नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व छात्रनेता कन्हैया कुमार और नौ अन्य के खिलाफ देशद्रोह के मामले में आरोप-पत्र दाखिल किए जाने के कुछ दिनों बाद शनिवार को यहां एक अदालत ने दिल्ली पुलिस से पूछा कि उसने सक्षम प्राधिकारी की अनुमति के बगैर आरोप-पत्र क्यों दाखिल किया. मुख्य महानगर दंडाधिकारी दीपक शेरावत ने दिल्ली पुलिस से पूछा, ‘आपने अनुमति के बगैर आरोप-पत्र क्यों दाखिल किया? आपके पास कोई विधिक विभाग नहीं है.’
पुलिस ने अदालत को आश्वस्त किया कि वह 10 दिनों के भीतर जरूरी मंजूरी प्राप्त करेगी. अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 6 फरवरी की तिथि तय की है. दिल्ली पुलिस ने 14 जनवरी को आरोप-पत्र दाखिल किया, जिसमें जेएनयू के छात्र नेता कन्हैया कुमार, उमर खालिद, अनिर्बान भट्टाचार्य और सात अन्य कश्मीरी छात्रों को आरोपी बनाया गया है.
आरोप-पत्र में देशद्रोह, जानबूझ कर चोट पहुंचाने, धोखाधड़ी, फर्जी दस्तावेज को सही बताकर इस्तेमाल करने, अवैध जुटाव के लिए दंड, समान उद्देश्य के साथ अवैध जुटाव, बलवा और आपराधिक साजिश से जुड़ी भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं.
यह मामला संसद हमले के मास्टरमाइंट अफजल गुरु को फांसी दिए जाने के विरोध में जेएनयू परिसर में 9 फरवरी, 2016 को आयोजित एक कार्यक्रम से जुड़ा है.
कन्हैया कुमार और खालिद दोनों ने आरोप-पत्र दाखिल किए जाने पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह राजनीति से प्रेरित है और नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली भाजपा सरकार की मुद्दे से भटकाने वाली चाल है.