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बुधवार, 18 जून, 2025
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अमेरिका तक पहुंचा बिहार का मखाना, 10 वर्षों में दोगुनी हुई खेती

20 अगस्त 2022 को केंद्र सरकार द्वारा ‘मिथिला मखाना’ को भौगोलिक संकेतक (GI टैग) मिलने के बाद इसकी ब्रांड वैल्यू और पहचान में जबरदस्त वृद्धि हुई है. इससे न केवल स्थानीय उत्पादकों को लाभ हुआ है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुंच आसान हो गई है.

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पटना: बिहार का मखाना अब न केवल देशभर में बल्कि विदेशों में भी अपनी पहचान बना रहा है. राज्य सरकार के सुनियोजित प्रयासों का ही नतीजा है कि अब मखाना की खेती का रकबा और उत्पादकता दोनों दोगुनी हो गई है. हाल ही में सुधा ब्रांड के तहत मखाना की पहली खेप अमेरिका भेजी गई है, जिससे किसानों के उत्साह में नई जान आई है.

2012 तक राज्य में करीब 13 हजार हेक्टेयर भूमि पर मखाना की खेती होती थी, जो अब बढ़कर 35,224 हेक्टेयर तक पहुंच गई है. इसके साथ ही उत्पादकता में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है—जहां पहले प्रति हेक्टेयर औसतन 16 क्विंटल उत्पादन होता था, वहीं अब यह बढ़कर 28 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हो गया है. इससे किसानों की आमदनी में सीधा इजाफा हुआ है.

मखाना उत्पादन में इस वृद्धि का श्रेय राज्य सरकार की मुख्यमंत्री बागवानी मिशन योजना और मखाना विकास योजना को जाता है. उच्च गुणवत्ता वाले बीज और आधुनिक तकनीकों के इस्तेमाल से किसानों को मखाना उत्पादन के बेहतर अवसर मिले हैं. इस समय राज्य के लगभग 25,000 किसान इस पारंपरिक लेकिन आर्थिक रूप से लाभकारी फसल से जुड़े हैं.

20 अगस्त 2022 को केंद्र सरकार द्वारा ‘मिथिला मखाना’ को भौगोलिक संकेतक (GI टैग) मिलने के बाद इसकी ब्रांड वैल्यू और पहचान में जबरदस्त वृद्धि हुई है. इससे न केवल स्थानीय उत्पादकों को लाभ हुआ है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुंच आसान हो गई है.

फिलहाल दरभंगा, मधुबनी, कटिहार, अररिया, पूर्णिया, किशनगंज, सुपौल, मधेपुरा, सहरसा और खगड़िया जैसे 10 जिलों में मखाना उत्पादन प्रमुख रूप से होता है, लेकिन बढ़ती मांग को देखते हुए इसकी खेती अब 16 जिलों तक विस्तारित की जा रही है. आज देश में कुल मखाना उत्पादन का 85 प्रतिशत अकेले बिहार से आता है.

मखाना उत्पादन से राज्य की आय में भी उल्लेखनीय इजाफा हुआ है. 2005 से पहले जहां मखाना और मत्स्य जलकरों से राज्य को मात्र 3.83 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होता था, वहीं 2023-24 में यह बढ़कर 17.52 करोड़ रुपये हो गया. यानी लगभग 4.57 गुना की वृद्धि.

बढ़ती वैश्विक मांग और निर्यात की संभावनाओं को देखते हुए राज्य सरकार अब मखाना बोर्ड के गठन की तैयारी कर रही है. यह बोर्ड मखाना के समेकित विकास जैसे—खेती विस्तार, यंत्रीकरण, प्रसंस्करण, विपणन और निर्यात—को एक दिशा देगा.

दरभंगा स्थित मखाना अनुसंधान केंद्र और सबौर कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित प्रजातियां जैसे ‘स्वर्ण वैदेही’ और ‘सबौर मखाना-1’ को भी सरकार प्रोत्साहित कर रही है. किसानों को इनके बीज दिए जा रहे हैं और फसल के प्रदर्शन कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं.

कृषि विभाग द्वारा मखाना संग्रहण के लिए भंडारण गृहों के निर्माण पर अनुदान दिया जा रहा है. साथ ही राज्य और राज्य के बाहर मखाना की ब्रांडिंग और प्रचार-प्रसार के लिए मखाना महोत्सव का आयोजन भी किया जा रहा है.

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