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Friday, 20 December, 2024
होमदेशकर्नाटक के शिक्षामंत्री ने कहा- गीता, कुरान की तरह धार्मिक पु्स्तक नहीं, यह नैतिकता की बात करती है

कर्नाटक के शिक्षामंत्री ने कहा- गीता, कुरान की तरह धार्मिक पु्स्तक नहीं, यह नैतिकता की बात करती है

बीसी नागेश ने कहा, 'कुरान एक धार्मिक पुस्तक है और भगवत गीता धार्मिक पुस्तक नहीं है. गीता भगवान की पूजा या फिर किसी धार्मिक प्रथा के बारे में नहीं बताती है. यह नैतिकता की बात करती है जो छात्रों को भी प्रेरित करती है.

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नई दिल्ली: कर्नाटक के स्कूलों में गीता को पाठ्यक्रम के तौर पर शामिल किए जाने को लेकर विवाद जारी है. कर्नाटक सरकार इस शैक्षणिक सत्र से वहां के स्कूलों कालेजों में इसे पढ़ाना चाहती है. कर्नाटक के शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने इसको लेकर विवादास्पद बयान दिया है. उन्होंने कहा कि गीता धार्मिक पुस्तक नहीं है.

बीसी नागेश ने कहा, ‘कुरान एक धार्मिक पुस्तक है और भगवत गीता धार्मिक पुस्तक नहीं है. गीता भगवान की पूजा या फिर किसी धार्मिक प्रथा के बारे में नहीं बताती है. यह नैतिकता की बात करती है जो छात्रों को भी प्रेरित करती है.

आगे उन्होंने कहा कि, ‘हमें पता है कि स्वतंत्रता सेनानियों को भी गीता से आजादी की लड़ाई लड़ने की प्रेरणा मिली थी.’

गौरतलब है कि दिसंबर से कर्नाटक के स्कूलों में गीता को छात्रों को नैतिक शिक्षा के तौर पर पढ़ाई जाएगी. शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने सोमवार को विधान परिषद में भाजपा के एमके प्रणेश के एक सवाल का जवाब देते हुए कहा, ‘हमने भगवद गीता को एक अलग विषय के रूप में पढ़ाने के प्रस्ताव को छोड़ दिया और इसकी शिक्षाओं को नैतिक शिक्षा के हिस्से के रूप में शामिल करने का फैसला किया.’

उन्होंने कहा कि सरकार ने एक विशेषज्ञ पैनल नियुक्त किया है और हितधारकों की सिफारिशों के आधार पर, गीता की शिक्षाओं को दिसंबर से स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा.

ओवैसी ने कसा तंज

संघ के लिए, इस्लाम से संबंधित कुछ भी ‘धार्मिक’ है, लेकिन हिंदू धर्म के साथ कुछ भी करना ‘सांस्कृतिक/नैतिक’ है’ गीता एक धार्मिक ग्रंथ है. सभी धार्मिक ग्रंथों में नैतिक घटक होते हैं. संघियों को परवाह नहीं है, लेकिन सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में धार्मिक शिक्षा अनुच्छेद 28 द्वारा प्रतिबंधित है.

जब संघी अंग्रेजों के साथ सहयोग कर रहे थे, मुस्लिम उलेमा ने अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी, संभवतः कुरान और हदीस से प्रेरित. भगवद गीता ने भले ही कुछ लोगों को अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने के लिए प्रेरित किया हो, लेकिन यह स्कूली पाठ्यक्रम में इसे अनिवार्य बनाने के लिए पर्याप्त कारण नहीं है.


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