scorecardresearch
Saturday, 21 December, 2024
होमदेशकफील खान ने कहा- 'डॉ कफील मिश्रा' और 'डॉ कफील कुमार' भी यही काम करते

कफील खान ने कहा- ‘डॉ कफील मिश्रा’ और ‘डॉ कफील कुमार’ भी यही काम करते

डॉ. कफील खान ने जेल से छूटने के कुछ दिन बाद दिप्रिंट को बताया, ‘उन्होंने मुझे नंगा कर नीचे लिटा दिया, लाठी-डंडों से मेरी पिटाई की....मैं कई दिन तक बैठने की स्थिति में नहीं था.’

Text Size:

नई दिल्ली: गोरखपुर के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. कफील खान का मानना है कि उन्हें इस साल सात महीने जेल में इसलिए नहीं बिताने पड़े क्योंकि उन्होंने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ भाषण दिया था बल्कि उन्हें देश की ध्वस्त स्वास्थ्य प्रणाली को ‘उजागर’ करने और यह जवाब मांगने की सजा मिली कि 2017 में बीआरडी मेडिकल कॉलेज ट्रेजडी के लिए कौन जिम्मेदार था. उन्होंने दिप्रिंट से बातचीत में यह बात कही.

डॉ. खान की यह टिप्पणी मथुरा जिला जेल से रिहा होने के पांच दिन बाद आई है. उन्हें दिसंबर 2019 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में नागरिकता संशोधन अधिनियम विरोधी एक कथित भड़काऊ भाषण के लिए 29 जनवरी को गिरफ्तार किया गया था.

गिरफ्तारी के कुछ दिनों बाद फरवरी में उन पर कड़े राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत आरोप लगाए गए. पिछले सप्ताह मामले की सुनवाई करते हुए, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उनके भाषण के ‘चुनींदा हिस्से’ के आधार पर उनकी गिरफ्तारी को ‘गैरकानूनी’ माना.

खान ने दिप्रिंट को दिए एक साक्षात्कार में उन ‘कारणों’ पर बात की कि उन्हें जेल क्यों भेजा गया था. उन्होंने कहा कि देशभर में उनकी तरफ से आयोजित स्वास्थ्य शिविरों में काम करना उनके राष्ट्रवाद को साबित करने के लिए नहीं था.

उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें हिरासत के दौरान कथित तौर पर प्रताड़ित किया गया था और कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने उनके परिवार को राजस्थान भेजने में मदद की. उन्होंने बताया कि वह जल्द ही उत्तर प्रदेश लौटना चाहते हैं.


यह भी पढ़ें: यूपी के लखीमपुर खीरी में मारपीट के बाद पूर्व विधायक की मौत, पुलिस ने बताया जमीन के विवाद में हुई थी मामूली झड़प


गिरफ्तारी के तीन कारण

अपनी गिरफ्तारी के बारे में बात करते हुए खान ने तीन कारण गिनाए जिनकी वजह से उन्हें पिछले सात महीने जेल में बिताने पड़े.

बीआरडी ऑक्सीजन ट्रेजडी मामले में जेल से बाहर आने के बाद से ही खान लगातार यह सवाल उठा रहे थे: ‘असली अपराधी कौन था, किसने उन निर्दोष बच्चों की जान ली?’

खान गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 2017 की घटना के अभियुक्तों में एक थे जिसमें ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी के कारण इंसेफेलाइटिस पीड़ित 63 बच्चों की मौत हो गई थी. योगी आदित्यनाथ सरकार ने इंसेफेलाइटिस वार्ड के प्रभारी होने के नाते और निजी प्रैक्टिस करने के कारण उन पर चिकित्सकीय लापरवाही और भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था.

इन आरोपों के कारण खान को उस समय नौ महीने जेल में बिताने पड़े थे लेकिन बाद में राज्य सरकार की तरफ से कराई गई विभागीय जांच में सितंबर 2019 में उन्हें सभी आरोपों से बरी कर दिया गया. जांच पैनल ने माना कि खान ने बच्चों की जान बचाने के लिए हर संभव प्रयास किए.

हालांकि, कुछ दिन बाद ही यूपी सरकार ने जांच रिपोर्ट पर ‘गलत सूचना’ फैलाने और निलंबन की अवधि के दौरान ‘सरकार विरोधी’ राजनीतिक टिप्पणियां करने के लिए उसके खिलाफ एक नई विभागीय जांच शुरू करा दी.

