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Sunday, 22 December, 2024
होमदेशसीमित मशीनें और स्टाफ, दिल्ली सरकार का एक हफ्ते में दोगुने टेस्ट करने का वादा फेल कर सकती हैं

सीमित मशीनें और स्टाफ, दिल्ली सरकार का एक हफ्ते में दोगुने टेस्ट करने का वादा फेल कर सकती हैं

टेस्टिंग क्षमता आसानी से दोगुनी हो सकती थी, क्योंकि दिल्ली में अधिकतर एंटिजेन टेस्ट हो रहे थे. लेकिन लैबोरेटरीज़ कहती हैं कि संसाधनों की तंगी के कारण, ये कुछ हद तक ही मुमकिन हो पाएगा.

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नई दिल्ली: सरकार और निजी लैब्स जो दिल्ली में कोविड-19 के लिए टेस्टिंग कर रहे हैं, इस बात पर बंटे हुए हैं कि क्या वो एक हफ्ते में, अपनी टेस्टिंग क्षमता को दोगुना कर सकते हैं, जैसा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने वादा किया है.

हालांकि कुछ लैब्स ने, जिनसे दिप्रिंट ने बात की, कहा कि उनके पास टेस्टिंग दोगुना करने की क्षमता है, लेकिन अन्य ने सीमित संसाधनों और स्टाफ की बाकरते हुए कहा, कि टेस्टिंग क्षमता को बढ़ाकर दोगुना करने के लिए, एक हफ्ते का समय बहुत कम है.

बुद्धवार को मुख्यमंत्री ने कहा था, कि दिल्ली में एक हफ्ते में टेस्टिंग क्षमता को दोगुना करके, 40,000 टेस्ट प्रतिदिन कर दिया जाएगा. ये ऐलान उन्होंने एक हफ्ता पहले, दिल्ली में हुई एक उच्चस्तरीय मीटिंग के बाद किया, जिसमें राजधानी में कोरोनावायरस मामलों में आई तेज़ी पर चर्चा की गई थी.

दिल्ली में रोज़ाना मामले 16 अगस्त को 652 से बढ़कर, 26 अगस्त तक 16,93 हो गए. केजरीवाल ने कहा कि हालांकि कुल मिलाकर हालात क़ाबू में हैं, लेकिन ट्रैकिंग, टेस्टिंग और आइसोलेटिंग की रणनीति को, जारी रखने की ज़रूरत है.

27 अगस्त तक, दिल्ली में 1,67, 604 केस दर्ज हो चुके हैं, जिनमें 4,369 मौतें हुई हैं, और 1,500,27 मरीज़ ठीक हो चुके हैं.


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दिल्ली में बढ़ते मामले और घटती टेस्टिंग

दिप्रिंट ने ख़बर दी थी कि नए मामलों में, एक महीने तक कमी देखने के बाद, अगस्त में इनमें फिर इज़ाफा हुआ है. 10 दिनों में रोज़ाना के मामले, दोगुने होकर 26 अगस्त को 1,693 हो गए हैं, जो 16 अगस्त को 652 थे (बॉक्स देखें). 27 अगस्त को, इनकी संख्या बढ़कर 1,840 हो गई, जो पिछले 48 दिनों में सबसे अधिक थी.

मामलों में इज़ाफे के साथ, राष्ट्रीय राजधानी में टेस्टिंग में कमी आई है. कोविडटुडे.इन पर मौजूद आंकड़ों से पता चलता है, कि 16 जुलाई से 16 अगस्त के बीच, रोज़ाना के टेस्टों में 10,000 की गिरावट आई.

16 जुलाई तक रोज़ाना 20,225 टेस्ट हो रहे थे, जो 16 अगस्त तक घटकर 10,709 रह गए.

16 अगस्त से 26 अगस्त के बीच, दो मौक़ों पर प्रतिदिन 20,000 टेस्ट किए गए. (बॉक्स देखें)

मामलों में बढ़ोतरी और टेस्टिंग को गुना करने की ज़रूरत पर रोशनी डालते हुए, केजरीवाल ने कहा, “दिल्ली सरकार एक हफ्ते में टेस्टिंग को दोगुना करके, 40,000 टेस्ट प्रतिदिन कर देगी”.

वायरस के फैलाव को रोकने के लिए, उन्होंने लोगों से अपने टेस्ट कराने की भी अपील की.

