बेंगलुरु: दो निजी अस्पतालों के आउट पेशंट डिपार्टमेंट (ओपीडी) ज़बर्दस्ती बंद करा दिए गए हैं, क्योंकि बेंगलुरु अर्बन डिस्ट्रिक्ट ऑफिसर को ख़बर मिली थी कि बेड्स की कमी का बहाना करते हुए उन्होंने सारी और ईली मरीज़ों को भर्ती करने से मना कर दिया था.
सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन (सारी) और इन्फ्लुएंज़ा-लाइक इल्नेसेज़ (इली) की स्थिति को कोविड से जोड़कर देखा जाता है लेकिन ये स्वाइन फ्लू और सीज़नल फ्लू जैसी दूसरी बीमारियों के लक्षण भी हो सकते हैं.
अस्पतालों का मुआयना करने के बाद ज़िला स्वास्थ्य अधिकारी जीए श्रीनिवास ने जयानगर के अपोलो स्पेशियलिटी अस्पताल, और मिलर्स रोड के विक्रम अस्पताल को, कई सरकारी निर्देशों को न मानने के लिए नोटिस जारी किए.
स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि अस्पताल इलाज के लिए आए मरीज़ों को वापस लौटा रहे थे और सरकारी निर्देश के मुताबिक़, उन्होंने कोविड मरीज़ों के लिए, 50 प्रतिशत बेड्स भी आरक्षित नहीं किए थे.
हेल्पलाइन के ज़रिए भेजे गए मरीज़ों के इलाज से इन्कार
मंगलवार को जारी सर्कुलर में सरकार ने कहा कि 48 घंटे ओपीडी बंद रहने के बाद भी अगर ये अस्पताल कोविड-19 मरीज़ों को लौटाते रहे तो कर्नाटक प्राइवेट मेडिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत इनके सामने लाइसेंस रद्द होना का ख़तरा खड़ा हो सकता है.
कर्नाटक के स्वास्थ्य सचिव पंकज कुमार पाण्डे ने ट्विटर पर ओपीडीज़ को 48 घंटे के लिए सील करने की पुष्टि कर दी है.
उन्होंने कहा, ‘महामारी को हराने के लिए समाज के हर तबक़े के, सुसंगत प्रयास की ज़रूरत होती है. निजी अस्पतालों को सरकार के साथ सहयोग करना चाहिए, ताकि सुनिश्चित हो सके कि कोविड का कोई मरीज़ इलाज से वंचित न रहे’.
ಸರ್ಕಾರ ರೆಫರ್ ಮಾಡಿದ ರೋಗಿಗಳಿಗೆ ಚಿಕಿತ್ಸೆ ನಿರಾಕರಿಸಿದ ವಿಕ್ರಂ ಆಸ್ಪತ್ರೆ ಹಾಗು ಜಯನಗರದ ಸಾಗರ್ ಅಪೋಲೊ ಆಸ್ಪತ್ರೆಗಳ ಓ.ಪಿ.ಡಿ ಗಳನ್ನು 48 ಗಂಟೆ ಸೀಲ್ ಮಾಡಲಾಗಿದೆ.
ಕೊವಿಡ್-19 ನಿಯಂತ್ರಣಕ್ಕೆ ಬೇಕಿದೆ ಖಾಸಗಿ ಆಸ್ಪತ್ರೆಗಳ ಸಂಪೂರ್ಣ ಸಹಕಾರ!@CMofKarnataka @BSYBJP @sriramulubjp @DrKSudhakar4 @CovidKarnataka pic.twitter.com/xlFcGKu2Gy
— PANKAJ KUMAR PANDEY, IAS (@iaspankajpandey) July 14, 2020
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अधिकारियों के अनुसार, अपोलो अस्पताल ने बेड्स की कमी का हवाला देते हुए उन मरीज़ों के इलाज से इन्कार कर दिया, जो बृहत बेंगलुरु महानगर पालिके हेल्पलाइन (1912) के ज़रिए भेजे गए थे.
लेकिन अपोलो अस्पताल ने आरोपों से इन्कार करते हुए कहा कि एक नामित कोविड अस्पताल होने के नाते, वो ज़रूरी नियमों का पालन कर रहे थे.
जयानगर के अपोलो अस्पताल के यूनिट हेड, डॉ. गोविंदय्या यतीश की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, ‘हमने 60 बेड्स चालू किए हैं, जिनमें से 30 बेड्स सरकार की ओर से भेजे गए मरीज़ों को आवंटित हैं. आप अपने किसी भी स्टाफ को इसकी पुष्टि के लिए भेज सकते हैं. हम हमेशा सरकारी निर्देशों और नियमों का पालन करेंगे’.
उन्होंने कहा, ‘फिलहाल हमारे पास सरकार की ओर से रेफर किए हुए 9 मरीज़ बीबीएमपी से हैं और 40 सीधे आए हुए वॉक-इन मरीज़ हैं जिनमें ईली और सारी के लक्षण हैं’.
डॉ. यतीश ने ये भी कहा कि अस्पताल ने ऐसे मरीज़ भी भर्ती किए थे जो बेहद नाज़ुक हालत में थे.
लेकिन, उनका कहना था कि अस्पताल में ‘स्टाफ की बेहद कमी’ थी और अस्पताल को चरणबद्ध तरीक़े से, पूरी क्षमता के साथ खोला जाएगा. उन्होंने कहा, ‘एक बार मौजूदा मरीज़ डिस्चार्ज हो जाएं तो बेड्स की उपलब्धता के हिसाब से हम सरकार के भेजे हुए ज़्यादा मरीज़ों को ले पाएंगे’.
विक्रम अस्पताल के एक अधिकारी ने दिप्रिंट से कहा कि वो सरकार के निर्देशों के अनुसार चल रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘विभाग के नोटिस के हिसाब से हमने दो दिन के लिए अपनी ओपीडी बंद कर दी है’.
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