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Saturday, 21 December, 2024
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लालू एंड संस- सहयोगी को हटाए जाने पर भड़के तेज प्रताप, तेजस्वी यादव पर बोला परोक्ष हमला

लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह पर भी निशाना साधा और कहा कि वह उन्हें अपना नेता नहीं मानते हैं.

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पटना: राष्ट्रीय जनता दल (राजद) में वर्चस्व की लड़ाई गुरुवार को एक बार फिर गरमा गई जब पार्टी प्रमुख लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने अपने एक करीबी सहयोगी को राजद की छात्र इकाई के प्रमुख के पद से हटाए जाने पर सवाल खड़े किए.

राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने बुधवार को आकाश यादव की जगह गगन कुमार को राजद की छात्र इकाई का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त कर दिया था.

आकाश को तेजप्रताप का करीबी सहयोगी माना जाता है और उन्होंने हाल ही में एक पोस्टर लगवाया था जिसमें लालू के छोटे बेटे और घोषित तौर पर उनके राजनीतिक उत्तराधिकारी तेजस्वी यादव की तस्वीर नहीं थी.

जगदानंद ने गुरुवार को यह संकेत भी दिया कि आकाश यादव को हटाने के उनके फैसले को लालू की मंजूरी मिल चुकी थी.
जगदानंद ने दिप्रिंट को बताया, ‘तेज प्रताप यादव कौन हैं? मेरी जवाबदेही लालू यादव के प्रति है.’ उनकी यह प्रतिक्रिया तात्कालिक थी.

वहीं पटना में मीडिया से बातचीत के दौरान तेज प्रताप ने कहा, ‘आज वह पूछ रहे हैं कि तेज प्रताप कौन है. कल पूछेंगे कि तेजस्वी यादव और मीसा भारती (लालू की सबसे बड़ी बेटी और राज्यसभा सांसद) कौन हैं.’

बगावती बेटे ने यह भी कहा कि वह जगदानंद सिंह को अपना नेता नहीं मानते हैं.

उन्होंने कहा, ‘वह परोक्ष रूप से भाजपा के हित में काम कर रहे हैं. मैं अपने पिता से पार्टी संविधान के मुताबिक चलने को कह रहा हूं. आकाश यादव को हटाना गैरकानूनी है और मैं इस मुद्दे पर अदालत भी जा सकता हूं.’

उन्होंने कहा, ‘आकाश को कारण बताओ नोटिस भी जारी नहीं किया गया था. जब सच बोलने की बात आती है तो मैं भी अपने पिता की तरह ही हूं. भले ही कड़वा लगे लेकिन में सच का साथ देता हूं.’

उन्होंने ऐलान किया कि जब तक जगदानंद सिंह राज्य राजद प्रमुख हैं, तब तक वह पार्टी के किसी भी कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे.


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तेज प्रताप यहीं नहीं रुके. उन्होंने अपने भाई तेजस्वी यादव पर भी परोक्ष रूप से हमला किया.

उन्होंने ट्वीट किया, ‘जिस प्रवासी सलाहकार के इशारों पर यह पार्टी चल रही है, वह अपने गृह राज्य में पंचायत चुनाव तक नहीं जीत सकता. वो कैसे मेरे छोटे भाई को मुख्यमंत्री बनवा सकता है?’

हमला तेजस्वी के करीबी और सचिव संजय यादव पर था जो हरियाणा के रहने वाले हैं. संजय तबसे तेजस्वी के साथ हैं, जब उन्होंने 2015 में बिहार के उपमुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी संभाली थी था और वह उनके निकट सहयोगियों में शामिल हैं.

नाराजगी दूर करने की कोशिश

राजद में तेजप्रताप की इस नाराजगी को दूर करने की कोशिशें भी जारी हैं. तेजस्वी यादव ने गुरुवार को पटना में मीडिया से कहा, ‘चिंतित होने की कोई जरूरत नहीं है. मैं और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष (लालू) पार्टी की मदद के लिए हैं.’

राजद के एक विधायक ने कहा, ‘यह बात कि तेज प्रताप पार्टी के किसी भी कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे, वास्तव में स्वागत योग्य है. हर बार जब वह किसी बैठक या प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हैं, तो पार्टी और अपने परिवार को असहज ही कर देते हैं.’
राजद में उत्तराधिकार की लड़ाई 2017 से चल रही है, जब लालू ने सार्वजनिक रूप से तेजस्वी यादव को उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था.

पारिवारिक अनबन कई बार सामने आ चुकी है लेकिन लालू सारे मामले आंतरिक रूप से सुलझाना पसंद करते हैं. 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान लालू ने तेज प्रताप को निष्कासिक किए जाने की मांगों का विरोध किया था, जब उनके बागी बेटे ने अपने दो लोगों को राजद उम्मीदवारों के ही खिलाफ मैदान में उतारा था.

राजद के एक दूसरे विधायक ने कहा, ‘इस बार तेज प्रताप जब जगदानंद सिंह और संजय यादव के खिलाफ गए तो लालू ने महसूस किया कि उनके बड़े बेटे के खिलाफ यही दोनों ढाल हैं. अगर वह तेज प्रताप की मांगों को मान लेते हैं, तो उनके बड़े बेटे का अगला हमला सीधे तेजस्वी पर होगा. और तेजस्वी पर लालू कोई समझौता नहीं करना चाहते.’

विधायक ने स्पष्ट तौर पर कहा कि तेज प्रताप पार्टी के भीतर अलग-थलग हैं. हालांकि, राजद के भीतर एक बात को लेकर आशंका लगातार बनी हुई है कि लालू की छत्रछाया से बाहर होने पर तेजस्वी, तेज प्रताप और मीसा भारती के बीच जारी पारिवारिक झगड़ा नियंत्रण से बाहर हो जाएगा.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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