उन्होंने कहा, ‘लोग ये नहीं समझते, कि अगर वो समय रहते टेस्ट नहीं कराएंगे, तो अपने आसपास को लोगों को भी संक्रमित कर देंगे. लोग किसी भी सरकारी अस्पताल या डिस्पेंसरी में अपने टेस्ट मुफ्त करा सकते हैं’. उन्होंने आगे कहा, ‘हमारे पास ऐसे केस आ रहे हैं, जहां एक ही परिवार के 7-8 सदस्य संक्रमित हो रहे हैं, और ऐसा इसलिए है कि किसी अकेले आदमी ने, लक्षण होने और दूसरों को संक्रमित करने के बाद भी, कई दिन तक टेस्ट नहीं कराया’.

Graphic by Ramandeep Kaur | ThePrint

क्षमता दोगुनी करने पर बंटी लैब्स

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) की वेबसाइट के अनुसार, दिल्ली में कोविड टेस्टिंग के लिए 66 लैब्स हैं- 23 सरकारी और 43 निजी लैब्स.

दिप्रिंट ने 9 लैब्स से बात की, जिनमें से तीन ने कहा कि एक हफ्ते में, दोगुना टेस्टिंग के लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है, पांच का कहना था कि वो सिर्फ आंशिक रूप से टेस्टिंग बढ़ा सकते हैं, जबकि एक ने कहा कि फिलहाल तो उनके पास क्षमता बढ़ाने का विकल्प ही नहीं है.

दिल्ली सरकार के राजीव गांधी सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल, और निजी लैब्स- स्टर्लिस एक्यूरिस डायग्नोस्टिक्स प्राइवेट लिमिटेड, और सीआरएल डायग्नोस्टिक्स प्राइवेट लिमिटेड- को भरोसा था कि वो एक हफ्ते के भीतर, टेस्टिंग को दोगुना कर सकते हैं.

केंद्र सरकार द्वारा संचालित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), दिल्ली सरकार के इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बाइलियरी साइंसेज़, और निजी लैब्स- महाजन इमेजिंग प्राइवेट लिमिटेड, स्टार इमेजिंग, पैथ लैब लिमिटेड, और बीएल कपूर अस्पताल- ने कहा कि वो सिर्फ आंशिक रूप से टेस्टिंग बढ़ा सकते हैं.

हालांकि केंद्र सरकार द्वारा संचालित लेडी हार्डिंग अस्पताल ने कहा, कि वो पहले ही अपनी पूरी क्षमता पर काम कर रहा है, और उसे और बढ़ाने में सक्षम नहीं है.

लैब्स का ये भी कहना था, कि राष्ट्रीय राजधानी में किए जा रहे अधिकांश टेस्ट, रैपिड एंटीजेन टेस्टिंग से किए जा रहे हैं, इसलिए रिवर्स ट्रांसक्रिपटेज़ पॉलीमरेज़ चेन रिएक्शन (आरटी-पीसीआर) टेस्टों को, और ज़्यादा बढ़ाने का दबाव कम हैं, जिनमें अधिक समय लगता है, और जिन्हें विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ), टेस्टिंग के लिए गोल्ड स्टैंडर्ड मानता है.

राजीव गांधी सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल के निदेशक, डॉ बीएल शेरवाल ने कहा, ‘क्षमता को अब आसानी से बढ़ाया जा सकता है, क्योंकि अधिकांश सैम्पल्स की एंटिजेन टेस्टिंग हो रही हैं; हम अपनी पूरी क्षमता पर, आरटी-पीसीआर टेस्ट नहीं कर रहे हैं’. उन्होंने आगे कहा, ‘हम दोगुना स्टाफ लगाकर, और अपनी मशीनों के साइकिल्स बढ़ाकर, क्षमता को आसानी से दोगुना कर सकते हैं’.

लेकिन जिन निजी लैब्स से दिप्रिंट ने बात की, उन्होंने कहा कि सरकार पहले ही उनसे क्षमता बढ़ाने को कह चुकी है, लेकिन उसने ये स्पष्ट नहीं किया है, कि टेस्टिंग दोगुनी करनी है कि नहीं.

सीआरएल डायग्नोस्टिक्स प्राइवेट लिमिटेड की डॉ गौरी अग्रवाल ने कहा, ‘फिलहाल, सरकार ने हमसे सिर्फ ये पूछा है, कि क्षमता को कितना बढ़ाया जा सकता है, और हमने कहा है कि एंटीजेन टेस्टों के बहुत अधिक लोड की वजह से, हमारी आरटी-पीआर मशीनों की क्षमता, आज के मुक़ाबले आसानी से दोगुनी, या तीन गुनी तक हो सकती है’.


