नई दिल्ली: भारत में कोविड-19 से संक्रमित मामलों की संख्या 2301 से ज्यादा हो चुकी है जिसमें 56 लोगों की मौत भी हुई है. लेकिन संक्रमित मामलों के वृहद विश्लेषण से खासकर सबसे ज्यादा प्रभावित राज्यों से पता चलता है कि कुछ प्रतिशत संक्रमित व्यक्ति ही गंभीर स्थिति में हैं जिन्हें वेंटिलेटर के सहारे रखा गया है.
दिप्रिंट द्वारा आंकड़ों के विश्लेषण से मालूम चलता है कि ज्यादातर मामले गंभीर नहीं हैं.
आंकड़ें दिखाते हैं कि पांच सबसे ज्यादा प्रभावित राज्यों में 2 अप्रैल तक कोविड-19 के 1,414 संक्रमित मामलों में से केवल आठ यानि की एक प्रतिशत से भी कम व्यक्तियों को वेंटिलेटर पर रखा गया है.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के द्वारा महाराष्ट्र, केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक और दिल्ली से जुटाए गए आंकड़ों से पता चलता है कि दिल्ली में सिर्फ एक मरीज, कर्नाटक में दो, महाराष्ट्र में पांच लोगों को वेंटिलेटर पर रखा गया है. कुल मिलाकर यह सभी मामलों का केवल 0.56 प्रतिशत ही होता है.
जो गंभीर रुप से बीमार होते हैं उन्हें ही वेंटिलेटर की जरूरत पड़ती है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुमानों के अनुसार, चीन में विश्लेषण के आधार पर, अधिकांश रोगियों (80 प्रतिशत) ने हल्की बीमारी का अनुभव किया, जबकि ‘लगभग 14 प्रतिशत गंभीर बीमारी और पांच प्रतिशत अति गंभीर रूप से बीमार थे.’
गंभीर रूप से बीमार रोगियों को वेंटिलेटर की आवश्यकता होती है- एक ऐसा उपकरण जो फेफड़ों से जुड़ा होता है जो सांस लेने में सहायता करता है.
कोविड-19 रोगियों के लिए वेंटिलेटर की आवश्यकता होती है जो तीव्र श्वसन संकट सिंड्रोम विकसित करते हैं जब फेफड़े तरल पदार्थ से भरे होते हैं जो सांस लेने को मुश्किल बनाते हैं.
उद्योग जगत के दिग्गज और हैदराबाद स्थित सीथारा एडप्ट टेक्नोलॉजीज के संस्थापक जूडिश राज ने कहा, ‘जब फेफड़ों द्रव से भर जाता है तो एक वेंटिलेटर का उपयोग किया जाता है. ऐसे रोगियों को सामान्य तरीके से ऑक्सीजन लेने में बहुत मुश्किल होती है. प्रबंधन का एकमात्र तरीका रोगी को वेंटिलेटर सहायता पर रखना है.’
वेंटिलेटर से अतिरिक्त दबाव ऑक्सीजन को रक्तप्रवाह में पंप करता है और फेफड़ों से कार्बन डाइऑक्साइड को बाहर निकालता है.
यह भी पढ़ें: महामारी से लड़ना भीलवाड़ा से सीखा जा सकता है, बीते चार दिनों में नहीं आया कोविड-19 का कोई भी मामला
30 मार्च तक, स्वास्थ्य मंत्रालय ने खुलासा किया था कि कोविड-19 संक्रमण से पीड़ित 20 से कम रोगी कुल 1,296 मामलों में से पूरे देश में वेंटिलेटर पर थे- जो लगभग 1.54 प्रतिशत है.
मंत्रालय ने तब से वेंटिलेटर पर रोगियों की कुल संख्या पर कोलिटेड आंकड़ा जारी नहीं किया है.
इसके अलावा, मंत्रालय ने खुलासा किया कि उसने राज्यों में 14,000 वेंटिलेटर की पहचान की है.
राज्यवार आंकड़े
महाराष्ट्र में कोरोनोवायरस से संक्रमित रोगियों की संख्या सबसे अधिक है. 416 में से 5 रोगियों (1.2 प्रतिशत) को 2 अप्रैल को प्राप्त आंकड़ों के अनुसार वेंटिलेटर की आवश्यकता है.
