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Sunday, 3 November, 2024
होमदेशमहाराष्ट्र ने कैसे अगले 5 सालों में मुंबई और उपनगरों की अर्थव्यवस्था को 250 अरब डॉलर पर पहुंचाने की योजना बनाई

महाराष्ट्र ने कैसे अगले 5 सालों में मुंबई और उपनगरों की अर्थव्यवस्था को 250 अरब डॉलर पर पहुंचाने की योजना बनाई

महाराष्ट्र सरकार राज्य को एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाना चाहती है. इसके लिए, वह अपने ज्यादा महत्वपूर्ण माने जाने वाले मुंबई मेट्रोपॉलिटन एरिया की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में जुटी है.

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मुंबई: महाराष्ट्र को एक ट्रिलियन-डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के अपने लक्ष्य को पूरा करने के उद्देश्य के साथ राज्य की एकनाथ शिंदे सरकार मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन (एमएमआर)—जिसमें महानगर के अलावा आसपास के उपनगर शामिल हैं—को अगले पांच सालों में 250 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने की कवायद में जुटी है.

मुंबई मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र के विकास की जिम्मेदारी संभालने वाली सरकारी एजेंसी मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी (एमएमआरडीए) के आयुक्त एस.वी.आर श्रीनिवास ने दिप्रिंट को बताया कि प्राधिकरण ने क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लक्ष्य के साथ एक विस्तृत प्रोजेक्ट का प्रस्ताव तैयार करने के लिए बोलियां आमंत्रित की है. इसका उद्देश्य प्रमुख ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं का पूरा लाभ उठाना है जो कि मुंबई की उसके उपनगरों के साथ दूरी घटाने के उद्देश्य के साथ जारी हैं.

श्रीनिवासन ने कहा, ‘भारत का लक्ष्य 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का है. वहीं, महाराष्ट्र 1 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था का लक्ष्य देख रहा है, और इसका एक बड़ा हिस्सा एमएमआर से आएगा. राज्य की अर्थव्यवस्था को घटाने या बढ़ाने में यह क्षेत्र काफी मायने रखता है.’

एमएमआरडीए के बोली दस्तावेजों के मुताबिक, एमएमआर क्षेत्र का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) अभी लगभग 0.14 ट्रिलियन डॉलर है. इसकी 4,500 डॉलर की प्रति व्यक्ति जीडीपी महाराष्ट्र या निश्चित तौर पर भारत की तुलना में लगभग दोगुनी है.

एमएमआरडीए के अनुमान के मुताबिक, एमएमआर महाराष्ट्र के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग एक तिहाई हिस्सा है और महाराष्ट्र राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 10 प्रतिशत योगदान देता है.


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‘इंफ्रा प्रोजेक्ट एमएमआर के लिए बेहद खास’

एमएमआरडीए के मुताबिक, 6,328 वर्ग किलोमीटर एमएमआर में नौ नगर निगम, नौ नगर परिषद, एक नगर पंचायत और एक हजार से अधिक गांव शामिल हैं. 2011 की जनगणना के मुताबिक इसकी आबादी 2.35 करोड़ है.

श्रीनिवास ने कहा कि अब तक एमएमआर की जीडीपी का बड़ा हिस्सा मुंबई से ही आता रहा है. साथ ही जोड़ा, ‘लेकिन परिवहन से जुड़ी प्रमुख बुनियादी ढांचागत परियोजनाओं, खासकर निर्माणाधीन सेवरी-न्हावा शेवा मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक, के साथ यह पूरे क्षेत्र के लिए ही खुद को आर्थिक गतिविधि के प्रमुख केंद्र के रूप में स्थापित करने का एक अच्छा मौका है.’

