श्योपुर (मध्य प्रदेश): मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने बुधवार को दो वयस्क चीतों — आशा और वीरा के साथ तीन नवजात चीता शावकों को कुनो राष्ट्रीय उद्यान में छोड़ा.
मुख्यमंत्री यादव ने 4 फरवरी को घोषणा की थी कि वीरा ने जंगल में स्थित एक बड़े बाड़े में तीन शावकों को जन्म दिया है. वीरा की उम्र करीब 5 साल है.
उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हुए, सीएम यादव ने कहा, ‘‘आज हमने कुनो में पांच चीते, ‘आशा’, ‘वीरा’ और आशा के तीन शावक छोड़े हैं…हमें उम्मीद है कि वे स्वस्थ होंगे.’’
4 फरवरी को, सीएम ने राज्य में चीतों की बढ़ती आबादी पर खुशी व्यक्त की, इसे सफल संरक्षण प्रयासों का प्रमाण बताया.
आज पालपुर-कूनो नेशनल पार्क में मादा चीता 'धीरा' व आशा' और 3 शावकों को बड़े बाड़े से खुले जंगल में छोड़ा गया। इसी अवसर पर अधिकारियों से चीता प्रोजेक्ट के संबंध में समीक्षा भी की।
यह देखकर अत्यंत सुख की अनुभूति होती है कि कभी एशिया महाद्वीप से ही विलुप्त हो चुके चीते आज… pic.twitter.com/rixgML0xld
— Dr Mohan Yadav (@DrMohanYadav51) February 5, 2025
सीएम ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘मुझे यह जानकारी साझा करते हुए बहुत खुशी हो रही है कि मध्य प्रदेश में चीतों की संख्या लगातार बढ़ रही है. आज मादा चीता वीरा ने 2 शावकों को जन्म दिया है, मध्य प्रदेश की धरती पर चीता शावकों का स्वागत है और मैं इन शावकों के आगमन पर राज्य के लोगों को अपनी हार्दिक बधाई देता हूं.’’
श्योपुर के जिला वन अधिकारी ने भी संरक्षण परियोजना से जुड़े लोगों को बधाई दी.
डीएफओ की ओर से जारी बयान में कहा गया है, ‘‘सभी को बधाई! खास तौर पर अधिकारियों, डॉक्टरों और फील्ड स्टाफ की टीम को, जिन्होंने इस सफलता को सुनिश्चित करने के लिए दिन-रात काम किया है. इसके साथ ही भारत में चीतों की संख्या अब बढ़कर 26 हो गई है. उम्मीद है कि भारत में चीतों की विरासत भविष्य में भी मजबूत रहेगी.’’
इन दो चीता शावकों के शामिल होने से कुनो नेशनल पार्क में कुल चीतों की संख्या 26 हो गई है, जिसमें 12 वयस्क चीते और 14 शावक हैं.
देश में विलुप्त हो रहे चीतों की मौजूदगी को पुनर्जीवित करने के लिए प्रोजेक्ट चीता की शुरुआत की गई थी. प्रजाति के पहले अंतरमहाद्वीपीय स्थानांतरण के हिस्से के रूप में, 20 चीतों को कुनो नेशनल पार्क में लाया गया था — सितंबर 2022 में नामीबिया से आठ और फरवरी 2023 में दक्षिण अफ्रीका से 12. उनके आगमन के बाद से, परियोजना को चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, जिसमें आठ वयस्क चीते — तीन मादा और पांच नर — मर गए हैं.