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Thursday, 28 March, 2024
होमदेशजानिए धारा-324 के बारे में जिसके तहत पश्चिम बंगाल में चुनाव प्रचार पर लगाई गई रोक

जानिए धारा-324 के बारे में जिसके तहत पश्चिम बंगाल में चुनाव प्रचार पर लगाई गई रोक

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के रोड शो के दौरान हुई हिंसा के बाद चुनाव आयोग ने अप्रत्याशित तौर पर फैसला लेते हुए चुनाव प्रचार पर 19 घंटे पहले ही रोक लगा दी है.

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नई दिल्ली : चुनाव आयोग ने अप्रत्याशित तौर पर फैसला लेते हुए बंगाल में धारा-324 के तहत चुनाव प्रचार पर 19 घंटे पहले ही रोक लगा दी है. आयोग ने यह कदम कोलकाता में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के रोड शो के दौरान हुई हिंसा और तमाम राजनीतिक दलों की शिकायत के बाद उठाया है.

क्या होता है आर्टिकल 324

चुनाव आयोग के इस संविधान के तहत संसद और प्रत्येक राज्य के विधान-मंडल के लिए कराए जाने वाले सभी निर्वाचनों के लिए तथा राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के पदों के निर्वाचन में निर्वाचक-नामावली तैयार कराने और उन सभी निर्वाचनों के संचालन का अधीक्षण, निदेशन और नियंत्रण, निर्वाचन आयोग में निहित होगा.

इस धारा के अनुसार राष्ट्रपति संसद द्वारा इसके लिए बनाए गये नियमों के अधीन रहते हुए, चुनाव आयोग के मुख्‍य निर्वाचन आयुक्त और अन्य निर्वाचन आयुक्तों नियुक्ति करता है. इसके तहत मुख्‍य निर्वाचन आयुक्त निर्वाचन आयोग के अध्यक्ष के रूप में कार्य करता है.

लोकसभा और प्रत्येक राज्य की विधान सभा के प्रत्येक साधारण निर्वाचन से पहले तथा विधान परिषद वाले प्रत्येक राज्य की विधान परिषद के लिए प्रथम साधारण निर्वाचन से पहले और उसके बाद हर द्विवार्षिक निर्वाचन से पहले, राष्ट्रपति निर्वाचन आयोग से परामर्श करने के बाद, खंड (1) द्वारा आयोग की सहायता के लिए उतने प्रादेशिक आयुक्तों की भी नियुक्ति कर सकेगा जितने वह आवश्यक समझे.

मोहिंदर सिंह गिल बनाम चुनाव आयोग के केस में ही सुप्रीम कोर्ट ने आर्टिकल 324 के तहत मिले चुनाव आयोग सीमाओं से परे बताया गया था.

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आयोग के मुख्य कार्य और संवैधानिक प्रावधान

आयोग के मुख्य कार्य चुनाव क्षेत्रों का परिसीमन, मतदाता सूचियों को तैयार कराना, विभिन्न राजनितिक दलों को मान्यता देना, राजनीतिक दलों को आरक्षित चुनाव चिन्ह देना, चुनाव कराना और दलों के लिए आचार संहिता का प्रावधान तैयार करना.

चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है. इसके लिए मुख्य चुनाव आयुक्त एवं अन्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति राष्ट्रपति करते हैं. मुख्य चुनाव आयुक्त को महाभियोग जैसी प्रक्रिया से ही हटाया जा सकता है. इसका दर्जा सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीश के बराबर है. नियुक्ति के बाद मुख्य चुनाव आयुक्त एवं अन्य चुनाव आयुक्तों की सेवा शर्तों में कोई अलाभकारी परिवर्तन नहीं किया जा सकता है. मुख्य चुनाव आयुक्त एवं अन्य चुनाव आयुक्तों का वेतन भारत की संचित निधि में से दिया जाता है.

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