पुणे: महाराष्ट्र में बड़े पैमाने पर कोरोना रोगियों के गायब होने की सूचनाएं मिल रही हैं. अकेले पुणे शहर की ही बात करें तो कोरोना संक्रमण से पीड़ित होने के बाद होम आइसोलेशन यानि घर पर उपचार लेने वाले 2,289 मरीज लापता पाए गए हैं. यह जानकारी पुणे नगर-निगम ने दी है.
साथ ही, उसने यह भी माना है कि उसके द्वारा इन रोगियों का पता नहीं लगाया जा पा रहा है. कोरोना के ये रोगी मोबाइल पहुंच से भी बाहर बताए जा रहे हैं. इसलिए, नगर-निगम प्रशासन इन्हें लेकर चिंतित है. यही वजह है कि पुणे नगर निगम इन मरीजों का पता लगाने के लिए अब पुलिस की मदद लेने की तैयारी कर रहा है.
पुणे नगर-निगम में स्वास्थ्य विभाग के सहायक प्रमुख डॉक्टर संजीव वावरे ने बताया कि बीते दिनों स्वास्थ्य विभाग द्वारा शहर में 24,011 नए कोरोना संक्रमितों की सूची तैयार की गई थी. इनमें 14,712 विभिन्न अस्पतालों में रहकर अपना उपचार करा रहे हैं. जबकि, 9,299 रोगी होम आइसोलेशन में हैं. लेकिन, होम आइसोलेशन वाले 2,289 मरीजों के मोबाइल नंबर नहीं लग रहे हैं. अब हम इन्हें पुलिस की मदद से ढूंढ़ने की कोशिश करेंगे.
लेकिन, नगर-निगम द्वारा कोशिश करने के बावजूद जब दो हजार से अधिक घर पर इलाज कराने वाले कोरोना मरीजों से संपर्क नहीं हुआ तो प्रशासन स्तर पर इसे एक बड़ी लापरवाही मानी गई. यही वजह है कि प्रशासन इस संबंध में अब पुलिस की मदद लेने की तैयारी कर रही है.
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नगर निगम ने निजी लैब प्रबंधन पर डाली अपनी जिम्मेदारी
पुणे नगर निगम ने इस सूचना की पुष्टि के पीछे की वजह को स्पष्ट करते हुए बताया कि उसके द्वारा पिछले दिनों कोरोना परीक्षण संग्रह केंद्र और निजी लैब प्रबंधन की ओर से दी जाने वाली रिपोर्ट में बड़ी चूक हुई हैं. नगर-निगम की मानें तो इस दौरान जिम्मेदार एजेंसियों ने उसे दो हजार से अधिक कोरोना रोगियों की गलत और अधूरी जानकारियां दी हैं.
इस स्थिति पर पुणे नगर-निगम के स्वास्थ्य विभाग के एक दूसरे अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘जो विवरण उसे लैब प्रबंधकों ने दिए थे उसने उसी के आधार पर रोगियों की सूची बनाई थी. लैब प्रबंधक विभाग को जो विवरण देते हैं विभाग उसी के आधार पर रोगियों तक पहुंचता है.’
राज्य में होम आइसोलेशन के तहत कोरोना का उपचार करा रहे मरीजों के गायब होने की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं. इसके बाद इन मरीजों को ढूंढ़ने के लिए पुलिस से सहयोग लिया जाता है. पुणे नगर-निगम भी होम आइसोलेशन से गायब कोरोना रोगियों को ट्रैक करने के मामले में भी पुलिस से ही मदद मांग रही है. सूत्रों का कहना है, ‘पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा अपराध शाखा को इन रोगियों का पता लगाने के लिए कहा भी जा चुका है.’
हालांकि, कुछ निजी लैब प्रबंधन इस गैर-जिम्मेदारना घटना के बारे में सफाई देते हुए कह रहे हैं कि उनके द्वारा कोरोना रोगियों की संख्या से जुड़ी सभी जानकारियां उपलब्ध करा दी गई थीं और यदि तथ्य जुटाने में गड़बड़ियां हुई हैं तो इसके लिए रोगी या उनके परिजन जिम्मेदार हैं, क्योंकि उन्होंने रोगी या उनके परिजनों द्वारा बताई गई जानकारी के मुताबिक ही रिकार्ड तैयार किया है.
बता दें कि होम आइसोलेशन में कोरोना संक्रमित उन मरीजों को रखा जा रहा है जिनमें मेडिकल जांच के दौरान संक्रमण से संबंधित हल्के और बहुत हल्के लक्षण दिखाई दे रहे हैं. इसके लिए मेडिकल जांच एजेंसियों द्वारा ऐसे रोगियों की बुनियादी जानकारी लेने के उद्देश्य से विशेषकर उनके मोबाइल नंबर, घर का पता और अन्य बीमारियों से जुड़ी हुई सूचनाएं दर्ज की जा रही हैं.
इसके तहत यदि कोई व्यक्ति कोरोना संक्रमित पाया जाता है तो मेडिकल जांच करने वाली एजेंसी की जिम्मेदारी होती है कि वह रोगी से जुड़ी सारी जानकारी नगर-निगम को दे. यह सारा रिकार्ड कोरोना संक्रमण की जांच के दौरान ही लिखा जाना चाहिए. इसके आधार पर ही घर में इलाज कराने वाले रोगियों की निगरानी और उनके स्वास्थ्य से संबंधित अपडेट लिए जा सकते हैं.
