लखनऊ: कानपुर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) हरि दत्त नेमी को गुरुवार को निलंबित कर दिया गया. यह विवाद जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह के साथ कई दिनों तक सार्वजनिक रूप से चला था, जिसके कारण भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधायकों के पक्ष लेने से राज्य में मतभेद पैदा होने का खतरा था.
निलंबन आदेश के बाद नेमी ने यहां एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया. उन्होंने आरोप लगाया कि डीएम उन पर “अवैध” काम करने के लिए “दबाव” बना रहे थे और सीएमओ द्वारा ऐसा करने से इनकार करने पर उन्होंने उन पर हमला बोल दिया.
निलंबन अवधि के दौरान नेमी लखनऊ में चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय से जुड़े रहेंगे. गुरुवार को जारी सरकारी आदेश के अनुसार, श्रावस्ती के अतिरिक्त मुख्य चिकित्सा अधिकारी उदय नाथ को कानपुर का नया सीएमओ नियुक्त किया गया है.
जिलाधिकारी और मुख्य चिकित्सा अधिकारी के बीच कई दिनों तक सार्वजनिक रूप से विवाद रहा. उनके बीच झगड़े के केंद्र में नेमी के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप और सीएमओ द्वारा सिंह की कार्यशैली पर सवाल उठाना है. सिंह ने सीएमओ को हटाने की मांग की है.
उनके झगड़े ने भाजपा के भीतर मतभेदों को भी सामने ला दिया. कुछ विधायक सीएमओ के साथ खड़े थे, जबकि अन्य डीएम के साथ. समाजवादी पार्टी ने दावा किया कि भले ही यह दो अधिकारियों के बीच की लड़ाई लग रही हो, लेकिन असल में यह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनके उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक के बीच की लड़ाई है, जो राज्य के स्वास्थ्य मंत्री भी हैं.
कानपुर के विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना सहित भाजपा विधायकों के एक वर्ग ने नेमी के पक्ष में पैरवी की और सरकार से उन्हें न हटाने का आग्रह किया. महाना ने मंगलवार को पाठक को पत्र लिखकर सीएमओ के बर्ताव का बचाव किया और आग्रह किया कि उन्हें कानपुर में ही रहने दिया जाए.
महाना ने नेमी के “लोगों के अनुकूल” दृष्टिकोण और सरकारी स्वास्थ्य योजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन की प्रशंसा की.
भाजपा एमएलसी अरुण पाठक और गोविंदनगर विधायक सुरेंद्र मैथानी ने उपमुख्यमंत्री को अलग-अलग पत्र लिखकर जनप्रतिनिधियों के प्रति सीएमओ के “सम्मानजनक” व्यवहार की सराहना की.
हालांकि, बिठूर से भाजपा विधायक अभिजीत सिंह सांगा ने अलग रुख अपनाया और पाठक के बजाय मुख्यमंत्री आदित्यनाथ को पत्र लिखा.
अपने पत्र में सांगा ने नेमी पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया और आरोप लगाया कि सीएमओ कथित तौर पर जिला मजिस्ट्रेट को बदनाम करने वाले विवादास्पद ऑडियो क्लिप के प्रसार के पीछे हैं. उन्होंने आगे आरोप लगाया कि नेमी ने कर्मचारियों के साथ दुर्व्यवहार किया, सरकारी आदेशों की अवहेलना की और निजी लाभ के लिए डॉक्टरों के तबादलों में हेराफेरी की.
पूर्व भाजपा विधायक नीरज चतुर्वेदी भी इस विवाद में कूद पड़े और मंगलवार को आरोप लगाया कि विधानसभा अध्यक्ष ने उनका नाम लिए बिना सीएमओ के पक्ष में मामले को प्रभावित किया है.
चतुर्वेदी ने सीएमओ की कार्यशैली की गहन जांच की मांग की है.
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क्या है विवाद
यह विवाद तब शुरू हुआ जब डीएम सिंह ने पिछले महीने जिले के स्वास्थ्य विभाग के कामकाज पर चिंता जताई. राज्य सरकार को लिखे पत्र में उन्होंने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (सीएचसी) और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी) के निरीक्षण के दौरान पाई गई कथित कमियों का हवाला देते हुए स्वास्थ्य सेवाओं में बड़ी गड़बड़ियों का आरोप लगाया. उन्होंने नेमी के कार्यकाल में डॉक्टरों के कथित मनमाने तबादलों का भी ज़िक्र किया.
