नई दिल्लीः रांची की एक स्पेशल कोर्ट ने लालू प्रसाद यादव को चारा घोटाले मामले में पांच साल की कैद और 60 लाख जुर्माने की सजा दी है. सोमवार को पांचवे चारा घोटाले मामले में सीबीआई कोर्ट ने लालू को यह सज़ा सुनाई है.
बहस पूरी होने के बाद चोरा घोटाले के तहत डोरंडा ट्रेजरी से 139.35 करोड़ रुपये के गबन के लिए कोर्ट ने लालू यादव को दोषी करार दिया. लालू प्रसाद के अलावा इस मामले में 38 अन्य दोषियों के लिए भी सुनवाई की गई. इन 38 दोषियों में से 35 अभी जेल में बंद हैं.
लालू प्रसाद यादव को सजा दिए जाने पर तेजस्वी यादव ने कहा है कि अगर उन्होंने बीजेपी से हाथ मिला लिया होता तो उन्हें राजा हरिश्चंद्र कहा जाता लेकिन चूंकि वो आरएसएस-बीजेपी के खिलाफ लड़ रहे हैं तो इसलिए उन्हें जेल की सजा मिली है. लेकिन हम इससे डरेंगे नहीं.
If Lalu Ji would have shaken hands with BJP then he would have been called Raja Harishchandra but today he is fighting against RSS- BJP hence he is facing imprisonment. We’ll not get scared with this: RJD leader Tejashwi Yadav on conviction of Lalu Prasad Yadav in 5th fodder case pic.twitter.com/3AluQQV6vY
— ANI (@ANI) February 21, 2022
लालू के वकील ने की रहमदिल होने की अपील
लालू प्रसाद यादव के वकील देवर्षि मंडल ने सुनवाई के दौरान कोर्ट से रहमदिल होकर सजा सुनाने की अपील की. उन्होंने कोर्ट से कहा कि लालू प्रसाद यादव की उम्र 75 वर्ष हो चुकी है और वह अलग अलग 17 तरह की बीमारियों से ग्रस्त हैं ऐसे में उन्हें सजा देते समय रहमदिल होकर विचार किया जाए. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि वे इस फैसले के किलाफ हाईकोर्ट में अपील करेंगे.
वहीं अन्य अभियुक्तों ने भी कहा कि इस मामले में 26 साल से मुकदमा चल रहा है जो कि अपने आप में एक सजा है. उन लोगों ने भी कोर्ट से नरमदिली से सजा पर विचार करने की अपील की.
पहली बार 1997 में गए थे जेल
चारा घोटाले के मामले में लालू प्रसाद यादव पहली बार 30 जुलाई 1997 में जेल गए थे. उस वक्त वह 134 दिनों तक न्यायिक हिरासत में रहे थे. इसके बाद 30 सितंबर 2013 को चाईबासा ट्रेजरी से 37 करोड़ रुपये का गबन करने के मामले में रांची की विशेष अदालत ने दोषी ठहराते पांच साल की कैद और 10 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई. इसके बाद बिरसा मुंडा जेल में 13 दिसंबर, 2013 तक कैद रहे. बाद में उन्हें हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद बाहर आ गए थे.
170 लोगों को बनाया गया था आरोपी
बता दें कि इस मामले में 170 लोगों को आरोपी बनाया गया था जिनमें से 55 लोगों की मौत हो चुकी है, सात सरकारी गवाह बन चुके हैं, दो ने अपने ऊपर आरोप स्वीकार कर लिया है और 6 फरार हैं. प्रसाद के अलावा पूर्व सांसद जगदीश शर्मा, तत्कालीन लोक लेखा समिति (पीएसी) के अध्यक्ष ध्रुव भगत, पशुपालन सचिव बेक जूलियस और पशुपालन सहायक निदेशक डॉ के एम प्रसाद मुख्य आरोपी हैं. लालू यादव को दुमका, चाईबासा और देवघर ट्रेजरी से गबन मामले में जमानत मिल चुकी है.
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