उन्होंने कहा, ‘जब इलाहाबाद हाई कोर्ट कहता है कि डॉ. कफील कातिल नहीं है और आपकी खुद की आंतरिक जांच कहती है कि डॉ. कफील कातिल नहीं है, तो फिर असली अपराधी कौन है, किसकी वजह से 70 मासूम बच्चों की जान गई? मैं लगातार यह सवाल पूछता रहता हूं और सरकार को यह पसंद नहीं आता है.’

उनके अनुसार दूसरा कारण यह था कि उन्होंने ‘भारत की स्वास्थ्य व्यवस्था को उजागर करना’ शुरू कर दिया था.

खान ने बताया कि पहली बार रिहा होने के बाद जब उन्होंने देशभर में चिकित्सा शिविर आयोजित करना शुरू किया तो महसूस किया कि ‘बीआरडी की घटना सिर्फ पूरी तरह से ध्वस्त स्वास्थ्य प्रणाली का एक क्रूर चेहरा भर थी.’

अंत में खान ने बताया कि गलत सूचना फैलाने को लेकर उनके खिलाफ शुरू की गई दूसरी जांच ने भी उन्हें 23 जनवरी को क्लीन चिट दे दी. उन्होंने कहा, ‘यही वजह है कि 23 जनवरी के बाद मुझे 29 जनवरी को गिरफ्तार कर लिया गया… चूंकि सरकार के पास मेरी बहाली से इनकार करने का कोई अन्य कारण नहीं था इसलिए उन्हें वापस जेल भेजकर ही कुछ हासिल हुआ.’


यह भी पढ़ें: छत्तीसगढ़ के निजी अस्पताल कोरोना के इलाज के लिए ऐंठ रहे थे ज्यादा रकम, बघेल सरकार ने तय किए रेट


‘धर्म की तरह राष्ट्रवाद भी जन्मजात’

खान ने कहा कि पिछले छह-सात वर्षों में लोग धर्म, जाति और सामाजिक-आर्थिक स्थिति के आधार पर इतना ज्यादा बंट चुके हैं कि उन्होंने कुछ भी सोचना-समझना बंद कर दिया है.

उन्होंने कहा कि जब लोगों ने उन्हें एक नायक के रूप में देखना शुरू किया था तो वहां भी उनकी राय बटी हुई थी.

उन्होंने कहा, ‘जब मुसलमान मुझे नायक की तरह देखने लगे तो कई अन्य लोग योगी जी की तरफ थे … उन्होंने यह तक नहीं सोचा कि मैं एक डॉक्टर हूं. यदि डॉ. कफील खान के बजाए डॉ. कफील मिश्रा या कफील कुमार होते तो वो भी यही करते, उन बच्चों को मरने नहीं देते.’

खान ने यह भी कहा कि जब राष्ट्रवाद और देशभक्ति की बात आती है तो मुसलमानों के पास साबित करने के लिए कुछ नहीं होता. उन्होंने कहा, ‘राष्ट्रवाद एक ऐसी चीज है जो आपके जन्म के साथ ही आती है, धर्म की तरह. अगर मैं भारत में पैदा हुआ हूं तो वह भारत देश ही है जिसे मैं सच्चा भारतीय होने के नाते प्यार करूंगा. इसे साबित करने का कोई तरीका नहीं है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘जिस तरह आप अपने धर्म से प्यार करते हैं, उसी तरह आप अपनी ‘भारतीयता’ और अपनी नागरिकता से प्यार करते हैं.’

खान ने बताया कि उन्होंने देशभर में 103 स्वास्थ्य शिविर आयोजित किए, 50 हजार बच्चों का चेकअप किया और मुफ्त दवाइयां बांटीं.

उन्होंने कहा, ‘उन 50,000 बच्चों में मैंने कभी यह अंतर नहीं किया कि कौन हिंदू का बच्चा था या कौन मुसलमान था या कौन अमीर बच्चा था और कौन गरीब था. मैं सबकी जांच कर रहा था. लेकिन मुझे किसी को भी यह साबित नहीं करना था कि मैं ऐसा इसलिए कर रहा हूं क्योंकि मैं एक भारतीय हूं क्योंकि मैं जानता हूं कि देश मेरा है.’


