नई दिल्ली : हिंदी भाषा को लेकर एक बार फिर से बहस तेज़ हो गई है. हिंदी दिवस के दिन अमित शाह ने हिंदी को लेकर एक बयान दिया था जिसके बाद दक्षिण भारत में फिर से इसे लेकर बवाल मच गया है. तमिल अभिनेता कमल हासन ने एक वीडियो ट्वीट करते हुए कहा, ‘जब हमने भारत को गणतंत्र बनाया था तब हमने अनेकता में एकता के सिद्धांत को अपनाया था. लेकिन वर्तमान में न कोई शाह और न ही कोई सुल्तान इस बात को लेकर कर्तव्यबद्ध है. हम सभी भाषाओं का सम्मान करते हैं लेकिन मेरी मातृ भाषा हमेशा तमिल ही रहेगी.’
हासन ने कहा, ‘देश बंगाली में लिखा गया राष्ट्रगान गाता है और पूरे सम्मान के साथ गाता है. यह इसलिए होता है क्योंकि इसे लिखने वाला आदमी सभी भाषाओं का सम्मान करता था.’
Now you are constrained to prove to us that India will continue to be a free country.
You must consult the people before you make a new law or a new scheme. pic.twitter.com/u0De38bzk0
— Kamal Haasan (@ikamalhaasan) September 16, 2019
कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सिस्ट) की नेता बृंदा करात ने सोमवार को केंद्रीय मंत्री सदानंद गौड़ा के बयान पर निशाना साधा. गौड़ा ने गृह मंत्री अमित शाह के हिंदी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाने के बयान का समर्थन किया था. गृह मंत्री अमित शाह के बयान के बाद पूरे देश में एक बार फिर से बवाल मच गया है. दक्षिण भारत के भाजपा नेता भी गृह मंत्री के हिंदी को दिए बयान का समर्थन कर रहे हैं. करात ने कहा कि अमित शाह को इस पर स्पष्टीकरण देना चाहिए और कहना चाहिए कि हम त्रिभाषा फॉर्मूले को मानते हैं.
हिंदी दिवस के दिन अमित शाह ने एक विवादित बयान दिया था. उन्होंने कहा था, ‘यह महत्वपूर्ण है कि देश की एक भाषा हो जो पूरे देश की पहचान को परिभाषित करे. मुझे लगता है कि सिर्फ हिंदी ही ऐसा कर सकती है.’
इस बयान के बाद दक्षिण भारत से एक बार फिर से विरोध होना शुरू हो गया है. सोमवार को गौड़ा ने बयान दिया था कि त्रिभाषा फॉर्मूला सभी लोगों द्वारा अपनाया जा रहा है. गौड़ा ने कहा था कि हिंदी सभी को जोड़ने वाली भाषा है. इसका मतलब यह नहीं है कि यह सभी की बॉस है. उन्होंने कहा कि संसद के पिछले सत्र में प्रधानमंत्री ने कहा था कि हमें सभी क्षेत्रीय भाषाओं का सम्मान करना चाहिए.
Union Minister DV Sadananda Gowda: Hindi is a unifying language, it doesn't mean it will boss over other regional languages of country, the 3 languages formula is accepted by us all. Even Prime Minister spoke on the floor of the House that all regional languages will be respected pic.twitter.com/hpOF9hP0VM
— ANI (@ANI) September 16, 2019
क्या है विवाद
हिंदी दिवस के अवसर पर अमित शाह ने ट्वीट किया था, ‘भारत विभिन्न भाषाओं का देश है और हर भाषा का अपना महत्व है परन्तु पूरे देश की एक भाषा होना अत्यंत आवश्यक है जो विश्व में भारत की पहचान बने. आज देश को एकता की डोर में बांधने का काम अगर कोई एक भाषा कर सकती है तो वो सर्वाधिक बोली जाने वाली हिंदी भाषा ही है.’
उन्होंने आगे कहा था, ‘आज हिंदी दिवस के अवसर पर मैं देश के सभी नागरिकों से अपील करता हूं कि हम अपनी-अपनी मातृभाषा के प्रयोग को बढ़ाएं और साथ में हिंदी भाषा का भी प्रयोग कर पूज्य बापू और लौह पुरुष सरदार पटेल के देश की एक भाषा के स्वप्न को साकार करने में योगदान दें. हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं.’
बीजेपी के गधों को यह नहीं मालूम की इस देश मे कितनी भाषायें धर्म संस्कृतिया हैं ,सरकार को सबका सम्मान करना पड़ेगा और सबको एक सा भाव देना पड़ेगा ,एक भाषा ,एक धर्म एक सँस्कृति का राग अलापने से देश के इतने टुकड़े होंगे की गिनना मुश्किल हो जाएगा