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Wednesday, 6 November, 2024
होमदेशआहत मनमोहन सिंह ने किया कुलदीप नैयर की पुस्तक विमोचन में आने से इंकार

आहत मनमोहन सिंह ने किया कुलदीप नैयर की पुस्तक विमोचन में आने से इंकार

वरिष्ठ पत्रकार स्वर्गीय कुलदीप नैयर की आखिरी किताब के विमोचन में मनमोहन सिंह का न पहुंचना भी एक राजनीतिक चर्चा का विषय बना.

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नई दिल्ली: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने वरिष्ठ लेखक, पत्रकार कुलदीप नैयर के निधन के बाद उनकी लिखी अंतिम किताब ‘ऑन लीडर्स एंड आइकंस फ्रॉम जिन्ना टू मोदी’ के विमोचन में आने से इंकार कर दिया.

नैयर ने अपनी पुस्तक में मोदी के हिंदुत्व अजेंडे और सर्वशक्तिमान नेता के रूप में उभरने पर भी चिंता व्यक्त की. नैयर ने अपनी किताब में गांधी, जिन्ना, नेहरू, इंदिरा, अटल बिहारी, मनमोहन, मोदी समेत कई नेता और जानी मानी हस्तियों पर अपने विचार लिखे हैं.

और नहीं पहुंचे मनमोहन

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने नैयर की पत्नी भारती को पत्र लिख कर इस किताब के विमोचन कार्यक्रम में आने से यह कह कर अपनी असमर्थता जताई कि उनके कार्यकाल में सरकारी फाइले 10 जनपथ भेजे जाने के ज़िक्र से वे असहमत हैं.

नैयर के पुत्र राजीव ने मनमोहन सिंह का उनकी मां को लिखा पत्र पढ़ कर सुनाया. मनमोहन सिंह ने लिखा ‘पेज 172 में लिखा है कि मेरे प्रधानमंत्री कार्यकाल में सरकारी फाइले सोनिया गांधी के घर भेजी जाती थी. ये वक्तव्य गलत है और कुलदीप ने मुझसे इसकी कभी पुष्टि नहीं की. इस’ परिपेक्ष में मैं किताब के विमोचन में आकर शर्मसार महसूस करूंगा.’

kuldip nayar
कुलदीप नायर की आखिरी किताब ऑन लीडर्स एंड आइनक फ्राम जिन्ना टू मोदी

विमोचन में वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री कपिल सिब्बल ने हालांकि कहा कि यूपीए में उनके कार्यकाल में ‘न तो पीएमओ न ही 10 जनपथ (सोनिया गांधी का निवास) ने कोई फाईल मंगाईं.’

वैसे कुछ ऐसी ही बात खुद पूर्व प्रधानमंत्री के मनमोहन सिंह के मीडिया एडवाइजर रहे संजय बारू ने अपनी किताब ‘द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ में भी लिखी है. मनमोहन के बारे में कुलदीप नैयर कहते है कि वे कभी भी एक जननेता नहीं थे. उन्हे 1991 में असम से राज्य सभा में लाया गया वहां उन्होंने किराये पर घर लिया और एक राशन कार्ड भी जुगाड़ लिया ताकि वो वहां से चुने जा सकें. विडंबना देखिये कि वो किसी भी संसदीय क्षेत्र से चुनाव जीतने में असमर्थ थे जहां पंजाबी बहुलता में थे जैसे 1999 में दक्षिणी दिल्ली की सीट.

कुलदीप नैयर उन्हें गांधी परिवार का नामित प्रधानमंत्री बताते है.

केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने न्यूयॉर्क से विडियो कांफ्रेंसिंग के ज़रिए विमोचन कार्यक्रम में भाग लेते हुए नैयर को ‘प्रतिष्ठित राजनीतिक पत्रकार बताया.’उन्होंने कहा कि वो सरकार के दबाव में नहीं आए और आपातकाल में पत्रकारों की बिरादरी की आवाज़ बन कर उभरे. उन्होंने नैयर की पत्रकारिता और उनके द्वारा ब्रेक की गई बड़ी कहानियों का ज़िक्र भी किया. विमोचन कार्यक्रम नें केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी, राजनयिक और लेखक नवतेज सरना, जेडीयू के नेता और लेखक पवन वर्मा ने भी भाग लिया.

