सुरनकोट, पुंछ: रात के तकरीबन 11:30 बजे शमीन अख्तर ने जोरदार धमाका सुना. खिड़कियां खड़खड़ाने लगीं और इमारत हिलने लगी.
अख्तर ने लाइटें बंद कीं और अपने आठ लोगों के परिवार को घर के बेसमेंट वाले कमरे में ले गईं. उनकी रात दुआओं में गुज़री, उनके बच्चे एक-दूसरे से लिपटे हुए थे.
अख्तर ने अपनी शॉल ठीक करते हुए कहा, “सुरनकोट में ऐसा पहली बार हो रहा है. पिछली बार 1971 में हुआ था. उग्रवाद की घटनाएं हुई हैं, लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ.”
9 और 10 मई की रात को पुंछ जिले के “सुरक्षित क्षेत्र” माने जाने वाले सुरनकोट में एक दर्जन से अधिक तोपों के गोले दागे गए.
एक गोला शहर के मेन बाज़ार में गिरा, जबकि दूसरा किसी घर पर गिरा, जिससे एक नाबालिग लड़की घायल हो गई. उसे अस्पताल ले जाया गया और उसकी चोटों का इलाज किया गया.
नाम न बताने की शर्त पर एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, “हां, तोपों से गोलीबारी हुई है और एक नाबालिग लड़की घायल हो गई है.”

गोलाबारी ने पूरे सुरनकोट शहर को हिलाकर रख दिया, जिसे निवासियों ने “अप्रत्याशित” बताया.
सुरनकोट पुंछ ब्लॉक से सिर्फ 25 किलोमीटर दूर है, जो भीषण गोलाबारी की चपेट में है, जिसके परिणामस्वरूप कई मौतें हुई हैं.
पुंछ के कई निवासियों ने सुरनकोट में अपने रिश्तेदारों के यहां शरण ली थी, लेकिन शुक्रवार रात हुए धमाकों ने कई लोगों को दूसरे विकल्प तलाशने पर मजबूर कर दिया है.

जम्मू के एक मज़दूर गुलाम, जो वर्तमान में पुंछ में रहते हैं, उन्होंने कहा, “मैं पुंछ से सुरनकोट आया था क्योंकि मुझे बताया गया था कि यह सुरक्षित है और यहां ऐसा कुछ पहले कभी नहीं हुआ है.”
सुरनकोट में रहने वाले एक अन्य परिवार ने कहा कि अब उनके पास सुरक्षित जगह नहीं बची है. पुंछ से शरण लेने के लिए सुरनकोट आए रवि ने कहा, “हम कहां जाएंगे? राजौरी में भारी गोलाबारी हो रही है. जम्मू भी असुरक्षित है.”
राजौरी जिले में भी भारी गोलाबारी हुई, जिसमें एक अतिरिक्त जिला आयुक्त सहित तीन लोगों की मौत हो गई.

भारतीय और पाकिस्तानी सेनाओं के बीच तनाव ने पूरे जम्मू प्रांत को गोलीबारी की चपेट में ला दिया है.
अख्तर के किशोर बेटे ने कहा, “हम चाहते हैं कि यह खत्म हो जाए. हम मौत से बस एक गोला दूर हैं.”
उसने उसके चेहरे पर धीरे से हाथ रखते हुए कहा, “अल्लाह से दुआ करो! वह हमारे साथ है.”
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