चंडीगढ़: कठुआ गैंगरेप और हत्या मामले में 8 साल की पीड़िता के परिवार ने वकील दीपिका सिंह राजावत को हटा दिया है. यह घटना इस साल जनवरी में हुई थी और दीपिका राजावत पीड़ित परिवार की वकील थी. बुधवार को पठानकोट में ट्रायल कोर्ट के समक्ष दायर आवेदन में पीड़िता के पिता ने कहा कि राजावत अब मामले में उनका प्रतिनिधित्व नहीं करेंगी.
पीड़ित परिवार की तरफ से पेश दूसरे वकील मुबीन फारूकी ने बताया राजावत के पास कोर्ट में सुनवाई के दौरान पेश होने का समय नहीं था. वह पिछले कई महीनों में केवल दो बार पेश हुई हैं.
उन्होंनें कहा, ‘इस मामले की अब तक लगभग 110 सुनवाई हो चुकी है और 100 से ज्यादा लोगों ने गवाही दी है लेकिन राजावत केवल दो बार पेश हुई हैं. उन्होंने दावा किया था कि वह इस मामले में पेश होती हैं इसलिए लोग उन्हें जान से मारने की धमकी देते हैं. इसे ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है कि उन्हें इस जिम्मेदारी से मुक्त कर दिया जाय.’
पिता द्वारा दायर आवेदन में कहा गया है, ‘इस मामले में उनकी आशंका और गैर-उपस्थिति को ध्यान में रखते हुए … मैं दीपिका सिंह राजवत को जारी किए गए पॉवर आॅफ एटार्नी को वापस लेता हूं और अब वह मेरी वकील नहीं हैं.’
गौरतलब है कि जम्मू में रहने वाली मानवाधिकार वकील दीपिका राजावत गुर्जर बकरवाल समुदाय की आठ साल की पीड़िता को न्याय दिलाने की मुहिम में चेहरा बन गई थी. पीड़िता की कठुआ के एक गांव में बलात्कार करके हत्या कर दी गई थी.
आरोपियों के पक्ष में स्थानीय हिंदुओं द्वारा प्रदर्शन किए जाने के बावजूद पीड़िता की लड़ाई लड़ने के फैसले ने दीपिका राजावत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई थी.
इस मामले में कठुआ जिला अदालत में अप्रैल में ट्रायल शुरू हुआ था लेकिन राजावत द्वारा सुप्रीम कोर्ट में अर्जी डालने के बाद कि मामले को जम्मू कश्मीर से बाहर स्थानांतरित किया जाय, मामले को पठानकोर्ट स्थानांतरित कर दिया गया. इस मामले की 31 मई के बाद से कैमरे के सामने कड़ी सुरक्षा में हर दिन सुनवाई होती है.
दीपिका राजावत ने प्रिंट से कहा कि इस मामले में पीड़िता का पक्ष दो वरिष्ठ वकीलों द्वारा बेहतर तरीके से रखा जा रहा है. उन्होंने कहा, ‘इस मामले में अभियोजन पक्ष की तरफ से दो वरिष्ठ वकील उपस्थिति हो रहे हैं. उनके पास आपराधिक मामलों को लेकर मुझसे ज्यादा अनुभव है.’
राजावत ने कहा, ‘मैं ट्रायल में कम से कम हफ्ते में एक बार उपस्थित होना चाहती थी क्योंकि मेरे लिए हर दिन पठानकोट जाना संभव नहीं है. मुझे अपनी बेटी की भी देखभाल करनी है. अगर मैं हर दिन 200 किमी दूर पठानकोट जाउंगी तो मेरी अपनी प्रैक्टिस भी प्रभावित होगी.’
उन्होंने कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण था कि पीड़ित के पिता ने ऐसा अनुरोध किया था लेकिन मुझे किसी से कोई शिकायत नहीं है. मैंने ऐसा किया जो मैंने उस महत्वपूर्ण समय में किए जाने का सोचा था जब हर कोई आगे आने के लिए डर गया था. मैं परिवार के साथ खड़ी हूं.’
गौरतलब है कि कठुआ गैंगरेप मर्डर मामले की चर्चा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हुई थी. इस मामले में आरोपियों का समर्थन भाजपा के कुछ नेताओं समेत स्थानीय हिंदू समूहों द्वारा किया गया था. मामले में कठुआ बार एसोसिएशन ने पुलिस को अदालत में चार्जशीट दाखिल करने से रोकने का प्रयास भी किया था.
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