scorecardresearch
Thursday, 31 October, 2024
होमएजुकेशनकैंपस के 'योगी आदित्यनाथ' को मिले नोटा से भी कम वोट, फिर लाल हुआ जेएनयू

कैंपस के ‘योगी आदित्यनाथ’ को मिले नोटा से भी कम वोट, फिर लाल हुआ जेएनयू

अभी नतीजों की औपचारिक घोषणा होना बाकी. दरअसल, दिल्ली हाई कोर्ट ने नतीजों की घोषणा पर रोक लगा दी है. ये रोक 17 सिंतबर को होने वाली अगली सुनवाई तक है.

Text Size:

नई दिल्ली : जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी छात्र संघ (जेएनयूएसयू) चुनाव में वोटों की गिनती से साफ़ है कि एक बार फिर से कैंपस में लेफ्ट की जीत हुई है. गिनती के ट्रेंड के मुताबिक सेंट्रल पैनल की चारों सीटों पर लेफ्ट की जीत तय है. हालांकि, अभी नतीजों की औपचारिक घोषणा होना बाकी है. वहीं, पहले ‘हिंदू लीडर’ की मांग को भी जेएनयू कैंपस ने सिरे से ख़ारिज कर दिया है.

दरअसल, दिल्ली हाई कोर्ट ने लिंगदोह कमिटी की सिफारिशों के उल्लंघन के मामले में नतीजों की अंतिम घोषणा पर रोक लगा दी है. ये रोक 17 सिंतबर को होने वाली अगली सुनवाई तक है. गिनती के बाद जो नतीजे आएंगे उस पर सभी उम्मीदवार दस्तखत करेंगे और इसे हाई कोर्ट के पास भेज दिया जाएगा.


यह भी पढ़ेंः दिल्ली हाई कोर्ट ने 17 सितंबर तक जेएनयू छात्र संघ चुनाव के नतीजों पर लगाई रोक


जेएनयूएसयू की अगली अध्यक्ष लेफ्ट यूनिटी की आयशी घोष होंगी

अगर गिनती के ट्रेंड ही नतीजों में तब्दील हुए तो जेएनयूएसयू की अगली अध्यक्ष लेफ्ट यूनिटी की आयशी घोष होंगी. जीत के बाद आगे की योजना पर दिप्रिंट से बातचीत में आयशी ने कहा, ‘हॉस्टल का मुद्दा सबसे प्राथमिकता का मुद्दा है. लाइब्रेरी में रीडिंग रूम बंद किए गए हैं उनका मामला भी देखना पड़ेगा.’

तस्वीर में बायीं तरफ नज़र आ रही आयशी होंगी जेएनयूएसयू की अगली अध्यक्ष.

उन्होंने जेंडर सेंसटाइज़ेशन कमिटी अगेंस्ट सेक्सुअल हरासमेंट (जीएसकैश) की फिर से बहाली को भी अहम कामों में शामिल बताया. कैंपस में लेफ्ट के मज़बूत बने रहने के पीछे का कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि जेएनयू में लेफ्ट पूरे साल छात्रों की समस्या हल करने में लगा रहता है.

वहीं, आयशी के अलावा अपना कार्यकाल पूरा करने की कगार पर पहुंचे कैंपस के पूर्व अध्यक्ष बालाजी ने कहा कि मुख्यधारा वाली राजनीति के लेफ्ट को लोगों के बीच जाने की ज़रूरत है. बालाजी ने ये भी कहा कि अगर आम चुनाव और विधानसभा चुनाव जैसे चुनाव का मॉडल जेएनयू जैसा हो तो लेफ्ट को जीतने से कोई नहीं रोक सकता.

बालाजी ने कहा, ‘कैंपस में चुनाव आयोग के नियम सब पर एक समान लागू होते हैं. पैसे और ताकत के इस्तेमाल पर पूरी तरह से रोक है.’ उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि वोटिंग के पहले जब अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) वाले लोग छात्रों को बिरयानी खिलाने की कोशिश करते हैं तो कैंपस के बच्चे उनके ऐसे प्रलोभन को ठुकरा देते हैं.


यह भी पढ़ें: जेएनयू छात्र संघ बहस में ‘आदित्यनाथ’ ने लगाए ‘जय श्री राम’ के नारे, कहा- हिंदू लीडर को जिताओ


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की छात्र इकाई एबीवीपी के अध्यक्ष पद के उम्मीदवार को इस बात की उम्मीद है कि आने वाले दिनों में एबीवीपी अच्छा प्रदर्शन करेगी. इसके पीछे उन्होंने लगातार बढ़ते एबीवीपी के वोट प्रतिशत का हवाला दिया. वहीं, बिरसा फुले अंबेडकर स्टूडेंट एसोसिएशन के जितेंद्र सुना ने कहा, ‘ये कैंपस अभी भी एक पिछड़े और दलित को चुनने के लिए तैयार नहीं है.’

कांग्रेस की छात्र इकाई नेशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ़ इंडिया (एनएसयूआई) के प्रशांत कुमार ने कहा कि लेफ्ट यूनिटी को मोदी मॉडल से जीत मिली है. उन्होंने कहा, ‘बाहर भाजपा जैसे चुनाव लड़ती है कि मोदी नहीं तो कौन? कैंपस में लेफ्ट यूनिटी वैसे ही चुनाव लड़ती है और पूछती है कि लेफ्ट नहीं तो कौन.’

वहीं, कैंपस के ‘छोटे योगी’ के नाम से मशहूर राघवेंद्र मिश्रा ने नोटा से कम वोट पाने को अपनी नैतिक जीत करार दिया और कहा कि वो छात्रों की सेवा करना जारी रखेंगे. प्रेसिडेंशियल डिबेट में उन्होंने जेएनयू के छात्रों से एक हिंदू लीडर देने की मांग की थी. लेकिन संभावित नतीजों से तो यही लगता है कि छात्रों ने उनकी मांग को सिरे से ख़ारिज कर दिया है.

share & View comments