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Sunday, 22 December, 2024
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केरल कोविड से ‘लगभग आधी मौतों’ को रिपोर्ट नहीं कर रहा, एक्सपर्ट पैनल ने प्रक्रिया को बताया अस्पष्ट

सरकार द्वारा गठित पैनल की रिपोर्ट कहती है कि कोविड से मौत की गिनती की प्रक्रिया डब्ल्यूएचओ, आईसीएमआर द्वारा निर्धारित मानदंडों के अनुसार होनी चाहिए. वहीं केरल के अधिकारियों का कहना है कि कुछ भी गलत नहीं हो रहा.

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नई दिल्ली: महामारी के शुरुआत में, केरल ने कोरोनोवायरस के खतरे से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए प्रशंसा हासिल की लेकिन जुलाई में एक सुपरस्प्रेडर की घटना ने उस सफलता की पोल खोल दी. अब, राज्य सरकार द्वारा गठित एक विशेषज्ञ पैनल ने मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के प्रशासन को बताया है कि केरल राज्य में कोविड-19 की मौत की कम गिनती कर रहा है, दिप्रिंट को यह जानकारी मिली है.

पैनल द्वारा 10 अगस्त को सरकार को सौंपी गई एक रिपोर्ट के अनुसार, केरल में कोविड की मौत की गिनती की प्रक्रिया ‘अस्पष्ट’ है, वजह कि 20 जुलाई को मानदंडों में बदलाव के कारण, राज्य ने कोमॉर्बिटीज वाले रोगियों को टैली में शामिल नहीं करने का फैसला किया गया था. दिप्रिंट ने यह रिपोर्ट देखी है.

पैनल के बिना गिनती वाली मौतों का आंकड़ा नहीं प्रस्तुत किया है, दिप्रिंट ने केरल में डॉक्टरों और चिकित्सा विशेषज्ञों के एक समूह से बात की जो मीडिया रिपोर्टों और आधिकारिक डोमेन में उपलब्ध आधिकारिक आंकड़ों के आधार पर मौत की एक टैली मेंनटेन कर रहा है.

उनके अनुसार, राज्य कोविड की लगभग आधी मौतों की रिपोर्ट नहीं कर रहा है. उन्होंने कहा कि शुक्रवार सुबह तक केरल में कोविड से मौत का ‘वास्तविक’ आंकड़ा 345 पहुंचा है. हालांकि, आधिकारिक डेटा कुल 52,199 के साथ 191 बता रहा है. इससे पता चलता है कि राज्य में अब तक कम से कम 154 कोविड की मौत की रिपोर्ट नहीं की है.

11 सदस्यीय विशेषज्ञ पैनल, जो मार्च में गठित किया गया था, ने अपने प्रस्तुति में मांग की है कि विजयन सरकार अपने फैसले को पलटे और केरल में कोविड के आंकड़ों को फिर से ऑडिट करे.

विशेषज्ञ पैनल की रिपोर्ट पर प्रमुख सचिव, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, केरल, राजन खोबरागड़े से पूछने पर उन्होंने कम गिनती के आरोप पर सीधे बोलने में टालमटोल की. उन्होंने कहा, ‘इन विशेषज्ञों’ को पहले सभी अस्पतालों का दौरा करना चाहिए’ और फिर बोलना चाहिए’.

‘वास्तव में, न केवल केरल में, बल्कि पूरे देश में उन्हें जाना चाहिए यह देखने कि कैसे कोविड को यहां संभाला जा रहा है.’ खोबरागड़े ने दिप्रिंट को बताया.

4 अगस्त को, स्वास्थ्य मंत्री केके शैलजा ने इस आरोप से इनकार किया था कि सरकार डेटा छुपा रही है. उन्होंने कहा कि राज्य विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के दिशा-निर्देशों के अनुसार कोविड मौतों की पुष्टि करता है. लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि कोविड रोगियों की मौत के लिए हमेशा वायरस संक्रमण को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है.


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पैनल ने क्या कहा

अपनी प्रस्तुतियों में, पैनल ने कहा, ‘बिना किसी उचित विवरण के कोविड-19 की मौत की सूची का मानदंड शामिल करना उस समय जब कोरोनोवायरस की बढ़ती संख्या का दावा किया जा राह हैं’, तो लोगों और वैज्ञानिक समुदाय के मन में शंका पैदा करेगा.

समिति ने कहा, ‘आधिकारिक सूचना की प्रामाणिकता पर सवाल उठाए जाएंगे.’

रिपोर्ट कहती है कि प्रक्रिया डब्ल्यूएचओ और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा निर्धारित मानदंडों के अनुसार होनी चाहिए.

इसमें कहा है, दोनों एजेंसियों ने सिफारिश की है कि मौतों को कोविड टैली में शामिल किया जाना चाहिए, चाहे कोरोनोवायरस मौत का पहला या दूसरा प्रमुख कारण रहा हो.

रिपोर्ट में मापदंड में बदलाव के बाद केरल में मामलों की गिनती की स्थिति को लेकर कहा है, ‘जिन लोगों को कोविड-19 था, अगर उन्हें उस समय कोई और दूसरी बीमारी थी तो मौत होने पर उन्हें लिस्ट से बाहर कर दिया गया. कोविड-19 के इलाज के दौरान मरने वालों के नमूनों की फिर से जांच करने का भी फैसला किया है.’

इसमें आगे कहा है, ‘यदि कोई व्यक्ति कोरोनोवायरस से संक्रमित है, तो उसकी तीन या चार हफ्ते बाद मौत होने पर टेस्ट निगेटिव आ सकती है. ऐसी मौतों को भी बाहर रखा गया है.’