यह भी पढ़ें: यूपी चुनाव 2022 के लिए कांग्रेस की घोषित कमेटियों में जितिन, राज बब्बर का नाम नहीं, सोनिया को पत्र लिखने वालों में थे शामिल


‘हम अब भी अली-बजरंगबली, राम मंदिर पर चर्चा कर रहे’

खान ने यह भी बताया कि भारत कैसे इस समय कई मोर्चों पर ‘बड़ी आपदा’ से जूझ रहा है.

उन्होंने कहा, ‘केवल कोरोनावायरस ही एक समस्या नहीं है. अब तक 70,000 लोग कोरोना से मर चुके हैं लेकिन गैर-कोरोना बीमारियों के कारण 28,000 लोग रोज मर रहे हैं. लॉकडाउन की वजह से तमाम प्रवासियों की मौत हो गई. चीन हमारे देश में घुसपैठ कर रहा है. पाकिस्तान सीमा पर हर दिन कोई न कोई सैनिक शहीद हो रहा है. बेरोजगारी की स्थिति 45-50 साल पहले वाली हो गई है. अर्थव्यवस्था की कमर टूट चुकी है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘रोटी, कपड़ा, मकान, स्वास्थ्य, रोजगार और शिक्षा- आजादी के बाद 72 वर्षों से लोग बस यही छह मांगें कर रहे हैं लेकिन हम इस पर बात नहीं करते हैं. इसके बजाए हम श्मशान-कब्रिस्तान, अली-बजरंगबली, सीएए-एनआरसी, पाकिस्तान, राम मंदिर, तीन तलाक, हलाला के बारे में बात करते हैं. इसलिए हम बुनियादी मुद्दों के बारे में बात नहीं कर रहे.’


यह भी पढ़ें: कांग्रेस से निकाले गए नेताओं ने अब सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखी, कहा- ‘परिवार मोह’ से ऊपर उठकर चलाएं पार्टी


प्रियंका गांधी से मदद पर क्या बोले

खान ने यह भी बताया कि हिरासत के उन्हें किस तरह शारीरिक और मानसिक रूप से ‘प्रताड़ित’ किया गया.

डॉ. खान ने बताया, ‘उन्होंने मुझे नंगा कर नीचे लिटा दिया, लाठी-डंडों से मेरी पिटाई की….मैं कई दिन तक बैठने की स्थिति में नहीं था. कोई खाना नहीं, पानी नहीं, 72 घंटे तक सोने नहीं देते थे… जब मैं उनींदा होता तो अधिकारी मुझ पर पानी डाल देते थे.’

उन्होंने कहा कि जाहिर है कि इस सबसे उनका परिवार सशंकित और चिंतित था. यह बात उन्होंने प्रियंका गांधी से साझा की जिन्होंने तब सुझाव दिया कि वे राजस्थान चले जाएं.

उन्होंने बताया, ‘उसी रात उन्होंने जयपुर में सारी व्यवस्था करा दी… लेकिन मैं कांग्रेस में शामिल नहीं हुआ हूं. प्रियंका ने मेरी जो भी मदद की उसके पीछे कोई राजनीतिक मकसद नहीं था.’

यद्यपि खान ने स्पष्ट किया कि वह किसी भी राजनीतिक दल में शामिल होने की योजना नहीं बना रहे. लेकिन साथ ही जोड़ा, ‘जब कभी हताश हो जाता हूं, तो मुझे लगता है कि सिस्टम इतना खराब हो गया है कि इसे ठीक करने के लिए खुद ही इसका हिस्सा बनना पड़ेगा. इसलिए हो सकता है कि शायद कुछ समय बाद या कुछ सालों के बाद मुझे खुद ही किसी पार्टी में शामिल होने के लिए मजबूर होना पड़े.’

उन्होंने यह भी कहा कि वह यूपी सरकार से अनुरोध करेंगे कि वह उन्हें फिर बहाल करे और कुछ हफ्ते में राजस्थान छोड़ देंगे. वह ‘कोरोना योद्धा’ के रूप में काम करना चाहते हैं.

उन्होंने यह भी कहा, ‘मैं झुका नहीं हूं और मैं उत्तर प्रदेश नहीं छोड़ूंगा…मैं पिछले तीन वर्षों से जारी उत्पीड़न से डरने वाला नहीं हूं जिसे मेरा परिवार झेल रहा है. मैं सच बोलता रहूंगा.’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में रूस के दखल के कारण डेमोक्रेटिक पार्टी को हो सकता है नुकसान: कमला हैरिस


 

share & View comments