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Monday, 9 December, 2024
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स्कूल, खेल और घर लौटने की लालसा – मैतई राहत शिविर में बच्चों को है अपने पुराने दिनों का इंतजार

इंफाल के अकम्पट में ईस्टर्न आइडियल हाई स्कूल ने हिंसा से विस्थापित 199 छात्रों को नामांकित किया है. इन बच्चों के लिए स्कूल का समय इन्हें राज्य के हिंसा के माहौल से दूर रखता है.

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इंफाल: इंफाल के अकम्पट में एक गर्ल्स कॉलेज में स्थापित राहत शिविर में रहने वाले मैतेई बच्चों के लिए, कुछ ही मीटर की दूरी पर स्थित एक सरकारी स्कूल आराम का स्रोत बन गया है.

3 मई को, मणिपुर में गैर-आदिवासी मैतेई और आदिवासी कुकी के बीच जातीय झड़पें हुईं. इसके बाद से जारी हिंसा में 150 से अधिक लोग मारे गए हैं और कई हजार लोग विस्थापित हुए हैं.

विस्थापितों में वे बच्चे भी शामिल थे जो अब आइडियल गर्ल्स कॉलेज में रह रहे हैं. इन बच्चों के लिए, जो पहले से ही अपने घरों को आग की लपटों में निगल जाने के कारण भागने की कोशिश कर रहे लोगों की भयावह छवियों से दबे हुए हैं, इम्फाल के सिंगजामेई वांग्मा में ईस्टर्न आइडियल हाई स्कूल सामान्य स्थिति का प्रतीक है. इसकी दीवारों के भीतर, वे दोस्त बनाते हैं, शिक्षकों से बात करते हैं, खेल खेलते हैं, पढ़ाई करते हैं और कुछ क्षणों के लिए अपने आघात को भूल जाते हैं.

मणिपुर राज्य स्कूल शिक्षा विभाग ने सभी जिला और स्कूल अधिकारियों से विस्थापित छात्रों को राज्य-संचालित और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में दाखिला लेने की अनुमति देने के लिए कहा है. परिणामस्वरूप, ईस्टर्न आइडियल हाई स्कूल ने 199 से अधिक ऐसे छात्रों का स्वागत किया है, जो सभी नए वातावरण में ढलने का प्रयास कर रहे हैं.

राहत शिविर में वे 700 से अधिक मैतेई आश्रयों से आए हैं – सभी को मोरे में उनके घरों से बाहर निकाल दिया गया है. और स्कूल में एक दिन बिताने के बाद, यह आइडियल गर्ल्स कॉलेज, अकम्पट में शिविर में वापस आ गया है.

मैतेई नाम के समानंदा, जो राहत शिविर में रहते हैं और वहां स्वयंसेवक भी हैं, ने दिप्रिंट को बताया, “कभी-कभी वे रोते हैं और घर वापस जाने की इच्छा व्यक्त करते हैं. उन क्षणों में, हम उन्हें आश्वस्त करते हैं कि हम सभी जल्द ही लौट आएंगे.” “मुझमें उन्हें यह बताने का साहस नहीं है कि हम कभी वापस नहीं लौटेंगे. मैं उन्हें बता नहीं सकता कि उनके घर भी जलकर राख हो गए. वे समझने के लिए बहुत छोटे हैं.”

शिविर में, सब कुछ साझा किया जाता है – चाहे वह पका हुआ भोजन हो, टेलीविजन देखना हो या एक-दूसरे की कहानियां हों. संख्या में ताकत और सांत्वना है.

तस्वीरों के माध्यम से, दिप्रिंट के राष्ट्रीय फोटो संपादक प्रवीण जैन मैतेई के जीवन की एक झलक पेश करते हैं, जो टेंगनौपाल के मोरेह में अपने गांव से विस्थापित हो गए थे.

