नयी दिल्ली: अर्थव्यवस्था की स्थिति को लेकर मोदी सरकार को सवालों के घेरे में लते हुए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बुधवार को कहा कि मौजूदा सरकार ‘मंदी’ शब्द को स्वीकार ही नहीं करती और वास्तविक खतरा यह है कि यदि समस्याओं की पहचान नहीं की गयी तो सुधारात्मक कार्रवाई के लिए विश्वसनीय हल का पता लगाए जाने की संभावना नहीं है. वहीं पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने यह भी कहा कि 2024 तक पांच ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था पहुंचाना एक हसीन सपने के सिवा कुछ नहीं है. इसी वजह से सरकार आर्थिक मंदी को स्वीकार नहीं कर रही है.
मोंटेक सिंह अहलूवालिया की पुस्तक ‘बैकस्टेज; के लोकार्पण के मौके पर लोगों को संबोधित करते हुए, सिंह ने कहा कि योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष ने संप्रग सरकार के अच्छे बिंदुओं के साथ ही उसकी कमजोरियों के बारे में भी लिखा है.
पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा, ‘मुझे लगता है कि इन मुद्दों पर बहस होगी और इस पर चर्चा होनी चाहिए क्योंकि आज ऐसी सरकार है जो मंदी जैसे किसी शब्द को स्वीकार नहीं करती है. मुझे लगता है कि यह हमारे देश के लिए अच्छा नहीं है.’
उन्होंने कहा, ‘यदि आप उन समस्याओं की पहचान नहीं करते जिनका सामना आप कर रहे हैं, तो आपको सुधारात्मक कार्रवाई के लिए विश्वसनीय हल मिलने की संभावना नहीं है. यह असली खतरा है.’
सिंह ने कहा कि यह पुस्तक देश के विकास के लिए बहुत मददगार होगी.
मोंटेक सिंह की किताब के लोकार्पण के दौरान पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि अगर आपसे देश के मौजूदा हालात के बारे में अगर पूछा जाए कि देश की मौजूदा वित्त मंत्री को क्या करना चाहिए- तो उन्होंने कहा- ‘इस्तीफा.’
यही नहीं इस दौरान उन्होंने यह भी कहा भाजपा वाले कहते हैं कि उन्हें विरासत में मिले बैंक हमें बर्बाद कर रहे हैं. मैं पूछता हूं, यूपीए द्वारा दिए गए बुरे ऋणों के नाम बताएं? जो हमने दिए और आप (भाजपा) सदाबहार और बुरे हुए? और जो आपने दिया वह 24 महीनों में खराब हो गया. लेकिन उनके पास इसका जवाब नहीं है.
सिंह ने 1990 के दशक में अर्थव्यवस्था के उदारीकरण में उन्हें समर्थन देने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री नरसिंह राव, पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम और अहलूवालिया द्वारा निभाई गई भूमिका की सराहना की और वह विभिन्न तबकों के प्रतिरोध के बावजूद सुधारों को पूरा करने में सफल हो सके.
(भाषा के इनपुट्स के साथ)