नई दिल्ली: माओवादी संगठन की सबसे ताकतवर सशस्त्र बटालियन का एक स्नाइपर, जिस पर 8 लाख रुपये का इनाम था, को छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में एक ऑपरेशन के दौरान मार गिराया गया. यह जानकारी बीजापुर के पुलिस अधीक्षक जितेंद्र कुमार यादव ने सोमवार को दी.
मारे गए माओवादी का नाम सोढ़ी कन्ना था, जो पहली बटालियन की दूसरी कंपनी का डिप्टी कमांडर था. यह वही बटालियन है जिसे कुख्यात नक्सली कमांडर मडवी हिडमा लीड करता है. हिडमा प्रतिबंधित कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (माओवादी) का छत्तीसगढ़ से इकलौता केंद्रीय समिति सदस्य (CCM) है.
सुरक्षा बलों ने 4 जुलाई को इंद्रावती नेशनल पार्क में यह ऑपरेशन शुरू किया था, जब उन्हें तेलंगाना स्टेट कमेटी, नेशनल पार्क एरिया कमेटी, PLGA बटालियन 1 और अन्य सशस्त्र माओवादी कैडरों की मौजूदगी की जानकारी मिली थी.
सोमवार को बीजापुर एसपी ने कन्ना की मौत को नक्सल विरोधी अभियान में बड़ी सफलता बताया. उन्होंने कहा कि कन्ना प्रतिबंधित संगठन का एक कुशल स्नाइपर था और बीजापुर जिले के इंद्रावती नेशनल पार्क क्षेत्र में सक्रिय था.
कन्ना का शव बीजापुर और दंतेवाड़ा जिलों के जिला रिजर्व गार्ड (DRG), स्पेशल टास्क फोर्स (STF), कमांडो बटालियन फॉर रिजॉल्यूट एक्शन (CoBRA) और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) की ‘यंग प्लाटून’ की संयुक्त टीम ने बरामद किया.
एसपी यादव ने अपने बयान में कहा, “सोढ़ी कन्ना कई बड़े मामलों में शामिल रहा है, जिसमें टेकलगुडियम क्षेत्र में माओवादी गतिविधियां और धर्माराम कैंप पर हमला शामिल हैं. वह CCM मडवी हिडमा का सहयोगी था और बटालियन में स्नाइपर के तौर पर काम कर रहा था. उसकी मौत से माओवादी संगठन को स्नाइपर क्षमताओं के लिहाज से भारी नुकसान हुआ है.”
इस ताजा मुठभेड़ के साथ, पिछले 18 महीनों में छत्तीसगढ़ में मारे गए संदिग्ध माओवादी कैडरों की संख्या 415 हो गई है, क्योंकि सुरक्षा बलों ने प्रतिबंधित संगठन के खिलाफ अभूतपूर्व अभियान चलाया हुआ है.
बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पट्टीलिंगम ने कहा कि सुरक्षा बलों ने भारी बारिश और फिसलन भरे इलाकों के बावजूद, बीजापुर के नेशनल पार्क जैसे जंगल के गहरे इलाकों में ऑपरेशन जारी रखा है.
उन्होंने कहा, “यह विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि भारी वर्षा और कठिन भौगोलिक परिस्थितियों वाले इस चुनौतीपूर्ण मानसून काल में भी सुरक्षा बलों की गतिविधियों, सतर्कता और समर्पण में कोई कमी नहीं आई है. फिसलन भरी पहाड़ी जंगल की सड़कों और लगातार बदलते मौसम के बीच, डीआरजी, एसटीएफ, कोबरा, सीआरपीएफ, बीएसएफ, आईटीबीपी, सीएएफ, बस्तर फाइटर्स सहित सभी बल पूरी निष्ठा से मिशन को अंजाम दे रहे हैं.”
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