चंडीगढ़: अमृतसर स्थित डेरा राधा स्वामी सत्संग ब्यास (RSSB) के अनुयायी और दवा उद्योग विशेषज्ञ जसदीप सिंह गिल को डेरा का अगला आध्यात्मिक प्रमुख नियुक्त किया गया है.
मुंबई में रहने वाले 45-वर्षीय गिल, वर्तमान डेरा प्रमुख बाबा गुरिंदर सिंह ढिल्लों का स्थान लेंगे.
31 मई को गिल ने सिप्ला के मुख्य रणनीतिक अधिकारी और वरिष्ठ प्रबंधन कार्मिक के पद से इस्तीफा दे दिया.
डेरा सचिव देवेंद्र सिंह सीकरी ने सोमवार को लिखित संदेश के माध्यम से डेरा संगत को ढिल्लों के फैसले की घोषणा करते हुए कहा कि गिल तत्काल प्रभाव से डेरा ब्यास सोसायटी के संरक्षक का पद भी संभालेंगे.
डेरा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि ढिल्लों के पद छोड़ने के बाद ही गिल आध्यात्मिक प्रमुख का पद संभालेंगे.
गिल के पिता सुखदेव सिंह एक पूर्व सैन्यकर्मी हैं और भारत में डेरा के सैकड़ों सत्संगों के प्रबंधन का नेतृत्व कर रहे हैं. गिल की मां ब्यास में डेरा परिसर में एक छात्रावास का संचालन करती हैं.
पंजाब के डेरों में सबसे प्रमुख माने जाने वाले आरएसएसबी के पास पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में काफी ज़मीन है. इसका दावा है कि इसकी संगत लाखों में है.
69 वर्षीय ढिल्लों ने अपने जीवनकाल में ही उत्तराधिकारी घोषित करने की परंपरा का पालन किया है. ढिल्लों को स्वयं उनके पूर्ववर्ती बाबा चरण सिंह ने 1990 में डेरा प्रमुख नामित किया था.
सीकरी द्वारा डेरा संगत को भेजे गए संदेश में कहा गया है, “बाबाजी ने कहा है कि जिस तरह हुजूर महाराज जी के बाद उन्हें संगत का पूरा समर्थन और प्यार मिला है, उसी तरह उन्होंने इच्छा और अनुरोध किया है कि जसदीप सिंह गिल को भी संरक्षक और संत सतगुरु के रूप में अपनी सेवा निभाने में वही प्यार और स्नेह दिया जाए.”
गिल के आध्यात्मिक प्रमुख के रूप में कार्यभार संभालने के बाद, उनके पास दीक्षा (नाम) देने का अधिकार होगा.
गिल को अगला डेरा प्रमुख घोषित किया जाना डेरा के कई वरिष्ठ पदाधिकारियों के लिए चौंकाने वाली बात, जिन्होंने दावा किया कि वे गिल के बारे में ज्यादा नहीं जानते हैं. हालांकि, उनके पिता कर्नल गिल डेरा में एक प्रमुख और प्रसिद्ध चेहरा हैं.
गिल ने कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से केमिकल इंजीनियरिंग में पीएचडी की है और मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) से केमिकल इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री प्राप्त की है.
उन्होंने आईआईटी दिल्ली से केमिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की. 2019 में सिप्ला में शामिल होने के बाद, उन्होंने विलय और अधिग्रहण सहित कंपनी की रणनीति का नेतृत्व किया.
2013 से 2019 तक, वह IQVIA, एक जीवन विज्ञान और नैदानिक अनुसंधान सुविधा के लिए भारत में वरिष्ठ प्रिंसिपल परामर्शदाता थे.
तीन साल तक, वे मॉनिटर ग्रुप के साथ सलाहकार रहे और रणनीति पर क्रॉस इंडस्ट्री क्लाइंट को सलाह दी.
2006 से 2010 तक गिल ने रैनबैक्सी में कई भूमिकाओं में काम किया, जो एक समय ढिल्लों के भतीजे मालविंदर और शिविंदर सिंह द्वारा संचालित दवा की दिग्गज कंपनी थी.
डेरा की विरासत राधा स्वामी आध्यात्मिक परंपरा से ली गई है, जिसकी शुरुआत 1861 में आगरा में बाबा शिव दयाल सिंह ने की थी. उनके शिष्य बाबा जयमल सिंह ने 1891 में ब्यास डेरा की शुरुआत की थी. सिरसा में डेरा सच्चा सौदा राधा स्वामी परंपरा से अलग हुआ गुट है.
ढिल्लों ने 1990 में अपने मामा बाबा चरण सिंह से डेरा प्रमुख का पद संभाला था, जो 1951 से 1990 तक इसके प्रमुख थे. जब ढिल्लों को उत्तराधिकारी घोषित किया गया, तो वे स्पेन में थे और डेरा की बागडोर संभालने के लिए वापस लौट आए.
2020 में ढिल्लों ने खुद को शिविंदर और मालविंदर सिंह से जुड़े हाई-प्रोफाइल धोखाधड़ी मामले में उलझा हुआ पाया. उनकी मां निम्मी सिंह बाबा चरण सिंह की बेटी थीं. हालांकि, मलविंदर द्वारा ढिल्लों और उनके परिवार को रैनबैक्सी मामले में घसीटे जाने के बाद दोनों के बीच संबंध खराब हो गए. उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट को बताया कि ढिल्लों पर उनकी कंपनियों का करोड़ों रुपये बकाया है.
आरएसएसबी की वेबसाइट के अनुसार, डेरा की भारत में लगभग 5,000 और विदेशों में 90 शाखाएं हैं. ब्यास में इसका मुख्यालय 3,000 एकड़ में फैला है, जो अपने आप में एक छोटा सा शहर है, जिसमें एक विशाल सत्संग परिसर, आवासीय क्षेत्र, एक स्कूल और एक अस्पताल है.
पूरी तरह से गैर-राजनीतिक होने का दावा करने के बावजूद, चुनाव के दौरान राजनेता आरएसएसबी में आते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिमाचल प्रदेश चुनावों से पहले नवंबर 2022 में डेरा का दौरा किया था. ढिल्लों ने फरवरी 2022 में दिल्ली में पीएम से मुलाकात भी की थी. उस साल केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने डेरा का दौरा किया था.
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