रायपुर: रायपुर के आसपास के सरपंचों के लिए लोगों के बीच यह आशंका दूर करना एक मुश्किल काम हो गया है कि कोविड वैक्सीन यौन क्षमता घटाती है, ‘नपुंसक बना देती है.’
कई ग्रामीणों ने टीका लेने के बाद यौन इच्छा घटने की शिकायत की है. ग्रामीण प्रशासन का कहना है कि युवा खासकर अविवाहित लोग टीकाकरण केंद्रों से दूरी बना रहे हैं.
सरपंचों का कहना है, ‘सोशल मीडिया पर इस तरह की अफवाहों’ ने इन गांवों में वैक्सीनेशन के अभियान को पटरी से उतार दिया है.
खौना गांव के 50 वर्षीय सरपंच हेमंत ठाकुर ने कहा, ‘हमने यहां 5,000 पात्र ग्रामीणों में से 10 फीसदी को टीके लगाए हैं. लेकिन सभी पुरुष 45 से ऊपर हैं. 18-44 आयु वर्ग के लोगों को डर है कि वे नपुंसक हो जाएंगे.’ ठाकुर का यह तर्क है कि दोनों खुराक लेने के बाद भी वह ठीकठाक है, लोगों को समझाने के लिए नाकाफी है.
धारसीवा गांव के डिप्टी सरपंच साहिल खान ने कहा कि एक रिश्तेदार ने पहली खुराक लेने के बाद ‘यौन क्षमता खो देने’ की शिकायत की थी. उन्होंने कहा, ‘इस तरह की अफवाहें युवाओं को टीकाकरण से दूर कर रही हैं.’
सिलतारा गांव के डिप्टी सरपंच संजू साहू ने कहा कि उनके यहां लोगों का मानना है कि टीका लगवाने से उनकी प्रजनन क्षमता कम हो जाएगी. साहू ने दिप्रिंट को बताया, ‘वे हमारे मुंह पर कुछ नहीं बोलते लेकिन फिर भी टीका लगवाने से इनकार कर देते हैं.’ सिलतारा में पिछले दो माह में कोविड या कोविड जैसे लक्षणों के कारण 14 लोगों की मौत हुई है.
मौतों के कारण टीके को लेकर हिचकिचाहट बढ़ी
ग्रामीणों को लगता है कि कोविड एंटीटोड भी मौत होने से नहीं रोक सकता. कुछ को डर था कि टीके लगने से उनकी जान चली जाएगी क्योंकि उन्होंने पहली खुराक लेने के बाद लोगों को मरते देखा है.
रायपुर की जिला पंचायत अध्यक्ष डोमेश्वरी वर्मा ने बताया, ‘दूसरी लहर ने रायपुर के आसपास के गांवों में लगभग 250 लोगों की जान ली है. कई मौतों में पुष्टि नहीं होती है. मृत्यु दर ने ग्रामीणों को डरा दिया है. टीका लगवाने के बाद कुछ लोगों की मौत ने मामले को और बिगाड़ दिया है. कई लोग संक्रमित थे क्योंकि उन्होंने कोविड के मद्देनजर जरूरी उपाय नहीं अपनाए, बाहर निकले और सामाजिक दूरी का ख्याल नहीं रखा.’
उनकी टीम लोगों से ऐसा न करने का आग्रह करती रही है. उन्होंने कहा, ‘ग्रामीण हमसे पूछते हैं कि पहली खुराक लेने के बाद भी लोगों की मौत क्यों हुई. हम समझाते हैं कि पूरी तरह प्रतिरक्षा दूसरी खुराक के बाद ही विकसित होती है. इसमें संक्रमित होने पर भी ठीक हो जाना लगभग तय है.’
ग्रामीण चाहते हैं कि प्रशासन उन्हें टीके के ‘दुष्प्रभावों’ से बचाना और उनके परिवारों की देखभाल किया जाना सुनिश्चित करे.
वर्मा ने कहा कि कुछ लोगों ने यह आश्वासन लिखित में मांगा है. उन्होंने कहा, ‘उन्हें समझाने के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं.’
यह भी पढ़ें : बिहार के गांव में इस परिवार ने मां के कोविड की बात छुपाई, अंतिम संस्कार के ‘भोज’ में 600 लोगों को खिलाया
जिला कलेक्टर डॉ. एस भारती दासन ने माना कि कुछ ग्रामीणों को ‘अपनी गलतफहमियों’ के कारण टीकों के बाबत डर सता रहा है. उन्होंने बताया कि एनजीओ घर-घर जाकर वैक्सीन लेने के अनिच्छुक लोगों को समझा रहे हैं.
उन्होंने कहा, ‘स्थानीय अधिकारी विश्वास बढ़ाने की कोशिश में जुटे हैं. हम ग्रामीणों को बताते हैं कि समाज के व्यापक हित के लिहाज से टीकाकरण जरूरी है.’
