नई दिल्ली: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या की घटना को भयावह बताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को मामले में एफआईआर दर्ज करने में देरी को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार को फटकार लगाई.
मामले पर स्वत: संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने कहा कि यह घटना पूरे भारत में डॉक्टरों की सुरक्षा के संबंध में व्यवस्थागत मुद्दे को उठाती है.
घटना पर स्वत: संज्ञान लेने वाली भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अगर महिलाएं काम पर नहीं जा पा रही हैं और काम करने की स्थितियां सुरक्षित नहीं हैं तो हम उन्हें समानता से वंचित कर रहे हैं.
शीर्ष अदालत ने बलात्कार-हत्या मामले में एफआईआर दर्ज करने में देरी को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार की आलोचना करते हुए पूछा कि अस्पताल के प्राधिकारी क्या कर रहे थे?
पीठ में न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल रहे.
पीठ ने कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि अपराध का पता सुबह-सुबह ही चल गया था, लेकिन मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य ने इसे आत्महत्या बताने की कोशिश की.’’
पीठ ने कोलकाता पुलिस को भी फटकार लगाई और पूछा कि हज़ारों लोगों की भीड़ आरजी कर मेडिकल कॉलेज में कैसे घुसी.
उसने पूछा कि जब आरजी कर अस्पताल के प्राचार्य का आचरण जांच के घेरे में है तो उन्हें कैसे तुरंत किसी दूसरे कॉलेज में नियुक्त कर दिया गया.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार को प्रदर्शनकारियों पर बल का प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि यह राष्ट्रीय संशुद्धि का वक्त है.
कोर्ट ने कहा कि ज्यादातर युवा डॉक्टर 36 घंटे काम करते हैं और कार्य स्थल पर सुरक्षित स्थितियां सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय प्रोटोकॉल बनाने की ज़रूरत है.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि पश्चिम बंगाल को चीजों को नकारने की स्थिति में न रहने दें और राज्य में कानून एवं व्यवस्था पूरी तरह से विफल हो गई है.
उन्होंने कहा कि 7,000 लोगों की भीड़ कोलकाता पुलिस की जानकारी के बिना आर जी कर अस्पताल में नहीं घुस सकती.
इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्वत: संज्ञान लेना इस तथ्य को देखते हुए महत्वपूर्ण है कि कलकत्ता हाई कोर्ट ने पहले ही कार्रवाई की है और मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दी है.
महिला डॉक्टर के बलात्कार और हत्या मामले को लेकर डॉक्टरों की हड़ताल को रविवार को एक हफ्ता बीत गया और अब यह दूसरे सप्ताह भी जारी है जिससे मरीजों को परेशानियां हो रही हैं.
प्रदर्शनकारी डॉक्टर चाहते हैं कि सीबीआई दोषियों को पकड़े और अदालत उन्हें मौत की सज़ा दे. वह सरकार से इस बारे में आश्वासन भी चाहते हैं कि ‘‘भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों.’’
सुप्रीम कोर्ट ने प्रदर्शनकारी डॉक्टरों से काम पर लौटने की अपील करते हुए कहा कि उनकी चिंता को बहुत गंभीरता से लिया जा रहा है.
पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा संचालित अस्पताल के एक सेमीनार हॉल में जूनियर चिकित्सक के साथ कथित दुष्कर्म और हत्या की घटना को लेकर देशभर में विरोध-प्रदर्शन हुए.
अस्पताल के चेस्ट विभाग में नौ अगस्त को सेमीनार हॉल के भीतर डॉक्टर का शव पाया गया था जिस पर गंभीर चोटों के निशान थे. कोलकाता पुलिस ने इस घटना के संबंध में अगले दिन एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया.
कलकत्ता हाई कोर्ट ने 13 अगस्त को इस मामले की जांच कोलकाता पुलिस से सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया और सीबीआई ने 14 अगस्त को जांच शुरू कर दी.
हाई कोर्ट ने मृतका के माता-पिता की याचिका समेत कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी. मृतका के माता-पिता ने अदालत की निगरानी में जांच कराने का अनुरोध किया था.