नई दिल्ली: मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने डिजिटल शिक्षा के लिए मंगलवार को जारी अपने दिशानिर्देशों में सुझाया है कि जिन बच्चों तक स्मार्टफोन, इंटरनेट, टीवी और रेडियो जैसी सुविधाओं की पहुंच नहीं है. उन्हें लाउडस्पीकर के इस्तेमाल जैसे सामुदायिक उपायों से पढ़ाया जाएगा.
दिप्रिंट ने जैसी पहले भी जानकारी दी थी कि इन दिशानिर्देशों का उद्देश्य ऑनलाइन शिक्षा को और ज्यादा व्यवस्थित करना है, जिसमें छात्रों के लिए स्क्रीन टाइम सीमित करना भी शामिल है.
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) द्वारा तैयार दिशानिर्देश में पढ़ाई के तीन तरीके बताए गए हैं- ऑनलाइन, आंशिक ऑनलाइन और ऑफलाइन.
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घरों की विभिन्न श्रेणियां
दिशानिर्देशों को अंतिम रूप देते समय विशेषज्ञों ने घरों की विभिन्न श्रेणियों को ध्यान में रखा, जैसे ऐसे घर जहां लैपटॉप/ कंप्यूटर/ स्मार्टफोन, टीवी और केबल जैसी सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं. जहां स्मार्टफोन और 4जी कनेक्शन है. स्मार्टफोन तो है लेकिन इंटरनेट तक सीमित पहुंच, टीवी और केबल कनेक्शन सुविधा वाले घर, रेडियो सेट और एक बुनियादी मोबाइल फोन वाले और ऐसे घर जहां कोई डिजिटल डिवाइस नहीं है.
बात जब ऑनलाइन पढ़ाई की आती है तो सबसे ज्यादा मुश्किल अंतिम तीन श्रेणी वाले घरों के बच्चों के सामने आती है, इसलिए सरकार ने ऑफलाइन मोड का तरीका सुझाया है. जिसमें सामुदायिक उपाय शामिल हैं. दिप्रिंट से बातचीत में कई शिक्षकों ने भी इस पर सहमति जताई थी कि उनके लिए ऐसे बच्चों तक पहुंचना बेहद कठिन होता है जिनके पास इंटरनेट या स्मार्टफोन की सुविधा नहीं है.
दिशानिर्देश के मुताबिक, ‘यदि किसी छात्रा के पास टीवी की सुविधा न हो तो सामूहिक शिक्षा के लिए पंचायत कार्यालय या सार्वजनिक स्थल पर मौजूद कम्युनिटी टेलीविजन का इस्तेमाल किया जा सकता है.’
इसमें आगे कहा गया है, ‘ऐसे मामलों में जहां छात्रों के पास रेडियो की सुविधा नहीं है, वहां अगर पंचायत यूनियन कार्यालय या सार्वजनिक क्षेत्र में सामुदायिक रेडियो उपलब्ध है तो उसका उपयोग किया जा सकता है, किसी क्षेत्र में सामूहिक शिक्षा के लिए लाउडस्पीकर का इस्तेमाल भी किया जा सकता है.
लाउडस्पीकर के जरिये पढ़ाने का सुझाव केंद्र सरकार ने अभी दिया है. लेकिन झारखंड से इसका एक सफल उदाहरण सामने है. वहां दुमका जिले में एक शिक्षक ने अपने गांव में पढ़ाने के लिए स्मार्टफोन की अनुपलब्धता की समस्या को आसपास कई लाउडस्पीकर लगाकर दूर किया है. वह स्कूल के क्लासरूप में ही इसे रिले करते हैं.
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सामुदायिक रेडियो और आकाशवाणी
रेडियो के माध्यम से शिक्षा देने के लिए सरकार रेडियो वाहिनी एफएम 91.2 मेगाहर्ट्ज जैसे कार्यक्रम चलाती है, जो नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग का सामुदायिक रेडियो स्टेशन है.
मानव संसाधन विकास मंत्रालय ऑल इंडिया रेडियो (एआईआर) के साथ मिलकर एफएम रेडियो के जरिये और ज्यादा शिक्षण सामग्री उपलब्ध कराने का प्रयास कर रहा है. मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने अप्रैल में दिप्रिंट को दिए एक साक्षात्कार में कहा था कि मंत्रालय एआईआर के माध्यम से शिक्षण सामग्री रिले करने की संभावना पर काम कर रहा है. हरियाणा जैसे कुछ राज्यों ने आकाशवाणी के माध्यम से कक्षाएं पहले ही शुरू कर दी हैं.
एचआरडी के दिशानिर्देश यह भी कहते हैं कि यदि किसी बच्चे के माता-पिता कक्षा में उसकी मदद करने में अक्षम हैं तो शिक्षकों को उन्हें साथी बच्चों से सीखने, पड़ोसियों से मदद लेने या स्थानीय स्वयंसेवकों को ढूंढ़ने जैसे विकल्प सुझाने चाहिए.
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