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Monday, 13 May, 2024
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कोलकाता के स्पेशल 16- कैसे रियल्टी एजेंट और TV पत्रकार ने खुद का ‘CBI बताकर’ कारोबारियों को ठगा

पिछले हफ्ते एक सीबीआई जर्नलिस्ट की गिरफ्तारी ने अपहरण-जबरन वसूली के एक संदिग्ध रैकेट का पर्दाफाश कर दिया, जिसमें करीब एक दर्जन कारोबारियों का अपहरण हुआ था.

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कोलकाता: खुद को कथित तौर पर सीबीआई अधिकारी बताने वाले और अपहरण-जबरन वसूली के रैकेट में शामिल होने के आरोप में 43 वर्षीय अनिर्बान कांजीलाल को पिछले हफ्ते गिरफ्तार किया गया था. पुलिस अधिकारियों के मुताबिक वह निजाम पैलेस के आसपास ही रहता था, जहां जांच एजेंसी का कोलकाता मुख्यालय स्थित है.

वह कथित तौर पर कैंटीन में होने वाली बातचीत से जानकारियां हासिल करता था इसे कई पत्रकारों के साथ ‘सीबीआई सूत्र’ के तौर पर साझा करता था. पुलिस अधिकारियों का कहना है कि अपनी मनगढ़ंत बातों को वजन देने के लिए वह नीली बत्ती वाली कार में भी चलता था.

कांजीलाल, जो एक रियल एस्टेट एजेंट है, को संदिग्ध जबरन वसूली रैकेट का मास्टरमाइंड माना जाता है, जिसका कोलकाता पुलिस ने पिछले सप्ताह ही भंडाफोड़ किया था.

पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, कांजीलाल ने 16 लोगों की एक टीम बनाई थी- जिसमें एक पत्रकार भी शामिल था- जो खुद को सीबीआई अधिकारियों के तौर पर पेश करते थे. ये गिरफ्तारी वारंट बनाते और छोटे-मोटे कारोबारियों को ब्लैकमेल करते या फिर उनका अपहरण कर लेते थे. पुलिस अधिकारियों का कहना है कि यह रैकेट अपने शिकार बहुत ही सावधानी से चुनता था.

कारोबारियों के पास तो अक्सर ही अधिकारियों से छिपाने के लिए कुछ न कुछ होता ही था, इसलिए कथित जबरन वसूली की मांग होने पर उसे पूरा भी कर देते थे.

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यह रैकेट चलाने वालों ने कम से कम एक दर्जन कारोबारियों का अपहरण किया था- इसकी जांच चल रही है कि यह सब कब से चल रहा था. लेकिन गुरुवार को पत्रकार की गिरफ्तारी के साथ सारे खेल का भंडाफोड़ हो गया.

एक टीवी चैनल में काम करने वाला 29 वर्षीय अभिषेक सेनगुप्ता उस समय पुलिस की गिरफ्त में आया जब दक्षिण कोलकाता के एक व्यवसायी के अपहरण के मामले में उसकी पत्नी ने 24 मई को पुलिस से संपर्क साधा. मामले की जांच के दौरान रविवार तक 11 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है.

‘एक धोखाधड़ी’

अपनी पहचान उजागर न करने की शर्त पर दिप्रिंट से बातचीत में कोलकाता पुलिस के अधिकारियों ने बताया कि कांजीलाल की तरफ से बनाई गई टीम में एक आईटी प्रोफेशनल, दलाल, एक फिल्म निर्माता, एक वकील, सिंडिकेट (स्थानीय निर्माण सामग्री आपूर्तिकर्ता को बंगाल में सिंडिकेट कहलाते हैं) ऑपरेटर और ड्राइवर शामिल थे.

अधिकारियों ने बताया कि टीम कारोबारियों की अवैध गतिविधियों के बारे में जानकारी जुटाती और उन्हें ब्लैकमेल करने के लिए फर्जी गिरफ्तारी या तलाशी वारंट बनाती थी.

एक स्थानीय न्यूज चैनल से अपने करियर शुरू करने वाला अभिषेक सीबीआई को कवर करता था. माना जाता है कि सीबीआई कार्यालय स्थित कैंटीन में ही वह कांजीलाल से मिला था.

एक पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘वह (कांजीलाल) खुद को सीबीआई अधिकारी बताता था. अभिषेक ही नहीं सीबीआई कवर करने वाले कई पत्रकार उसे केंद्रीय एजेंसी के साथ काम करने वाले अधिकारी के तौर पर ही जानते थे. जांच के दौरान हमें ऐसे कई रिपोर्टर मिले जिन्होंने उसका नाम (अपने फोन में) सीबीआई अधिकारी के तौर पर सेव कर रखा है.

