@ANI) January 9, 2020
रवीश कुमार ने बताया कि जम्मू-कश्मीर में 15 विदेशी दूतों की यात्रा भारत सरकार करा रही है. इसमें अमेरिका, दक्षिण कोरिया, वियतनाम, बांग्लादेश, मालदीव, मोरक्को, फिजी, नॉर्वे, फिलीपींस, अर्जेंटीना, पेरू, नाइजर, नाइजीरिया, टोगो और गुयाना के दूत शामिल हैं.
विदेश मंत्रालय के अनुसार प्रतिनिधिमंडल ने वहां पहली मीटिंग सुरक्षाकर्मियों के साथ की है जो कि राज्य के लोगों में सुरक्षा की भाव को जानना था और शांति बनाए रखने रखने में आतंकवाद से उत्पन्न होने वाले खतरे को भी. इसे ध्यान में रखकर वहां उनके जाने का कार्यक्रम बनाया गया था. यात्रा का उद्देश्य पहली बार में सरकार द्वारा स्थिति को सामान्य करने के लिए जो प्रयास किए गए हैं उसे देखना था.
एक सवाल का जवाब देते हुए रवीश कुमार ने कहा कि वहां उतनी संख्या में राजनयिकों को भेजा है जिनकी संख्या मैनेज की जा सकती है. राजदूत खुद भी वहां के हालात को समझते हैं. यूरोपीय संघ के राजदूत नहीं जा पाए हैं जिनको भेजने के बारे में बाद में विचार किया जाएगा.
रवीश कुमार ने विदेश प्रतिनिधिमंडल हिस्सा होने से यूरोपीय संघ के राजदूतों को जाने की रिपोर्ट पर कहा कि वह सोचते हैं गाइडेड टूर था. हम उतने लोगों का समूह चाहते थे जिसे मैनेज किया जा सके हम चाहते थे कि यह समूह प्रबंधनीय आकार का हो और इसे विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने वाला व्यापक आधार बनाएं.
विदेश मंत्रालय ने ईरान के मसले पर कहा कि भारत हालात की नजदीकी से नगिरानी कर रहा है. उसके लिए क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और स्थायित्व ज्यादा महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा, ‘हम चाहते हैं कि पूर्व स्थिति जल्द से जल्द बहाल हो. हम कई हितधारकों से बात कर रहे हैं.