पैनल के एक सदस्य ने पहचान न जाहिर करने की शर्त पर कहा, ‘ऐसे मामले सामने आए हैं जिनमें एक मरीज गिरा और उसकी मौत हो गई. बाद में, उक्त व्यक्ति को कोविड-19 पॉजिटिव पाया गया, फिर भी कोविड की मौत की गिनती में यह नाम शामिल नहीं किया गया क्योंकि उसकी मौत का कारण दिल का दौरा या स्ट्रोक था. तथ्य यह कि व्यक्ति को बुखार और सांस फूलना हो सकता है, को नजरअंदाज कर दिया गया.’

‘कोविड-19 मायोकार्डिअल और सेरेब्रल इस्केमिया का कारण बन सकता है और जो दिल का दौरा या स्ट्रोक के रूप में आ सकता है.’ केरल के एर्नाकुलम में नॉवल कोरोनावायरस से हुई मौतों का संकलन कर रहे डॉक्टरों के एक समूह के हिस्सा, वेल्केयर अस्पताल के कंसल्टेंट चिकित्सक डॉ. अरुण एनएम ने ये बातें कही.

दिप्रिंट ने इस पर टिप्पणी के लिए कमेटी के चेयरपर्सन डॉ. इकबाल बापुकुंजू से संपर्क किया, जो केरल राज्य योजना बोर्ड के सदस्य हैं. उन्होंने इस पर कुछ भी बोलने से मना कर दिया.

क्या मापदण्ड में बदलाव ने टैली को प्रभावित किया है?

केरल कोविड-19 टास्क फोर्स के एक वरिष्ठ अधिकारी ने विशेषज्ञ समिति द्वारा कोई रिपोर्ट प्राप्त होने से इनकार कर दिया. लेकिन जब आगे जांच की गई, तो उन्होंने कहा कि यह दिशा-निर्देशों का पालन सुनिश्चित करने के लिए एक स्पष्टीकरण था.

‘हम डब्ल्यूएचओ के दिशानिर्देशों का कड़ाई से पालन कर रहे हैं …अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर पूछा कि कोविड-19 से होने वाली मौत को अंडर रिपोर्ट करके किसी राज्य को क्या मिलेगा.

उन्होंने कहा, ‘कोविड पॉजिटिव मरीजों में गैर-कोविड की मौत के उदाहरण हैं और इस तरह के दिशानिर्देशों के तहत और शायद कोविड ने पुरानी बीमारी के कुछ अन्य मामलों में मौत में वृद्धि कर दी है, उन्होंने कहा कि यह पूरी मेडिकल रिपोर्ट के बाद ही सामने आता है.


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स्वतंत्र डॉक्टर टैली के बारे में क्या कहते हैं

बुधवार को एक विस्तृत फेसबुक पोस्ट में डॉ. अरुण ने बताया कि कैसे राज्य कोविड की मौतों से गुजर रहा है.

Almost all states in India are undercounting Covid deaths and there are many innovative ways of doing this. Official…

Arun Nm यांनी वर पोस्ट केले मंगळवार, १८ ऑगस्ट, २०२०

दिप्रिंट से बात करते हुए अरुण ने कहा, ‘हम कोविड-19 की मौतों पर मीडिया रिपोर्टों के आधार पर डेटा संकलित कर रहे हैं और हमने दुर्घटना या आत्महत्या को छोड़कर सभी कोविड-19 पॉजिटिव मौतों को शामिल किया है.’

उन्होंने कहा कि 22 जुलाई से 13 अगस्त के बीच केरल सरकार के आधिकारिक आंकड़े कोविड की मृत्यु का 36 प्रतिशत नहीं थे. 14 से 17 अगस्त के बीच, केरल में 9 फीसदी कोविड की मौत काउंट नहीं हुई थी.

उन्होंने कहा कि प्लाज्मा थेरेपी लेने के बाद मरने वाले को आधिकारिक मौत की सूची में शामिल नहीं किया गया था.

उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘ये मौतें उसमें में शामिल नहीं थीं क्योंकि मृत्यु से ठीक पहले अंतिम स्वैब का परिणाम नेगेटिव था.

उदाहरण के लिए कोल्लम मेडिकल कॉलेज में 12 जुलाई को मरने वाले एक 72 वर्षीय ऑटो चालक को कोविड टैली में शामिल नहीं किया गया क्योंकि उसकी मृत्यु से एक दिन पहले उसको कोविड नेगेटिव पाया गया था. बाद में यह सामने आया कि उनके 15 प्राथमिक संपर्क पॉजिटिव थे और कुल 47 कोविड के मामलों का पता लगाया गया था.

अरुण ने कहा कि प्लाज्मा थेरेपी एंटीबॉडी को समायोजित करने में मदद कर सकती है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि व्यक्ति पूरी तरह से ठीक हो गया है.

अरुण ने कहा, ‘ऐसे सात लोगों को बाहर रखा गया था और उनमें से चार को प्लाज्मा थेरेपी दी गई थी. मरने वाले सभी डेंगू रोगियों का एंटीजन टेस्ट नेगेटिव आया था लेकिन वे डेंगू से होने वाली मौतों में गिने जाते हैं, पर यहां ऐसा नहीं है.’

केरल के इंडियन मेडिकल एसोसिएशन उपाध्यक्ष डॉ सुल्फी नोहू ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि सरकार कोविड के प्रबंधन को प्रभावित करने वाले आंकड़ों को बदलती नहीं है. ‘यह महत्वपूर्ण है कि इन चीजों को संकट से निपटने के लिए सटीक रूप से देखा जाए क्योंकि यह अभी तक खत्म नहीं हुआ है.’

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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