नई दिल्ली: हरियाणा के रेवाड़ी, झज्जर और गुरुग्राम में कहर बरपाने के बाद टिड्डी दलों ने इस सप्ताह के अंत में उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों में प्रवेश किया जो कि देश का प्रमुख गन्ना उत्पादन वाला राज्य है.
3-5 स्क्वायर किमी में फैले टिड्डियों के दल ने शनिवार को गुरुग्राम में फसलों को तबाह कर दिया लेकिन दिल्ली इसके प्रकोप से बच गई.
पिछले 48 घंटों में इसने पश्चिमी उत्तर प्रदेश और बुंदेलखंड क्षेत्र के कई जिलों को निशाना बनाया. जिसके बाद आगरा, कासगंज, आजमगढ़, चित्रकूट और झांसी में भी अलर्ट जारी कर दिया गया.
प्रशासन को डर है कि इससे फसलों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा वो भी ऐसे समय में जब अच्छे मानसून के कारण खरीफ की रोपनी जोरों पर है.
लोकस्ट वार्निंग आर्गेनाइजेशन (एलडब्ल्यूओ) के डिप्टी डायरेक्टर केएल गुर्जर ने दिप्रिंट को बताया, ‘हवा के पश्चिम से दक्षिण-पूर्व दिशा में बहने के कारण टिड्डी दल हरियाणा के बाद यूपी और एमपी की ओर मुड़ गया बजाए दिल्ली में घुसने के’.
हरियाणा से आए ये टिड्डी दल 3-4 छोटे दलों में बंट गए जिसमें से एक दल आगरा और कासगंज की तरफ चला गया जबकि एक बड़ा हिस्सा पश्चिमी यूपी के अन्य क्षेत्रों की ओर बढ़ा जिसें छोटा आगरा, बदायूं, एटा शामिल है. इस क्षेत्र में गन्ने की फसल को सबसे ज्यादा खतरा है.
गुर्जर ने कहा, ‘बुंदेलखंड के क्षेत्र में भी इन टिड्डियों को देखा गया है, जिसकी सीमा मध्य प्रदेश से लगती है’. उन्होंने कहा, ‘इससे पहले कि वह सोयाबीन और कपास की फसलों को खतरा पैदा करे और अन्य राज्यों में फैल जाए, उससे पहले वाहन पर लगे स्प्रेयर, आग बुझाने वाले वाहनों और ड्रोन के माध्यम से कीटनाशकों के स्प्रे से उन्हें नियंत्रित किया जा रहा है.’
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खतरे में फसलें
टिड्डी दल पश्चिमी उत्तर प्रदेश और बुंदेलखंड के जिन क्षेत्रों की ओर बढ़े हैं यहां मुख्यत: जून से सितंबर के बीच मानसून सीजन में गन्ना, दाल, कपास, सोयाबीन और धान उगाया जाता है.
अगर इसे नियंत्रित नहीं किया गया तो टिड्डी दल उत्तर प्रदेश में गन्ने की खेती को बुरी तरह से प्रभावित करेंगे जहां देश में 45 प्रतिशत गन्ने की खेती होती है.
2019-20 में गन्ने की खेती 26.97 लाख हेक्टेयर भूमि क्षेत्र पर की गई थी. राज्य में गन्ने का कुल उद्योग 40 हज़ार करोड़ रुपए का है. यह लगभग 35 लाख किसान परिवारों के लिए आय का मुख्य स्रोत भी है और विभिन्न अन्य उद्योगों जैसे शराब, सैनिटाइज़र, इथेनॉल और अन्य मूल्य वर्धित रसायनिक उद्योगों के लिए जरूरी है.
केंद्रीय कृषि मंत्रालय के एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया, ‘टिड्डी दल को समय पर अगर नियंत्रित नहीं किया गया तो ये छोटे समूहों में अन्य क्षेत्रों में फैल सकता है, जिससे उनसे सीमित संसाधनों से निपटना मुश्किल हो जाता है. वर्तमान झुंड यूपी और अन्य सीमावर्ती राज्यों के विभिन्न क्षेत्रों में है और इनके 14-20 दिनों तक रहने का अनुमान है जो कि किए गए उपायों के आधार पर निर्भर करेगा’.
उन्होंने कहा, ‘इस साल, कम से कम 4.8 लाख हेक्टेयर खेती क्षेत्र को टिड्डियों के झुंड ने तबाह कर दिया है. अगर इन्हें नियंत्रित नहीं किया जाता है, तो न केवल खरीफ की फसल को नष्ट करने और देरी करने से सैकड़ों करोड़ों का नुकसान हो सकता है, बल्कि उत्तरी भारत में फल और सब्जियों जैसे प्रमुख बागवानी उत्पादन भी प्रभावित हो सकते हैं.’
अधिकारी ने कहा कि ऐसे कुछ और भीषण टिड्डियों के आक्रमण जुलाई तक हो सकते हैं क्योंकि अफ्रीका के हॉर्न और ईरान-पाकिस्तान सीमा पर भारी प्रजनन की खबरें आ रही हैं.
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राजस्थान, पंजाब और गुजरात में टिड्डियों से निपटने के लिए संसाधन तैनात हैं
अप्रैल के बाद से जब देश टिड्डी के आक्रमणों का सामना कर रहा है, तो राजस्थान, पंजाब और गुजरात के सीमावर्ती राज्यों में, जहां से अब तक आक्रमण हुए हैं, इनका मुकाबला करने के लिए संसाधनों के इस्तेमाल करने की तैयारी है.
हालांकि, इसने अधिकांश अंतर्देशीय कृषि राज्यों को अपने लिए रोक दिया है. राजस्थान से टीमें अब हरियाणा और यूपी में स्थानांतरित कर दी गई हैं ताकि टिड्डी नियंत्रण कार्यों में मदद की जा सके.
हरियाणा और यूपी की राज्य सरकारों ने खेतों में टिड्डी नियंत्रण के लिए ट्रैक्टर पर चलने वाले स्प्रेयर और फायर टेंडर वाहनों की तैनाती का सहारा लिया है.
यूपी के कृषि विभाग के एक अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘गाड़ी पर लगे स्प्रैयर्स और अग्निशमन विभाग की गाड़ियों का इस्तेमाल कर कीटनाशक का छिड़काव किया जा रहा है.’
किसानों को भी ‘थाली’ और अन्य बर्तनों को बजाकर जोर से शोर करने के लिए कहा गया है क्योंकि अगर वे खेतों पर टिड्डियों को रहने देते हैं तो सभी फसलों का सफाया हो जाएगा.
अधिकारी ने कहा, ‘इस बीच राजस्थान के नागौर और जयपुर से जमीनी स्तर पर नियंत्रण करने के लिए जैसलमेर से ड्रोन के साथ यूपी में परिचालन में शामिल करने के लिए भेजा गया है. तब तक, पुलिस वाहनों के साइरन और धुएं का उपयोग कर टिड्डियों को भगाया जाएगा.’
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