नई दिल्ली: महाराष्ट्र के सोलापुर जिले में शादी की उम्र वाले कुंवारे लड़को ने बैंड-बाजा और घोड़ी पर सवार होकर एक अनोखा मार्च निकाला.
एक संगठन ने बुधवार को ‘दुल्हन मोर्चे’ नामक एक मार्च निकाला था और जिलाधिकारी के कार्यालय में एक पत्र सौंपकर महाराष्ट्र में लैंगिक अनुपात में सुधार के लिए प्रसव पूर्व निदान तकनीक (लिंग चयन प्रतिषेध) (पीसीपीएनडीटी) अधिनियम को कड़ाई से लागू करने की मांग की.
अविवाहित युवकों ने पत्र में यह भी कहा कि राज्य सरकार मार्च में हिस्सा लेने वाले विवाह योग्य युवकों के लिए दुल्हन का इंतजाम करे.
दूल्हे की तरह सिर पर सेहरा सजा कर कई युवक घोड़ी पर चढ़कर बैंड बाजे के साथ जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचे और अपने लिए दुल्हन की मांग की.
कार्यक्रम का आयोजन करने वाले ज्योति क्रांति परिषद के संस्थापक रमेश बारस्कर ने कहा, ‘लोग इस मोर्चे का मजाक उड़ा सकते हैं लेकिन गंभीर वास्तविकता यह है कि विवाह योग्य युवाओं को सिर्फ इसलिए अपने लिए दुल्हन नहीं मिल रही है क्योंकि राज्य में लैंगिक अनुपात अधिक है.’
उन्होंने दावा किया कि महाराष्ट्र में लिंग अनुपात 1,000 लड़कों पर 889 लड़कियां हैं.
बारस्कर ने कहा, ‘यह असमानता कन्या भ्रूण हत्या के कारण बनी हुई है और सरकार इस असमानता के लिए जिम्मेदार है.’
सभी युवको ने दूल्हे की तरह कपड़े, सेहरा, बैंड-बाजा और घोड़ी पर सवार होकर मार्च में हिस्सा लिया और सरकार से अपने लिए दुल्हन की मांग की.