प्रशासन ग्रामीणों को टीकाकरण के लिए ‘cgteeka.cgstate.gov.in‘ पोर्टल पर पंजीकरण कराने में मदद कर रहा है. दासन ने कहा कि जरूरत पड़ने पर गांवों में विशेष टीकाकरण शिविर लगाए जाएंगे. साथ ही उम्मीद जताई कि ‘आने वाले दिनों में स्थिति में सुधार होगा.’
बढ़ते जा रहे आंकड़े
रायपुर से करीब 16 किलोमीटर दूर पवनी गांव ने 10 से 23 अप्रैल के बीच 25 ग्रामीणों को गंवा दिया है. पूर्व डिप्टी सरपंच गिरिवर वर्मा तो इस कदर घबरा गए कि दूसरी खुराक से कतराते रहे. वर्मा ने कहा, ‘मौतों की एकदम बाढ़ आ जाने के बाद हम यही सोचते रहे कि अगला नंबर किसका होगा. 25 में से सात लोगों ने पहली खुराक ले रखी थी.’
पवनी के एक अन्य ग्रामीण कौशल गौतम ने बताया कि वह परिवार में कमाने वाले एकमात्र सदस्य हैं. उन्होंने कहा, ‘मैंने पहली खुराक तो ले ली है लेकिन दूसरी खुराक लेने में हिचकिचा रहा हूं. टीका लगवाने पर मौत की आशंका को देखते हुए सरकार को हमारे परिवारों के लिए मुआवजे की योजना घोषित करनी चाहिए.’
टिकरी में पिछले डेढ़ महीने में करीब 50 लोगों की मौत हो चुकी है. मरने वालों में कोविड पॉजिटिव ग्रामीण भी शामिल थे, जिनमें लक्षण तो दिखे थे लेकिन उन्होंने टेस्ट नहीं कराया, और वे लोग भी शामिल थे जिन्होंने टीके की पहली खुराक ली थी.
55 वर्षीय ग्रामीण नीलांबर ने 21 अप्रैल को अपना 32 वर्षीय बेटा कोविड के कारण गंवा दिया था. उन्होंने बताया कि 10 ग्रामीणों ने टीके लिए थे, कोई लक्षण नहीं दिखा लेकिन फिर भी उनकी मौत हो गई. नीलांबर ने सवालिया लहजे में कहा, ‘कोई नहीं जानता कि वे कैसे संक्रमित हुए. यही हमें चिंतित करता है. यहां तक कि मेरा भी दूसरी खुराक लेने का कोई इरादा नहीं है जबकि पहली खुराक मैंने 40 दिन पहले ली थी. जब तक सरकार हमारी और हमारे परिवार की जान की सुरक्षा की जिम्मेदारी नहीं लेती, तब तक हमें टीके क्यों लगवाने चाहिए.’
सरपंच खिलेंद्र वर्मा ने कहा कि 50 लोगों में से केवल 15 की मौत कोविड के कारण हुई थी. उन्होंने कहा, ‘यह सच है कि कुछ ने पहली खुराक ली थी लेकिन उन्होंने लक्षणों के बाद टेस्ट कराने की जरूरत नहीं समझी.’
रायपुर से पैंतीस किलोमीटर दूर खौना गांव में 10 अप्रैल से अब तक 30 मौतें हुई हैं.
50 वर्षीय ग्रामीण नारद नेताम ने कहा कि टीकाकरण को लेकर अविश्वास की भावना काफी ज्यादा है. उन्होंने कहा कि पहली खुराक के बाद यहां कई लोगों की मौत हो गई है, जिसने दूसरों को टीके की प्रभावकारिता को लेकर ‘आशंकित’ कर दिया है. उन्होंने कहा, ‘हम पढ़े लिखे नहीं है, धोखा खा गए. अब डर लगने लगा है, मुझे दूसरी डोज नहीं लेनी है.’
धनेली गांव के सरपंच मंटोरा साहू ने अप्रैल में अपने पिता, दादी और बड़े भाई को एक के बाद खो दिया था. उन्होंने कहा, ‘यहां टीके को लेकर काफी अफवाहें हैं. लोगों के मन में बहुत शंकाएं हैं. उनको डर लग रहा है कि टीका लगवाने से उनकी मौत हो जाएगी.’
साहू ने बताया कि उनके गांव में दो महीने में 25 लोगों की मौत हो गई है. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि कई कोविड मरीज होम आइसोलेशन में ठीक हो गए थे.
धारसीवा के सरपंच साहिल खान ने बताया कि उनके यहां और नजदीकी गांव चरौदा में 35 लोगों की मौत हुई है. खान ने कहा, ‘धारसीवा में मरे 17 लोगों में सात-आठ की जान टीकाकरण के बाद गई है. उनमें से कुछ ने कोविड टेस्ट को नजरअंदाज कर दिया था और लक्षण होने के बाद भी घर पर ही रह रहे थे. हम ग्रामीणों को टीका लगवाने के लिए मनाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन इन मौतों ने उन्हें हिलाकर रख दिया है.’
न्यू रायपुर से सटे तीन गांवों कुरुद, खरोरा और परसादा में 40 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. अकेले परसादा में मरने वालों का आंकड़ा 20 है.
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)