नई दिल्ली: प्रमुख खरीफ फसलों के रकबे में रिकॉर्ड वृद्धि के बावजूद सामान्य से अधिक मानसूनी बारिश के कारण सोयाबीन और दलहन के उत्पादन में गिरावट आई है.
देशभर में इस सीजन में 6.6 प्रतिशत अधिक मानसूनी बारिश हुई है, जिसमें किसानों ने अपनी खरीफ फसलों को पिछले वर्ष की तुलना में 6.3 प्रतिशत अधिक रकबे में बोया था.
अत्यधिक बारिश ने खेत में बाढ़ और जलजमाव की स्थिति ला दी और कीट-पतंगों के हमले भी बढ़ा दिए, जिससे मध्य और पश्चिमी भारत के महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और कर्नाटक जैसे प्रमुख उत्पादक राज्यों में सोयाबीन, प्याज, उड़द और मूंग जैसी फसलों को खासा नुकसान पहुंचा.
मध्य प्रदेश में सोयाबीन की फसल में 12-15% की गिरावट
मध्य प्रदेश के किसान कल्याण और कृषि विकास विभाग में प्रधान सचिव अजीत केसरी ने दिप्रिंट को बताया कि राज्य में सोयाबीन की फसलों में 10-15 प्रतिशत नुकसान के आसार हैं, जो देश में इस कमोडिटी का शीर्ष उत्पादक है.
केसरी ने कहा, ‘सबसे ज्यादा नुकसान सोयाबीन में दिखा है, जो राज्य में सबसे ज्यादा उगाई जाने वाली खरीफ फसल है. प्रमुख उत्पादन क्षेत्रों में भारी बारिश के कारण मूंग और उड़द की फसलों को भी नुकसान पहुंचा है. पूरे क्षेत्र में क्षति का स्तर अलग-अलग रहा है, कई क्षेत्रों में 20 प्रतिशत तक का नुकसान हुआ है जबकि सामान्य तौर पर यह 2-3 प्रतिशत तक सीमित रहा है.’
यह भी पढ़ें : चना दाल के दाम चढ़ने के आसार, त्योहारी सीज़न में 100 रुपए प्रति किलो तक पहुंच सकती है काबुली चना की कीमत
उन्होंने आगे कहा, ‘इंडियन इंस्टीट्यूट फॉर सोयाबीन रिसर्च के एक सर्वेक्षण के अनुसार, राज्य में सोयाबीन की करीब 12-15 प्रतिशत फसल प्रभावित हो सकती है. खरीफ की शुरुआती फसल को 6,91,000 लाख हेक्टेयर के करीब नुकसान हो सकता है.’
मध्य प्रदेश में सोयाबीन उत्पादन में अनुमानित क्षति का बड़ा कारण कीट-पतंगों का प्रकोप और खेतों में पानी भर जाना है. राज्य में सर्वाधिक प्रभावित जिले इंदौर, देवास, उज्जैन, धार, सीहोर, हरदा, शाजापुर, मंदसौर और नीमच हैं.
मध्यप्रदेश में किसानों की एक संस्था किसान स्वराज संगठन के संयोजक भगवान मीणा ने दिप्रिंट को बताया, ‘ज्यादातर नुकसान अचानक भारी बारिश और तापमान में बदलाव के कारण हुआ, जिसकी वजह से सोयाबीन के पौधों पर बड़े पैमाने पर कीटों का हमला हुआ. सभी प्रभावित क्षेत्रों में बीमारियों और पीले मोजेक वायरस के कारण सोयाबीन की फसल पीली पड़ गई.’
मीणा ने कहा, ‘भारी बारिश के कारण जलजमाव ने मूंग और उड़द की फसलों की जड़ों और फली को नुकसान पहुंचाया है. यही वजह है कि सोयाबीन जैसी फसलों की पैदावार रिकॉर्ड रकबे में होने के बावजूद क्षेत्र के लिहाज से इसके उत्पादन में कमी आएगी.’
कर्नाटक, महाराष्ट्र में भी स्थिति बेहतर नहीं
अत्यधिक बारिश ने कर्नाटक और महाराष्ट्र के प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में प्याज और मूंग की फसल को क्षति पहुंचाई है.
दोनों राज्यों में भारी क्षति दर्ज की गई है, जहां इस बार फसलों का रकबा काफी ज्यादा था. कर्नाटक में मूंग 3.85 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बोई गई थी जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 50 प्रतिशत अधिक है. इसी तरह महाराष्ट्र में मूंग का क्षेत्र 19 प्रतिशत बढ़कर 3.84 लाख हेक्टेयर हो गया था.
कर्नाटक में नेफेड (नेशनल एग्रीकल्चरल कोऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया) के निदेशक पतंग्य जयवंत राव ने दिप्रिंट को बताया, ‘पिछले दो महीनों में भारी बारिश ने किसानों को बुरी तरह प्रभावित किया है. अगस्त में हुई बेतहाशा बारिश ने 1.6 लाख हेक्टेयर में खड़ी फसलों को क्षति पहुंचाई. सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्रों बेलागवी, बागलकोट और हावेरी में विभिन्न फसलें बाढ़ के पानी में डूब गई थीं.’
यह भी पढ़ें : भारी बारिश से खरीफ की फसल और रबी के स्टॉक को नुकसान, अक्टूबर तक 100 रुपए किलो तक पहुंच सकते हैं प्याज के दाम
राव ने कहा, ‘लगातार बारिश ने उत्तर कर्नाटक के प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में मूंग की फसल की कटाई को प्रभावित किया है क्योंकि ज्यादा नमी से ताजा फसल खराब हो जाती है. किसानों को फसल काटने और सुखाने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है, इसी तरह व्यापारियों के लिए भी उनका भंडारण मुश्किल है.’
कृषि मंत्रालय की अखिल भारतीय फसल स्थिति के अनुसार देश में मानसूनी बारिश सामान्य से 6.6 प्रतिशत अधिक रही है.
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)