चंडीगढ़/ नई दिल्ली: पंजाब के किसानों के संगठन किसान मजदूर संघर्ष कमेटी (केएमएससी) ने कृषि कानूनों पर केंद्र द्वारा बुलायी गयी बैठक में भाग लेने से मंगलवार को मना कर दिया और वार्ता के लिए सभी किसान संगठनों के प्रतिनिधियों को बुलाने की मांग की.
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कोविड-19 महामारी और ठंड का हवाला देते हुए सोमवार को किसान संगठनों के नेताओं को तीन दिसंबर के बजाए मंगलवार को वार्ता के लिए आमंत्रित किया था. आज होने वाली बैठक को लेकर भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के घर पर लंबी चली बैठक में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह किसानों के विरोध प्रदर्शन पर बैठक करने के लिए मौजूद थे.
बताया जा रहा है कि किसानों के साथ होने वाली बैठक में कृषि मंत्री के साथ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी मौजूद होंगे.
‘सड़क पर बात नहीं होती’
बैठक के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा, ‘आज 3 बजे किसानों को बुलाया है, सरकार चर्चा के लिए हमेशा तैयार है, आएंगे तो जरूर उनका स्वागत है. मांग पर सड़क पर बात नहीं होती है(किसानों की MSP की मांग पर).’
केएमएससी के महासचिव सरवन सिंह पंढेर ने बताया, ‘विभिन्न किसान संगठनों की एक कमेटी को आमंत्रित नहीं किया गया और बैठक में प्रधानमंत्री भी हिस्सा नहीं ले रहे हैं . इन कारणों से केएमएससी बैठक में हिस्सा नहीं लेगी.’
पंढेर ने आरोप लगाया कि सरकार सभी किसान संगठनों को आमंत्रित नहीं कर प्रदर्शनकारी किसानों को बांटने का प्रयास कर रही है .
उन्होंने कहा, ‘अगर पंजाब के 32 किसान संगठनों को वार्ता के लिए बुलाया गया है तो करीब 500 किसान संगठनों का प्रतिनिधित्व करने वाली कमेटी को भी आमंत्रित करना चाहिए.’
हालांकि कांग्रेस ने केंद्र सरकार की इस पहल का स्वागत किया है. कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता रनदीप सिंह सुरजेवाला ने ट्वीट किया और कहा- ‘देर आए दूरस्त आए.’
रनदीप आगे प्वाइंट्स में अपना ट्वीट किया है और मोदी सरकार को सलाह दी है, ‘आख़िर अहंकारी मोदी सरकार ने सात दिन बाद किसानों को बातचीत के लिए बुलाया. अब मोदी सरकार ये ज़रूरी कदम भी उठाए-
1. तीनों काले क़ानून सस्पेंड करें.
2. पराली पर जुर्माने का क़ानून सस्पेंड करें.
3. सब मुक़दमे वापस लें. पूर्वाग्रह छोड़ खुले दिमाग़ से बात करें.
देर आए, दूरस्त आए।
आख़िर अहंकारी मोदी सरकार ने सात दिन बाद किसानों को बातचीत के लिए बुलाया।
अब मोदी सरकार ये ज़रूरी कदम भी उठाएँ-
1. तीनों काले क़ानून सस्पेंड करें।
2. पराली पर जुर्माने का क़ानून सस्पेंड करें।
3. सब मुक़दमे वापस लें।
पूर्वाग्रह छोड़ खुले दिमाग़ से बात करें। pic.twitter.com/d38ToNeWKb
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) December 1, 2020
पंजाब के बाद यूपी पहुंचा आंदोलन
नए कृषि कानूनों के खिलाफ लगातार छठे दिन दिल्ली की अलग-अलग सीमा पर हजारों किसान डटे हुए हैं. किसानों को आशंका है कि नए कानूनों से न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था खत्म हो जाएगी और कारोबारी घरानों को बढ़ावा मिलेगा.
बता दें कि किसान आंदोनल की मांग पंजाब हरियाणा से बढ़कर यूपी राजस्थान तक पहुंच चुकी है. यूपी के गाजीपुर बॉर्डर पर हजारों की संख्या में किसान प्रदर्शन कर रहे हैं.
बुराड़ी के निरंकारी समागम ग्राउंड में कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का विरोध प्रदर्शन करते हुए एक प्रदर्शनकारी ने कहा, ‘हम स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू करने की मांग कर रहे थे. लेकिन सरकार ने हमारे ऊपर तीन काले क़ानून थोप दिए.’
यहां तक की दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों ने बैरिकेडिंग को हटाने के लिए ट्रैक्टर का इस्तेमाल किया.
#WATCH दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों ने बैरिकेडिंग को हटाने के लिए ट्रैक्टर का इस्तेमाल किया। #FarmersProtest pic.twitter.com/1GMpTKcdXx
— ANI_HindiNews (@AHindinews) December 1, 2020
बातचीत के आह्वान के बाद भी सिंघु बॉर्डर पर किसानों का प्रदर्शन जारी है.
कृषि कानूनों के खिलाफ सिंघु बॉर्डर(दिल्ली-हरियाणा) पर किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है। #FarmersProtest pic.twitter.com/Ysn0k0vRLH
— ANI_HindiNews (@AHindinews) December 1, 2020
पंढेर ने दावा किया, ‘सभी किसान संगठनों को आमंत्रित नहीं करना किसान संगठनों को बांटने की कोशिश है. अगर हम बैठक में हिस्सा लेंगे तो समझा जाएगा कि (कृषि कानूनों के खिलाफ) यह आंदोलन केवल पंजाब में हुआ. हो सकता है कि यह केंद्र का षड्यंत्र हो. ’
कृषि कानून को किसान बिरादरी के हित में बताने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान पर पंढेर ने कहा, ‘बैठक के पहले ही वह (प्रधानमंत्री) अपना निर्णय ले चुके हैं. प्रधानमंत्री के निर्णय के खिलाफ कोई भी मंत्री नहीं जाएगा.’
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