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Tuesday, 7 May, 2024
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मणिपुर में फिर भड़की हिंसा, पिछले 72 घंटों से चल रही गोलाबारी में 5 की मौत और 18 लोग घायल

मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में मई को ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद राज्य में भड़की जातीय हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.

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नई दिल्ली: मणिपुर में चल रहे है दंगो के बीच बिष्णुपुर और चुराचांदपुर जिलों में पिछले 72 घंटों के दौरान कुकी और मेइती के बीच लगातार गोलीबारी के कारण कम से कम पांच लोगों की मौत हो गई और 18 अन्य घायल हो गए. अधिकारियों ने गुरुवार को यह जानकारी दी.

एक अधिकारी ने जानकारी देते हुए कहा कि बिष्णुपुर जिले के खोइरेंटक तलहटी और चुराचांदपुर जिले के चिंगफेई और खौसाबुंग इलाकों में दोनों समूहों के बीच अभी भी गोलीबारी जारी है.

उन्होंने कहा कि हिंसा 29 अगस्त को शुरू हुई जब खोइरेंटक क्षेत्र में भारी गोलीबारी के बाद लगभग 30 वर्षीय एक ग्रामीण स्वयंसेवी की मौत हो गई.

अधिकारियों के मुताबिक, बुधवार शाम को कुछ घंटों की शांति के बाद गोलीबारी की ताजा शुरुआत बृहस्पितवार सुबह हुई. उन्होंने बताया कि बुधवार को हिंसा के दौरान सिर में चोट लगने से घायल हुए एक व्यक्ति की मिजोरम के रास्ते गुवाहाटी ले जाते समय मौत हो गई.

अधिकारियों ने बताया कि हिंसा में घायल हुए एक अन्य व्यक्ति की गुरुवार सुबह लगभग नौ बजे चुराचांदपुर जिले के अस्पताल में मौत हो गई.

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उन्होंने बताया कि चिंगफेई इलाके में बुधवार शाम हुई गोलीबारी में घायल हुए पांच लोगों में से तीन को चुराचांदपुर जिला अस्पताल लाया गया था.

बिष्णुपुर के नारायणसेना गांव के पास मंगलवार को हिंसा की विभिन्न घटनाओं में दो लोगों की मौत हो गई थी और छह अन्य घायल हो गए थे.

सूत्रों ने बताया कि एक की मौत गोली लगने हुई थी जबकि दूसरे की मौत खुद की देसी बंदूक से गोली चेहरे पर लगने से हुई.

इस बीच, इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (आईटीएलएफ) ने चुराचांदपुर में तत्काल प्रभाव से आपातकालीन बंद का आह्वान किया है. आईटीएलएफ के एक बयान में कहा गया है कि पानी और चिकित्सा आपूर्ति सहित आवश्यक सेवाओं को बंद के दायरे से छूट दी गई है.

आईटीएलएफ ने एक अलग बयान में दावा किया गया कि पीड़ितों में गायक एलएस मंगबोई लुंगडिम (50) भी शामिल हैं, जिन्होंने तीन मई को मणिपुर में जातीय हिंसा भड़कने के बाद ‘आई गम हिलौ हैम’ (क्या यह हमारी भूमि नहीं है?) गीत तैयार किया था और यह आदिवासी एकता का नारा बन गया था.

मणिपुर पुलिस ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया कि सुरक्षा बलों द्वारा कांगपोकपी, थौबल, चुराचांदपुर और इंफाल-पश्चिम जिलों के सीमांत और संवेदनशील इलाकों में तलाशी अभियान चलाया गया. इस दौरान पांच हथियार, 31 गोला-बारूद, 19 विस्फोटक, आईईडी सामग्री के तीन पैक बरामद किए गये.

पुलिस ने विभिन्न जिलों में 130 नाके भी लगाए हैं और नियमों का उल्लंघन करने पर 1,646 लोगों को हिरासत में लिया है.

मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में तीन मई को ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद राज्य में भड़की जातीय हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.

राज्य की आबादी में मेइती समुदाय की हिस्सेदारी लगभग 53 प्रतिशत है और वे मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं. वहीं, नगा और कुकी जैसे आदिवासी समुदायों की आबादी 40 प्रतिशत है और उनमें से ज्यादातर पर्वतीय जिलों में रहते हैं.

(भाषा के इनपुट्स के साथ)


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