अधिकारियों ने बताया कि कांजीलाल हमेशा निजाम पैलेस में उपलब्ध रहता था. उसके पास कई कार स्टिकर थे, जिनमें सीबीआई, ईडी और आयकर विभाग द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले स्टिकर शामिल थे.


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अधिकारी ने आगे जोड़ा, ‘वह एक धोखेबाज है जिसने सीबीआई या ईडी अधिकारी बनकर लोगों को ठगा. उसकी ठगी के तरीके में भ्रष्ट कारोबारियों के बारे में जानकारी जुटाना, फर्जी गिरफ्तारी वारंट बनाना और फिर उनका अपहरण करना शामिल था. इसके अलावा वह कई लोगों को ब्लैकमेल करने के लिए स्टिंग ऑपरेशन भी करता था.

अधिकारी ने बताया, ‘जैसा ऑपरेशन हो उसके आधार पर ही वह नीले बत्ती गाड़ी और कार के स्टिकर इस्तेमाल करता था ताकि लोगों को उसकी झूठी पहचान पर संदेह न हो. नीली बत्ती ने संभवत: सबसे अहम भूमिका निभाई क्योंकि कई पत्रकारों और अन्य लोगों का मानना था कि वह सीबीआई के लिए काम करता है.’

एक दूसरे पुलिस अधिकारी ने कहा कि अभिषेक को एक स्टिंग ऑपरेशन के दौरान कांजीलाल की सच्चाई का पता चला. ‘हालांकि, बाद में उसे मुंह बंद रखने के लिए पैसे की पेशकश की गई और ऐसे ऑपरेशन का हिस्सा बनने के लिए कहा गया.’

रैकेट का पता कैसे चला

पहले पुलिस अधिकारी ने बताया कि रैकेट का पता तब चला जब इस टीम के एक नए शिकार- ‘दक्षिण कोलकाता का एक कारोबारी जिसे 2017 में कोलकाता पुलिस ने अवैध कॉल सेंटर चलाने के आरोप में गिरफ्तार किया था’- की पत्नी ने अधिकारियों से संपर्क साधा. इस कारोबारी का पिछले सप्ताह ही अपहरण किया गया था.

अधिकारी ने बताया, ‘अनिर्बान और अभिषेक दोनों ही सीबीआई अधिकारी बनकर उसके घर पहुंचे और गिरफ्तारी वारंट होने की बात कही. कारोबारी को उनके इरादों पर कोई संदेह नहीं हुआ और उसने ज्यादा पूछने की कोशिश भी नहीं की क्योंकि वह अवैध कार्यों में लिप्त रहा है. बाद में उसकी पत्नी को जब फिरौती के लिए फोन आए तो उसने 24 मई को प्राथमिकी दर्ज कराई. हमने अभिषेक को गुरुवार को सिलीगुड़ी से उठाया.’

दूसरे अधिकारी ने कहा कि एक दूसरी शिकायत की जांच भी चल रही है जो अप्रैल में बंगाल विधानसभा चुनाव के दौरान मिली थी.

अधिकारी ने बताया, ‘बड़ा बाजार इलाके (कोलकाता का केंद्रीय व्यापारिक जिला) के एक व्यवसायी ने शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें कहा गया कि खुद को सीबीआई अधिकारी बताने वाले एक समूह ने देर रात उनका दरवाजा खटखटाया था. उनके पास गिरफ्तारी वारंट था.’

दूसरे अधिकारी ने कहा, ‘व्यवसायी ने दरवाजा नहीं खोला क्योंकि उसे कुछ संदेह हो गया था. वह इस तरह की गतिविधियों और फिर उसके बाद फिरौती के लिए आने वाली कॉल के बारे में जानता था. शहर के कई कारोबारी इसका सामना कर चुके थे लेकिन उन्होंने कोई शिकायत नहीं की क्योंकि वे भ्रष्टाचार में शामिल रहे हैं. बड़ा बाजार के व्यवसायी ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. हमने सीसीटीवी फुटेज जुटाकर विश्लेषण के लिए भेज दिया है. हमें संदेह है कि यह वही गिरोह था.’

सीबीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि रैकेट के बारे में उनके पास कोई सुराग नहीं है. अधिकारी ने कहा, ‘निजाम पैलेस एक बहुत बड़ा परिसर है जहां केंद्र सरकार के कई कार्यालय स्थित हैं. हमारे यहां कॉमन कैंटीन हैं. हम कैसे पता लगा सकते हैं कि वहां कौन बैठा है और हमारी नकल कर रहा है? जब हमें इसके बारे पता चला, तो हमने तुरंत कोलकाता पुलिस से संपर्क साधा.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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