दरअसल, होम आइसोलेशन वाले रोगियों के लिए जिला प्रशासनिक स्तर पर एक अलग प्रणाली तैयार की गई है. बता दें कि इसके तहत होम आइसोलेशन वाले रोगियों की संपर्क सूची नगर-निगम के पास होती है. इसी सूची के आधार पर होम आइसोलेशन में इलाज करा रहे रोगियों से संपर्क रखने की जिम्मेदारी भी नगर-निगम की ही होती है.
इसी के तहत जब नगर-निगम ने पिछले सप्ताह पंजीकृत रोगियों के रिकॉर्ड की खोजबीन की तो दो हजार से अधिक घर में इलाज कराने वाले कोरोना रोगी उसके संपर्क से बाहर पाए गए. यहां तक कि घर के दिए पते और मोबाइल के आधार पर खोजने के बावजूद नगर-निगम को दो हजार से अधिक कोरोना रोगियों का पता नहीं चला.
इस बारे में पुणे नगर-निगम के सहायक स्वास्थ्य प्रमुख डॉक्टर संजीव वावरे बताते हैं, ‘कोरोना संक्रमण के नियंत्रण के लिए हम घर पर इलाज करा रहे मरीजों के स्वास्थ्य को अधिक प्राथमिकता दे रहे हैं. हम हर मरीज के घर तक पहुंच रहे हैं.’
वावरे ने दिप्रिंट को बताया, ‘हम उन लोगों की जांच कर रहे हैं. उन्हें स्वास्थ्य सुविधा दे रहे हैं. साथ ही, उनकी भी जांच कर रहे हैं जो मरीज के संपर्क में आए हैं और अपने परिवारों के साथ कहीं और भी संपर्क में हैं. जिन प्रकरणों में कोई रिकॉर्ड नहीं मिल रहा है, हम संबंधित लैब से संपर्क कर रहे हैं.’
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हालांकि, होम आइसोलेशन कोरोना मरीजों की निगरानी की जिम्मेदारी पुलिस को ही दी जा रही है. पुलिस घर पर इलाज कराने वाले इन मरीजों का मूवमेंट रोकने के लिए भी उन पर नजर रख रही है. इस तरह, पुलिस यह सुनिश्चित कर रही है कि होम आइसोलेशन वाले कोरोना मरीज अन्य लोगों के संपर्क में आए बिना पूरी तरह घर पर ही रहें. लेकिन, हजारों की संख्या में कोरोना मरीजों से संपर्क नहीं होने के कारण नगर-निगम के स्वास्थ्य विभाग की मुश्किलें बढ़ गई हैं. ऐसे मरीजों को अब पुलिस की क्राइम ब्रांच द्वारा ढूंढ़ा जाएगा. कारण यह है कि पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी क्राइम ब्रांच को इन रोगियों का पता लगाने के लिए निर्देशित किया है.
मुंबई के बाद पुणे बना हॉट स्पॉट
बता दें कि पुणे शहर देश में कोरोना का बड़ा हॉट स्पॉट बनकर उभरा है. यहां अब तक साढ़े पांच लाख से अधिक कोरोना टेस्ट किए जा चुके हैं. सक्रिय मरीजों के मामले में यह राज्य में नंबर एक पर आ चुका है. सक्रिय मरीजों की संख्या की बात की जाए तो पुणे अब मुंबई और आगे से बहुत आगे निकल चुका है. वहीं, पुणे नगर-निगम प्रशासन द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक यहां सात हजार से अधिक मरीज निजी मेडिकल सुविधा हासिल कर रहे हैं. वहीं, अब तक दो हजार 289 मरीज गायब हो चुके हैं.
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दूसरी तरफ, पुणे नगर-निगम की एक चिकित्सक डॉक्टर वैशाली जाधव इस बारे में बात करने पर कहती हैं, ‘शहर के सभी कोरोना मरीज पंजीकृत किए गए हैं. उनमें से प्रत्येक के नाम सरकारी रिकार्ड में दर्ज किए गए हैं. हालांकि, हम उन रोगियों के मोबाइल नंबरों से संपर्क कर रहे हैं जिनके पास घर का पता रिकॉर्ड में दर्ज नहीं हो सका है. इसलिए, हमें उम्मीद है कि हम 12 से 15 प्रतिशत मरीजों को ढूंढ़ लेंगे. इसके लिए हम लगातार कोशिश कर भी रहे हैं.
महाराष्ट्र में फिलहाल सक्रिय रोगी 1,58,365, हैं जबकि स्वस्थ्य हुए रोगियों की संख्या -14,17,123 है. अभी तक कुल- 20,037 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं अगर पुणे की बात करें तो वह संक्रमण के मामले में मुंबई से आगे निकल चुका है. यहां फिलहाल एक्टिव केस 41,020 हैं जबकि स्वस्थ्य हुए रोगियों की संख्या 86,393 है. जबकि अबतक 3,193 मौत हो चुकी है.
वहीं अगर मुंबई की बात करें तो एक्टिव केस 17,825 है. हालांकि अभी मुंबई की स्थिति थोड़ी ठीक है और एक लाख से अधिक लोग स्वस्थ होकर घर जा चुके हैं. जबकि 7 हजार से अधिक लोगों की कोरोना संक्रमण की वजह से मौत हो चुकी है.
(शिरीष खरे शिक्षा के क्षेत्र में काम करते हैं और लेखक हैं)