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दो गुनी क्षमता के लिए चाहिएं संसाधन और स्टाफ

दूसरी निजी लैब्स, जिनसे दिप्रिंट ने बात की, कहा कि क्षमता को कुछ हद तक तो बढ़ाया जा सकता है, लेकिन एक हफ्ते में दोगुनी करना संभव नहीं है.

महाजन इमेजिंग प्राइवेट लिमिटेड की डॉ शैली महाजन ने कहा, ‘एंटिजेन टेस्ट अधिक होने की वजह से, आरटी-पीसीआर मशीनों पर बोझ कम है, लेकिन हम उसे सिर्फ 10-20 प्रतिशत तक बढ़ा सकते हैं. टेस्टिंग को दोगुना करने के लिए, हमें ज़्यादा स्टाफ और मशीनें दोनों चाहिएं होंगी, जिन्हें एक हफ्ते में जुटाना मुश्किल है’.

जो निजी लैब्स अस्पतालों का हिस्सा हैं, उन्होंने कहा कि अस्पताल के अपने नमूनों के कारण, उनके लिए क्षमता को दोगुना करना मुश्किल होगा. बीएल कपूर के डॉ पूरबी बर्मन ने कहा, ‘हम 150 बेड्स का एक कोविड अस्पताल हैं, इसलिए हमें अपने अस्पताल से सैम्पल्स मिलते हैं, जिन्हें हमें टेस्ट करना होता है. ओपीडी और अन्य मरीज़ों के, रोज़ाना सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक, रैपिट एंटिजेन टेस्ट किए जाते हैं’.

डॉ बर्मन ने, जो बीएल कपूर अस्पताल में प्रिंसिपल कंसल्टेंट, और माइक्रोबायोलॉजी विभाग के प्रमुख हैं, कहा कि ‘आरटी-पीसीआर एक जटिल टेस्ट होता है, जिसमें मशीनों और प्रशिक्षित स्टाफ की ज़रूरत होती है. हमने सरकार को बता दिया है, कि हम क्षमता को कितना बढ़ा सकते हैं, लेकिन एक हफ्ते में इसे दोगुना करना संभव नहीं होगा’.

केंद्र सरकार द्वारा संचालित लेडी हार्डिंग अस्पताल ने भी कहा है, कि एक हफ्ते में क्षमता को दोगुना करना मुमकिन नहीं है. लेडी हार्डिंग अस्पताल के डायरेक्टर प्रोफेसर एनएन माथुर ने कहा, ‘अभी तक, हमें टेस्टिंग बढ़ाने के लिए कोई नोटिफिकेशन नहीं मिला है. अगर नोटिफिकेशन आता है, तो भी हम अपनी टेस्टिंग बढ़ा नहीं सकते, चूंकि हम पहले ही पूरी क्षमता पर काम कर रहे हैं, और सिर्फ हेल्थकेयर वर्कर्स के लिए एंटिजेन टेस्ट कर रहे हैं. जब तक सरकार एक और मशीन की मंज़ूरी नहीं देती, हम टेस्टिंग नहीं बढ़ा सकते.’

लेकिन एम्स में कम्यूनिटी मेडिसिन के प्रोफेसर, डॉ संजय राय ने कहा कि ताज़ा सेरो सर्वेक्षणों के अनुसार, तक़रीबन 30 प्रतिशत आबादी पहले ही संक्रमित हो चुकी है, इसलिए अब हमारा फोकस मौतों की संख्या घटाने पर होना चाहिए.

डॉ राय ने कहा, ‘मामलों में बढ़ोतरी सिर्फ इसलिए है, कि लोग अब बेपरवाह हो गए हैं. लेकिन सेरो सर्वे के नतीजों को देखते हुए, दिल्ली में अब एक नए पीक की संभावना नहीं है’. उन्होंने आगे कहा, ‘इसमें उतार-चढ़ाव हो सकते हैं, क्योंकि हम हर्ड कम्यूनिटी की तरफ बढ़ रहे हैं,लेकिन अभी तक वहां पहुंचे नहीं हैं, अब हमें मौतों की संख्या घटाने पर फोकस करना चाहिए’.


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(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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