सिंह ने सीएमओ पर लापरवाही और अनप्रोफेशनल बर्ताव का आरोप लगाया और दावा किया कि इसने जिले में स्वास्थ्य सेवाओं की खराब स्थिति में योगदान दिया है.
तीन ऑडियो क्लिप के सोशल मीडिया पर सामने आने के बाद तनाव बढ़ गया, जिसमें सीएमओ नेमी डीएम के बारे में अपमानजनक टिप्पणी करते हुए दिखाई दे रहे थे.
उन्हें यह कहते हुए सुना गया कि “यह 75 जिलों में एकमात्र डीएम है जो हर चीज़ का क्रेडिट ले रहा है. अगर कोई बैठक 20 मिनट में हो सकती है, तो उन्हें दुनिया भर की कहानियां सुनाने में एक घंटा लग जाता है और वह चीज़ों को बढ़ा-चढ़ाकर बताते हैं. अब मैं देख रहा हूं कि मीटिंग में जाने वाली महिलाएं परेशान हो जाती हैं.”
हालांकि, नेमी ने इस बात से इनकार किया कि यह उनकी आवाज़ है और दावा किया कि यह एआई द्वारा जनरेट किया गया है.
इन ऑडियो क्लिप की प्रामाणिकता की पुष्टि दिप्रिंट द्वारा स्वतंत्र रूप से नहीं की गई है.
लेकिन स्वास्थ्य अधिकारियों की कई शिकायतों के बाद मामला बढ़ने के बाद, जिला मजिस्ट्रेट सिंह ने सीएमओ को हटाने के लिए स्वास्थ्य के प्रमुख सचिव को एक पत्र लिखा, जिसमें कहा गया कि सरकारी आदेशों का पालन नहीं करने, जिला स्वास्थ्य अधिकारियों को मानसिक रूप से परेशान करने और ट्रांसफर पोस्टिंग के लिए रिश्वत मांगने के लिए उनके खिलाफ कई शिकायतें मिली हैं.
शनिवार को भी डीएम ने एक बैठक के दौरान क्लिप के बारे में सीएमओ से बात की. नेमी ने रिकॉर्डिंग की प्रामाणिकता पर सवाल उठाया और दावा किया कि उनकी छवि खराब करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का उपयोग करके उनमें हेरफेर किया गया था.
जवाब से संतुष्ट नहीं होने पर डीएम ने सीएमओ को बैठक से बाहर जाने को कहा.
आरोपों का जवाब देते हुए नेमी ने अपनी बेगुनाही दोहराई और अपनी छवि खराब करने की साजिश का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि उनका एकमात्र ध्यान स्वास्थ्य विभाग के कामकाज को बेहतर बनाना है.
जिला प्रशासन के सूत्रों के अनुसार, डीएम ने पिछले कुछ महीनों में कई औचक निरीक्षणों के दौरान सीएमओ की ओर से कथित लापरवाही के मामलों को चिन्हित किया था. उन्होंने इन यात्राओं के बाद कार्रवाई करने की योजना बनाई.
सीएमओ पिछले कुछ दिनों से कथित तौर पर कार्यालय से अनुपस्थित भी थे. इस बीच, उनकी कुर्सी पर कथित तौर पर भगवा तौलिया रखे जाने की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई, जिसने खूब सुर्खियां बटोरीं.
समाजवादी पार्टी के विधायक अमिताभ बाजपेयी ने कहा, “राज्य में अधिकारियों और भाजपा विधायकों के बीच अनबन आम बात है, लेकिन मुझे लगता है कि यह मुद्दा वास्तव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक के बीच है. आम लोग इस सरकार द्वारा ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं, क्योंकि भ्रष्टाचार नहीं रुका है.”
बाजपेयी ने संकेत दिया कि डीएम को मुख्यमंत्री आदित्यनाथ का करीबी माना जाता है और सीएमओ उपमुख्यमंत्री पाठक के करीबी लोगों में से हैं.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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