नई दिल्ली: 2021 में, कोविड की दूसरी लहर के थपेडों से जूझता रहा. देखते ही देखते वायरस जंगल में लगी आग की तरह फैल गया, और अस्पताल मे बिस्तर, दवाओं व ऑक्सीजन की कमी हो गई. अनगिनत लोगों ने सांस लेने के लिए हांफते हुए अपनी जान गंवा दी. यहां तक कि कुछ लोगों को इलाज मिल पाता उससे पहले ही जान चली गई.
अस्पतालों, श्मशान घाटों और कब्रिस्तानों में दिल दहला देने वाले मंज़र देखने को मिले, जहां सैकड़ों की संख्या में लोगों ने दुखी मन से अपने प्रियजनों को अंतिम विदाई दी. श्मशान और कब्रिस्तान में लाशों को जलाने के लिए चौबीसों घंटे काम करते थे. श्मशान घाट में अक्सर एक ही समय में कई चिताएं जलती थीं.
देश में दूसरी कोविड लहर से तबाही मचते ही सरकार ने अपने टीकाकरण कार्यक्रम को तेज कर दिया, और इसे दूर दराज इलाकों तक पहुंचाने के लिए स्वास्थ्य कर्मियों ने दिन-रात काम किया.
कोविड से दूर, मीडिया में कई अन्य महत्वपूर्ण घटनाएं छाई रहीं, जैसे- काशी विश्वनाथ धाम परियोजना – जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक पसंदीदा परियोजना है और जिसे 2018 में लॉन्च किया गया था. 5 लाख वर्ग फुट के क्षेत्र में फैले इस परियोजना का उद्देश्य काशी विश्वनाथ मंदिर शिव के मंदिर में जाने वाले तीर्थयात्रियों को विश्व स्तरीय सुविधाएं प्रदान करना है. पीएम ने इस महीने की शुरुआत में परियोजना के पहले चरण का उद्घाटन किया था.
सबसे बड़ी खबरों में से एक थी पूर्वोत्तर में दो राज्यों की पुलिस बलों के बीच हुई झड़प. असम और मिजोरम पुलिस के बीच झड़प में छह कर्मियों की मौत हो गई और 50 अन्य घायल हो गए.
इस बीच, मणिपुर में एक आतंकवादी हमले में चार सैनिकों के साथ असम राइफल्स के एक कर्नल शहीद हो गए. इस टकराहट का विशेष रूप से दिल दहला देने वाला तथ्य यह है कि हमले में कर्नल की पत्नी और आठ साल के बेटे की भी मौत हो गई थी.
कश्मीर से भी कई बड़ी कहानी सामने आई. नागरिकों की हत्याओं के अलावा, नवंबर में हैदरपोरा में एक मुठभेड़ को लेकर एक बड़ा विवाद छिड़ गया, जिसके कारण एक संदिग्ध पाकिस्तानी आतंकवादी और तीन स्थानीय निवासियों की मौत हो गई, इनमें से दो पर पुलिस ने आतंकवादियों से संबंध होने का आरोप लगाया था. हालांकि, तीनों के परिवारों ने उन्हें बेकसूर बताया है. मामले में जांच की जा रही है.
दिप्रिंट के राष्ट्रीय फोटो संपादक प्रवीण जैन के नज़रिए से इनमें से कुछ घटनाओं पर एक नज़र डालें.
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