नई दिल्ली: मध्यप्रदेश सरकार राज्य के खनन (माइनिंग) सेक्टर को आर्थिक समृद्धि और विकास का प्रमुख आधार बनाने पर जोर दे रही है. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट-2025 के दूसरे दिन 25 फरवरी को माइनिंग सत्र में कहा कि सरकार माइनिंग से होने वाले राजस्व को 11 हजार करोड़ रुपये से बढ़ाकर अगले पांच सालों में 55 हजार करोड़ रुपये तक ले जाने का लक्ष्य बना रही है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्यप्रदेश में हीरा, लाइमस्टोन, डोलोमाइट, मैग्नीशियम और आयरन जैसे कई खनिज संसाधनों की अपार संभावनाएं हैं. सरकार अब केवल रॉ मटेरियल बेचने के बजाय अपने खुद के उत्पाद तैयार करने की दिशा में कार्य करेगी। इस रणनीति के तहत राज्य के खनन क्षेत्र को नया स्वरूप देने और इसे उद्योगों से जोड़ने की योजना है.
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में मध्यप्रदेश के विकास के लिए सभी विभागों को एकीकृत कर राज्य को आर्थिक रूप से मजबूत, रोजगारपरक और प्रगतिशील बनाया जाएगा। खनिज संसाधनों की प्रचुरता को देखते हुए सरकार इस क्षेत्र में निवेश को आकर्षित करने और पारदर्शी व्यवस्थाएं लागू करने पर काम कर रही है.
डॉ. मोहन यादव ने बताया कि मध्यप्रदेश पूरे देश में एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां प्राकृतिक रूप से हीरा पाया जाता है. खास बात यह है कि यह खनिज जिस क्षेत्र में मिलता है, उसका नाम भी ‘पन्ना’ है, जिससे भविष्य में इस क्षेत्र के और विकसित होने की संभावना है.
राज्य सरकार ओडिशा के खनन मॉडल को अपनाकर अपनी नीतियों को प्रभावी ढंग से लागू करने की दिशा में कार्य कर रही है. सरकार का मानना है कि यदि सभी प्रक्रियाओं को सरल और पारदर्शी बनाया जाए, तो माइनिंग सेक्टर से प्रदेश के राजस्व में बड़ा योगदान मिल सकता है.
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