मोदी और खुद को आपातकाल पर बताया एक मत

कुलदीप नैयर ने नरेंद्र मोदी पर लिखा है कि उनसे प्राधानमंत्री बनने के बाद कभी मुलाकात नहीं हुई. ‘मुझे गर्व है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मेरी आलोचना का संज्ञान लिया है और कहा, ‘मैं वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर की इज़्ज़त करता हूं; वे आपातकाल में स्वतंत्रता के लिए लड़े- वे हमारे कड़े आलोचक हैं पर मैं उनको इमर्जेंसी के खिलाफ खड़े होने पर सैल्युट करता हूं.’

गौरतलब है कि मोदी सरकार ने उनको पद्म पुरुस्कार भी दिया है. नैयर लिखते है कि मोदी और वो आपातकाल पर एक मत रखते हैं पर दोनो की भारत की परिकल्पना अलग है. मोदी सबका साथ सबका विकास की बात करते हैं पर असल में वो आरएसएस के हिंदू राष्ट्र की संरचना के विचार को आगे बढ़ा रहे हैं. देश में अल्पसंख्यकों में असुरक्षा की भावना पैदा हो रही हैं. वे देश का एक चौथाई भाग हैं. पहले मुस्लिम लीग ने उनके मन में ज़हर घोला था –जब पानी भी, हिंदू पानी, मुस्लिम पानी हो गया था. नैयर का मानना है कि आज भी हिंदुत्व का अजेंडा चलाया जा रहा है.

इंदिरा को भी हटाया गया था

वे कहते है कि इंदिरा गांधी को भी लोगों ने हटा दिया था जब उन्हें लगा कि एक व्यक्ति की पार्टी हो गई है. आज भाजपा की स्थिति भी वैसी ही है. कोई भी मोदी की सामना करने वाला पार्टी में नहीं है. उनका मानना हैं, ‘ये मोदी की ताकत है तो कमज़ोरी भी.’

वे लिखते हैं, ‘मोदी को रोकने के लिए सभी पार्टियां साथ आएंगी, ऐसा प्रतीत होता है. और ऐसे समय में मोदी को अपनी पार्टी की सख्त ज़रूरत होगी. पर ये कैसे संभव है जब वे ही भाजपा हो गए है.’

किताब में भुट्टो से लेकर मीना कुमारी तक

किताब में कई ऐसे वाक्ये है जो इन विभूतियों पर नई रौशनी डालते हैं. क्या नहरू परिवारवाद को बढ़ावा देने के इच्छुक थे, उन्हें बस अपनी बेटी इंदिरा को आगे बढ़ाने की इच्छा थी? नेहरु की मृत्यु के बाद लाल बहादुर शास्त्री के प्रधानमंत्री बनने पर क्या रोल स्वयं कुलदीप नैयर का था? फ्रंटियर गांधी क्यों भारतीयों को बनिया कहते थे? और क्या ज़ुलफिकार अली भुट्टो- पूरे महाद्वीप- भारत, पाकिस्तान, बंगलादेश का प्रधानमंत्री बनना चाहते थे?

किताब में साथ ही फिल्म अदाकारा मीना कुमारी की शास्त्री जी से पाकीज़ा के सेट पर मुलाकात, एक बोतल व्हिस्की पीने के बाद भी फैज़ अहमद फैज़ का अपनी शायरी पढ़ जाना जैसे कई वाक्यों की ज़िक्र है,

कुलदीप नैयर का 95 की उम्र में देहांत हो गया था. और ये उनकी लिखी अंतिम किताब है. उनकी इससे पहले 14 किताबें छप चुकी है.

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