At the camp everyone live together especially kids | Photo: Praveen Jain | ThePrint
आइडियल गर्ल्स कॉलेज, अकम्पट के राहत शिविर के निवासी एक बड़े परिवार की तरह रहते हैं | प्रवीण जैन | दिप्रिंट
Naroem student from Imphal ( left) and Thoibi from Moreh playing together in the school | Photo: Praveen Jain | ThePrint
इंफाल के नारोएम (बाएं), और मोरेह के विस्थापित छात्र थोइबी, ईस्टर्न आइडियल हाई स्कूल में खेलते हुए | प्रवीण जैन | दिप्रिंट
Benaobi from Moreh (Left) and Thadoisana from Imphal study in the school. They are now best friends| Photo: Praveen Jain | ThePrint
मोरेह की बेनाओबी (बाएं) और इम्फाल की थडोइसाना अब बहुतअच्छे दोस्त हैं | प्रवीण जैन | दिप्रिंट
Children who have fled from their homes with families are studying in the school | Photo: Praveen Jain | ThePrint
विस्थापित बच्चे स्कूल में खेलते हुए | प्रवीण जैन | दिप्रिंट
All these children have seen violence in their villages |Photo: Praveen Jain | ThePrint
स्कूल में बच्चे कुछ पल के लिए अपना दुख भूल जाते हैं | प्रवीण जैन | दिप्रिंट
Children play different games together. There is no sign of tension between these kids | Photo: Praveen Jain | ThePrint
छात्रों के लिए, स्कूल सामान्य स्थिति का प्रतीक है | प्रवीण जैन | दिप्रिंट
It is recess time in the school. Kids run to get their meals | Photo: Praveen Jain | ThePrint
यह स्कूल में छुट्टी का समय है और इसका मतलब है भोजन और खेल का समय | प्रवीण जैन | दिप्रिंट
A girl walks out after taking her meal | Photo: Praveen Jain | ThePrint
एक लड़की अपना खाना लेकर बाहर निकलती है | प्रवीण जैन | दिप्रिंट
There are 199 chidlren studying The Eastern Ideal High School Akampat | Photo: Praveen Jain | ThePrint
ईस्टर्न आइडियल हाई स्कूल, अकम्पट में 199 नए छात्र पढ़ रहे हैं | प्रवीण जैन | दिप्रिंट
After school finishes up, children walk to home with their mother | Photo: Praveen Jain | ThePrint
स्कूल ख़त्म हो गया और बच्चे राहत शिविर की ओर वापस जा रहे है | प्रवीण जैन | दिप्रिंट
Children returning to the camp | Photo: Praveen Jain | ThePrint
स्कूल में दिन बिताने के बाद शिविर में वापस जाते बच्चें | प्रवीण जैन | दिप्रिंट
A boy looks out of the window in the camp | Photo: Praveen Jain | ThePrint
आइडियल गर्ल्स कॉलेज, अकम्पट के राहत शिविर में एक लड़का खिड़की से बाहर देखते हुए | प्रवीण जैन | दिप्रिंट
Kids in the school play badminton | Photo: Praveen Jain | ThePrint
ईस्टर्न आइडियल हाई स्कूल, अकम्पट में दो लड़के खेलते हुए | प्रवीण जैन | दिप्रिंट
At Churachandpur camp, a toddler shows off bangles | Photo: Praveen Jain | ThePrint
आइडियल गर्ल्स कॉलेज के राहत शिविर में, एक बच्ची अपनी चूड़ियाँ दिखाती हुई | प्रवीण जैन | दिप्रिंट
In the camp families eat together | Photo: Praveen Jain | ThePrint
शिविर में, परिवार साथ भोजन करते हैं | प्रवीण जैन | दिप्रिंट
Families at the camp eat from the same plate | Photo: Praveen Jain | ThePrint
भोजन सहित सब कुछ साझा किया जाता है | प्रवीण जैन | दिप्रिंट
In evening, kids sit outside to play | Photo: Praveen Jain | ThePrint
शाम का समय यानी खेल का समय है, और इसका मतलब है बाहर खुले में जाना | प्रवीण जैन | दिप्रिंट
A kid keeps head on her mother lap | Photo: Praveen Jain | ThePrint
एक छोटा बच्चा अपनी मां की गोद में अपना सिर रख लेटा हुआ है | प्रवीण जैन | दिप्रिंट
Kids watching television at the camp | Photo: Praveen Jain | ThePrint
शिविर में, सभी साथ बैठकर टीवी देखते है | प्रवीण जैन | दिप्रिंट
At the camp, there is a hope among everybody | Photo: Praveen Jain | ThePrint
एक दूसरे का साथ आशा और सांत्वना प्रदान करती है | प्रवीण जैन | दिप्रिंट

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