भोपाल: अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस मध्यप्रदेश के लिए खास मायने रखता है. प्रदेश ने न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया में भी खुद को ‘टाइगर स्टेट’ के रूप में स्थापित किया है. 2022 की बाघ गणना में भारत में कुल 3,682 बाघों की पुष्टि हुई, जिसमें सबसे ज्यादा 785 बाघ अकेले मध्यप्रदेश में पाए गए.
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की पहल पर बाघों के संरक्षण के लिए कई ठोस कदम उठाए गए हैं. बाघ रहवास वाले क्षेत्रों में सक्रिय प्रबंधन, कोर क्षेत्रों से गांवों का विस्थापन और वन्यजीवों के लिए बेहतर आवास क्षेत्र विकसित करना इन प्रयासों का हिस्सा है. कान्हा, पेंच, सतपुड़ा और कूनो जैसे टाइगर रिजर्व इन प्रयासों की जीती-जागती मिसाल हैं.
सतपुड़ा टाइगर रिजर्व को यूनेस्को की संभावित विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है. वहीं, केंद्र सरकार की रिपोर्ट में पेंच टाइगर रिजर्व को देश में सर्वश्रेष्ठ प्रबंधन वाला रिजर्व घोषित किया गया है. कान्हा, बांधवगढ़, संजय और सतपुड़ा भी शीर्ष श्रेणी में शामिल हैं.
प्रदेश में बाघों की निगरानी के लिए जीन टेस्टिंग, ड्रोन स्क्वाड और M-STrIPES मोबाइल ऐप जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है. उज्जैन और जबलपुर में रेस्क्यू सेंटर भी बन रहे हैं, जिससे घायल या संकटग्रस्त बाघों की सहायता की जा सके.
कान्हा, पेंच, सतपुड़ा और अन्य टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्रों से गांवों को हटाकर वन्य प्राणियों के लिए सुरक्षित आवास क्षेत्र तैयार किए गए हैं. घास के मैदानों का विकास, चीतल जैसे शाकाहारी प्राणियों की पुनर्स्थापना और प्राकृतिक चारे की उपलब्धता से बाघों का भोजन चक्र सशक्त हुआ है.
मध्यप्रदेश के टाइगर रिजर्व अब पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बन चुके हैं. पिछले 5 वर्षों में 85,742 विदेशी और 7.38 लाख भारतीय पर्यटक पहुंचे, जिससे प्रदेश को लगभग 61 करोड़ रुपए की आय हुई.
भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून की रिपोर्ट के अनुसार, शाकाहारी वन्य प्राणियों की अधिकता, जंगल-घास के मैदान और जल संसाधनों की मौजूदगी के कारण कान्हा टाइगर रिजर्व बाघों के लिए आदर्श है. कोर क्षेत्रों से गांवों के हटने से बाघों को निर्बाध विचरण का क्षेत्र मिला है.
वन विभाग और पुलिस की संयुक्त कार्रवाई, ड्रोन और कैमरा ट्रैप जैसी तकनीकों से शिकारियों पर कड़ी नजर रखी जा रही है. साथ ही, ग्राम वन समितियों और जन जागरूकता अभियानों से संरक्षण कार्यों को जन सहयोग भी मिल रहा है.
29 जुलाई 2010 को रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में हुए अंतरराष्ट्रीय बाघ सम्मेलन में बाघ दिवस मनाने का निर्णय लिया गया था. इसमें 13 देशों ने 2022 तक बाघों की संख्या दोगुनी करने का संकल्प लिया था. मध्यप्रदेश ने इस लक्ष्य को समय रहते पूरा कर यह साबित कर दिया है कि प्रतिबद्धता और संरक्षण नीति अगर सही दिशा में हो तो परिणाम असाधारण हो सकते हैं.