नई दिल्ली: भारत की सबसे बड़ी द्विपक्षीय डोनर एजेंसी जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (जेआईसीए) ने गोवा सरकार को 2,000 करोड़ रुपये का ऋण प्रदान करने के संदर्भ में अपनी चिंताओं के मद्देनजर ‘नैतिकता और पारदर्शिता के उच्च मानकों’ को बनाए रखने की जरूरत पर जोर दिया है. कंपनी ने यह रुख 2010 में जेआईसीए द्वारा वित्त पोषित सरकारी परियोजना के विवादों में घिरने के मद्देनजर अपनाया है.
पिछले माह यह खबर सामने आई थी कि गोवा सरकार बिजली विभाग के अंडरग्राउंड केबलिंग, सबस्टेशन और मीटर इंस्टॉलेशन के काम के लिए जेआईसीए से 2000 करोड़ के ऋण पर नजरें टिकाए है.
जेआईसीए इंडिया ऑफिस के मुख्य प्रतिनिधि सैतो मित्सुनोरी ने मंगलवार को दिप्रिंट से बात करते हुए कहा कि गोवा सरकार के साथ बातचीत शुरुआती चरण में है और किसी भी परियोजना के लिए केंद्र सरकार से आधिकारिक अनुरोध की आवश्यकता होगी.
उन्होंने कहा, ‘हमने अक्षय ऊर्जा के साथ-साथ छोटे पैमाने के जनरेटर और ट्रांसमिशन और वितरण नेटवर्क की मजबूती के लिए वित्त पोषण की संभावनाओं का पता लगाने के लिए (गोवा) बिजली विभाग के साथ व्यापक चर्चा की है. चर्चा प्रारंभिक चरण में है. आगे संभावनाएं तलाशने के लिए हमें भारत सरकार की तरफ से एक आधिकारिक अनुरोध की आवश्यकता होगी.’
यह पूछने पर कि क्या जेआईसीए को गोवा में किसी प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने को लेकर कोई चिंता है, खासकर यह देखते हुए कि पूर्व में घूसखोरी के आरोप सामने आ चुके हैं, मित्सुनोरी ने कहा, ‘उस समय जो हुआ, हो चुका है. लेकिन मैं तो यही कहूंगा कि जब हम किसी भी परियोजना का वित्त पोषण करते हैं, तो सरकार से नैतिकता, पारदर्शिता और अखंडता के उच्च मानकों को बनाए रखने का अनुरोध करते हैं.’
2010 के दशक में सामने आए कुख्यात ‘लुई बर्जर-जेआईसीए रिश्वतखोरी घोटाले’ में गोवा के मंत्रियों ने कथित तौर पर 1,031 करोड़ रुपये की जेआईसीए-वित्त पोषित परियोजना के लिए अनुबंध देने के बदले लुई बर्जर नामक एक अमेरिकी फर्म के अधिकारियों से रिश्वत ली थी, जिसका उद्देश्य प्रदेश में जल संवर्धन एवं सीवरेज पाइप लाइन लगाने का कार्य प्रदान करना था.
2015 में इस मामले में गोवा पुलिस ने पूर्व मंत्री चर्चिल अलेमाओ, तत्कालीन जेआईसीए परियोजना निदेशक आनंद वाचासुंदर और अमेरिकी फर्म लुई बर्जर के तत्कालीन उपाध्यक्ष सत्यकाम मोहंती को गिरफ्तार किया था. इस मामले में गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री दिगंबर कामत के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया था. इसी अमेरिकी फर्म पर 2017 में सरकारी अनुबंध हासिल करने के लिए असम सरकार के अधिकारियों को रिश्वत देने का आरोप भी लगा था.
यह भी पढ़ेंः पैरोल पर बाहर आए डेरा प्रमुख ‘पिताजी’ राम रहीम का आशीर्वाद लेने जुटे हरियाणा के BJP नेता
अब तक 316 JICA ऋण जारी
दिल्ली मेट्रो समेत कई हाई-प्रोफाइल बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की फंडिंग करने वाली जेआईसीए ने भारत में अब तक कुल 316 ऋण जारी किए हैं.
निजी वित्त निवेश को छोड़कर इस निकाय ने कुल 3.8 लाख करोड़ रुपये (7 ट्रिलियन जापानी येन) की प्रतिबद्धता जताई है.
2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से 72 ऋण समझौतों को अंतिम रूप दिया गया है, जो कुल 1.5 लाख करोड़ रुपये (2.78 ट्रिलियन जापानी येन) के हैं.
जेआईसीए इंडिया ऑफिस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष केइचिरो नकाजावा के मुताबिक, मौजूदा समय में जारी तीन परियोजनाएं निकट भविष्य में पूरी होने की उम्मीद है, जिसमें मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक, कोलकाता मेट्रो और वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर शामिल हैं.
बहुप्रतीक्षित मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर परियोजना, जिसे बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट भी कहा जाता है, के बारे में बताया गया है कि भारत ने जापान से दिसंबर 2022-मार्च 2023 तक सिस्टम, खासकर इलेक्ट्रिकल और सिग्नलिंग के लिए निविदाएं जारी करने का आग्रह किया है.
यह पूछे जाने पर कि परियोजना में पहले से ही काफी देरी होने को देखते हुए क्या जापान के निविदाओं के लिए इस समयसीमा पर टिके रहने की उम्मीद है, नकाजावा ने दिप्रिंट को बताया, ‘अभी भी कई निविदाएं शेष हैं, लेकिन भारतीय और जापानी सरकार दोनों ने इस परियोजना को बहुत महत्व दिया है. चूंकि परियोजना के कई चरण हैं, इसलिए भारतीय और जापानी दोनों ही पक्ष परियोजना पर अमल में तेजी लाने के लिए चर्चा कर रहे हैं.
मुंबई-अहमदाबाद रेल कॉरिडोर परियोजना को शुरू में 2023 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा था, लेकिन यह प्रोजेक्ट कई बार विलंबित हो चुका है.
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)
यह भी पढ़ेंः MP के मुरैना में अवैध पटाखा फैक्ट्री में विस्फोट से 3 लोगों की मौत, 7 घायल