उन्होंने कहा, ‘इससे मेन लैंड के लिए विकास के मौके मुहैया होंगे, और इसका लाभ सभी को मिलेगा. लेकिन, विचार यह है कि हमें जनता को अधिक से अधिक लाभ पहुंचाने के लिए तैयार रहना चाहिए. यह न केवल एमएमआर के सकल घरेलू उत्पाद को बढ़ाने के लिए है बल्कि सकल घरेलू उत्पाद में जनता की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए भी है.’

संभवत: इस साल दिसंबर तक परिचालन के लिए खुल जाने वाला 22 किमी सेवरी-न्हावा शेवा ट्रांस-हार्बर लिंक—जिसे देश का सबसे लंबा समुद्री लिंक माना जाता है—द्वीप शहर मुंबई और मेनलैंड के बीच की दूरी को घटाकर महज कुछ ही मिनट की कर देगा. साथ ही, निर्माणाधीन नवी मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट के निर्माण से एमएमआर में शामिल एयरपोर्ट के आसपास वाले शहरों में विकास को गति मिलने की भी संभावना है. हार्बर लिंक एयरपोर्ट को कनेक्ट करने वाला एक प्रमुख साधन होगा.

एमएमआरडीए विरार से अलीबाग तक 126 किलोमीटर का मल्टी-मॉडल कॉरिडोर बनाने की भी योजना बना रहा है जो एमएमआर के लगभग हर महत्वपूर्ण शहर को जोड़ेगा. एमएमआर के भीतर कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने और शहर के साथ मुंबई के उपनगरों की कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के लिए मेट्रो रेल लाइनों के एक नेटवर्क की भी योजना है.

श्रीनिवास ने कहा कि एमएमआरडीए इन प्रमुख परिवहन गलियारों के करीब विकास केंद्र बनाना चाहता है जिससे आगे की योजना बनाने के लिए रोडमैप तैयार करने से मदद मिलेगी. इसीलिए, परामर्शदाताओं से प्रस्ताव आमंत्रित किए गए हैं.

250 अरब डॉलर अर्थव्यवस्था का रोडमैप

एमएमआरडीए इसकी शुरुआत कम से कम पांच विश्व स्तर के मॉडल के अध्ययन के साथ शुरू करने की योजना बना रहा है, जहां शहरों ने खुद को सफलतापूर्वक स्थिर अर्थव्यवस्था, सस्ते सार्वजनिक परिवहन, किफायती अचल संपत्ति, अच्छी गुणवत्ता वाले बुनियादी सामाजिक और स्वास्थ्य ढांचे, और विकास परियोजनाओं के वित्तपोषण के मजबूत स्रोत में तब्दील कर लिया.

विकास प्राधिकरण शहरी क्षेत्र को विदेशी निवेश के लिए आकर्षक डेस्टिनेशन बनाने के उद्देश्य के साथ एमएमआर में अधिक से अधिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को आकर्षित करने की रणनीति तैयार करना चाहता है.

एमएमआर में पहले से ही ठाणे, भिवंडी, और तलोजा जैसे औद्योगिक और लॉजिस्टिक सेंटर शामिल हैं जो सभी बुनियादी ढांचा परियोजनाएं एक बार पूरी हो जाने पर न केवल एक-दूसरे के साथ बल्कि मुंबई के साथ भी अच्छी तरह कनेक्ट हो जाएंगे.

श्रीनिवास ने कहा कि आइडिया पूरे एमएमआर में तीन प्रमुख घटकों—श्रम बाजारों, कमोडिटी बाजारों और कच्चे माल—को जोड़ने पर ध्यान केंद्रित करने का है.

एमएमआरडीए के बोली दस्तावेज़ों के अनुसार सलाहकारों को भारत और एमएमआर में अपना आधार स्थापित करने की इच्छुक हजार से अधिक वैश्विक कंपनियों के लिए कस्टमाइजेबल प्लान तैयार करने और संभावित परिदृश्य का विश्लेषण करने की जरूरत होगी.

(अनुवाद: रावी द्विवेदी | संपादन: आशा शाह)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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