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Friday, 22 November, 2024
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जानिए यूपी की ‘स्पेशल 30’ जिस पर कांग्रेस की है नज़र, राहुल करेंगे लीड

2009 लोकसभा चुनाव में मिलीं उन 22 सीटों (21+1) पर नजर. ऐसी 30 सीटों की लिस्ट तैयार, जहां पार्टी का संगठन मज़बूत है और रिकॉर्ड ठीक.

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लखनऊ: यूपी में कांग्रेस का अब सभी 80 लोकसभा सीटों पर लड़ना लगभग तय है. बीजेपी का मुकाबला करने के लिए तैयार हुए सपा-बसपा-आरएलडी ‘महागठबंधन’ की चर्चा के बीच कांग्रेस ने अपनी तैयारी में शुरू कर दी है. यूपी में कमजोर पड़े संगठन को मजबूत करने की ज़िम्मेदारी राहुल गांधी ने खुद अपने कंधों पर ले ली है. वह फरवरी व मार्च के बीच यूपी में 13 रैली कर कांग्रेस के कैंपेन को लीड करेंगे. हाल ही में उन्होंने एक इंटरव्यू में भी कहा कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस चौंकाने वाले नतीजे देगी. अब इस बयान को हकीकत में बदलने के लिए कांग्रेस जुट गई है.

30 सीटों पर विशेष फोकस

कांग्रेस से जुड़े सूत्रों के मुताबिक यूं तो सभी लोकसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारने की योजना है, लेकिन विशेष फोकस 2009 लोकसभा चुनाव में मिलीं उन 22 सीटों (21+1) पर है. 2009 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 21 सीटें जीती थीं. बाद में फिरोज़ाबाद उपचुनाव में राज बब्बर को मिली जीत के बाद ये संख्या बढ़कर 22 हो गई थी. इसके अलावा 2014 लोकसभा चुनाव में पार्टी जिन सीटों पर नंबर दो या नंबर तीन पर आई थी उन पर भी विशेष फोकस रहेगा. ऐसी 30 सीटों की लिस्ट भी तैयार की गई है, जहां पार्टी का संगठन मज़बूत है और पूर्व में जीत का रिकॉर्ड ठीक रहा है.

इन सीटों पर 2009 में दर्ज की थी जीत

रायबरेली, अमेठी, मुरादाबाद, धौरारा, खीरी, बाराबंकी, उन्नाव, बरेली, फिरोज़ाबाद (उपचुनाव), सुलतानपुर, प्रतापगढ़, फर्रुखाबाद, कानपुर, अकबरपुर, झांसी, बहराइच, फैज़ाबाद, श्रावस्ती, गोंडा, डुमरियागंज, महाराजगंज, पडरौना

कुछ अन्य सीटों पर भी फोकस

2009 की सीटों के अलावा कई अन्य सीटें भी हैं, जिन पर कांग्रेस का विशेष फोकस है.

फतेहपुर सीकरी -(राज बब्बर लड़ सकते हैं चुनाव)
प्रयागराज- शहरी सीट (प्रमोद तिवारी लड़ सकते हैं)
मिर्जापुर – (ललितेश पति त्रिपाठी लड़ सकते हैं चुनाव)
वाराणसी -( नरेंद्र मोदी को मजबूत चुनौती देने की प्लानिंग)
सहारनपुर – ( 2014 में इस सीट पर नंबर 2 पर थी कांग्रेस, इमरान मसूद लड़ सकते हैं चुनाव)

कांग्रेस से जुड़े सूत्रों की मानें तो इन सीटों के अलावा जहां-जहां सपा व बसपा मज़बूत है वहां कांग्रेस ‘वोट कटवा’ का रोल भी निभा सकती है. यानि भले ही सीट न जीत पाए, लेकिन बीजेपी के वोटबैंक में सेंध लगा सकती है. ऐसे में बीजेपी के लिए कई सीटों पर मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए बीजेपी भी कई सीटों पर मौजूदा सांसदों के टिकट काटने पर विचार कर रही है.

इस कारण ली राहुल ने ज़िम्मेदारी

राजनीति में कहावत है कि दिल्ली का रास्ता यूपी से होकर जाता है. राहुल गांधी इसे अब बखूबी समझ रहे हैं. यूपी में हाशिए पर पड़े संगठन को दोबारा से खड़ा करने का प्रयास शुरू हो चुका है. यही कारण है कि वह एक महीने से ज़्यादा समय तक यूपी में रैलियां करते नज़र आएंगे. वहीं राहुल खुद भी यूपी की अमेठी सीट से सांसद हैं. यूपी में अब कांग्रेस को खड़ा करना उनकी साख का भी सवाल है.

40 दिन में 13 रैली करेंगे

कांग्रेस से जुड़े सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी 40 दिनों में यूपी में 13 रैली करेंगे. इसकी शुरुआत लखनऊ में दो या तीन फरवरी से होगी. रमाबाई अंबेडकर मैदान में ये रैली होगी. कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता अंशू अवस्थी ने बताया कि इस रैली की तैयारियां शुरू हो गई हैं. कानपुर, सीतापुर, बाराबंकी व आसपास के जिले के कार्यकर्ताओं को भी इस रैली में शामिल होने के लिए कहा गया है.

वहीं कांग्रेस विधायक अजय कुमार लल्लू ने बताया कि लखनऊ, आगरा, वाराणसी समेत 13 शहरों में राहुल गांधी की संभावित रैलियां हैं इसको लेकर पिछले कई दिनों से रणनीति तैयार की जा रही है.

हर रैली के लिए खास प्लानिंग

कांग्रेस की ओर से हर रैली के लिए खास प्लानिंग है. एक तरफ लखनऊ में होने वाली रैली में राहुल युवाओं को रोज़गार व कानून व्यवस्था को लेकर भाजपा सरकार को घेर सकते हैं तो वहीं वाराणसी में जरी वर्कर्स व बुनकरों के मुद्दे उठा सकते हैं. इसके अलावा फरवरी में प्रयागराज कुंभ में भी शामिल हो सकते हैं.

राहुल गांधी लखनऊ के अलावा मुरादाबाद, मेरठ, सहारनपुर, बरेली, आगरा, अलीगढ़, झांसी, रायबरेली, वाराणसी व गोरखपुर में रैली करेंगे. एक या दो अन्य स्थान जल्दी तय कर दिए जाएंगे.

अब देखना ये है कि कांग्रेस की ‘स्पेशल प्लानिंग’ कितना रंग लाती है. क्योंकि यूपी में कांग्रेस का संगठन बीजेपी, सपा, बसपा के मुकाबले कमजोर है और पिछले विधानसभा चुनाव व नगर निकाय चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन भी खराब रहा था. हाल ही में तीन राज्यों में मिली जीत ने यूपी में भी कांग्रेस पार्टी व उसके मुखिया को नई उम्मीद दे दी है.

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