इसके अलावा 416 रोगियों में से 394 (94 प्रतिशत) में हल्के कोविड-19 लक्षण हैं. इन रोगियों में से छह (1.4 प्रतिशत) गंभीर स्थिति में हैं, लेकिन उन्हें वेंटिलेटर की जरूरत नहीं है और (2.8 प्रतिशत) 12 मरीज ऐसे हैं जिन्हें राज्य ने हल्के तौर पर गंभीर बताया है.
केरल में जहां मरीजों की संख्या देश में दूसरे नंबर पर है. वहां कोई भी मरीज वेंटिलेटर पर नहीं है.
तमिलनाडु में 309 रोगियों में से कोई भी वेंटिलेटर पर नहीं है. स्वास्थ्य सचिव नीला राजेश ने कहा, ‘जो सभी क्वारेंटाइन में हैं, उनका उपचार चल रहा हैं और स्थिर हैं.’
दिल्ली में 293 मामलों में से एक रोगी (0.34 प्रतिशत) वेंटिलेटर पर है और पांच ऑक्सीजन थेरेपी पर हैं.
कर्नाटक में 110 मामलों में से दो (1.8 प्रतिशत) वेंटिलेटर पर हैं जबकि एक मरीज को आईसीयू में भर्ती कराया गया है और ऑक्सीजन थेरेपी चल रही है.
नंबर अच्छे हैं पर अभी राहत महसूस करना जल्दबाज़ी होगी: विशेषज्ञ
डॉ ओम श्रीवास्तव, जसलोक अस्पताल मुम्बई में संक्रामक रोग विशेषज्ञ का कहना है कि चूंकी लोगों में कल क्या होगा इसको लेकर डर हैं इसलिए थोड़ा ज़रुरत से ज्यादा प्रतिक्रिया हो रही है.
श्रीवास्तव कहते है, ‘कितने वेंटिलेटर हैं उससे ज्यादा जरूरी सवाल है कि क्या हमारे पास इन वेंटिलेटर्स को चलाने वाले प्रशिक्षित लोग हैं.
श्रीवास्तव ने कहा, ‘हालांकि ये बात सही है कि किसी भी संक्रमित आबादी के बस एक प्रतिशत को वेंटिलेटर की ज़रूरत है, पर देश को पहले ये जानने की ज़रूरत है कि आखिर जनसंख्या का कितना भाग असल में संक्रमित है.’
उनका कहना था कि ‘भारत अब तक कर्व के मध्य में नहीं पहुंचा है इसलिए हमे पता नहीं है कि ये देश में कितनी तीव्र होगी. हम अमरीका से 6 हफ्तें और इटली से 2 महीने पीछे हैं.’
यह भी पढ़ें: उत्तर पूर्वी दिल्ली हिंसा मामले में राजद से जुड़ा जामिया का छात्र मीरान हैदर गिरफ्तार, पार्टी ने की निंदा
उनका कहना था कि ‘जो भी हो एक स्वास्थ्य ढांचे को तैयार करना अच्छी बात है. ज्यादा से ज्यादा आप पैसे गवायेंगे और उससे कोई फर्क नहीं पड़ता.’
मेदान्ता अस्पताल, गुरुग्राम में संक्रमण रोगों से निपटने की विशेषज्ञ डॉ सुशीला कटारिया कहती हैं कि अभी इस बात से खुश होना कि बहुत कम लोग वेंटिलेटर पर है, बहुत जल्दी है.
उनका कहना है कि ‘भारत में पिछले 2-3 दिनों में जो घटनाएं हुई हैं उससे बिमारों की संख्या में यकायक उछाल आयेगा. जैसे ही संक्रमण की संख्या बढ़ेगी, उसका असर बुज़ुर्गों और दूसरी बिमारियों से ग्रसित लोगों पर होगा और वेंटिलेटर पर पेशेन्ट्स की संख्या बढ़ जायेगी.’ कटारिया ने इटली से आए कोविड-19 मरीज़ों का मेदांता में इलाज किया था.
श्रीवास्तव का कहना है कि उम्र और अन्य बीमारियां ही केवल रिस्क फैक्टर नहीं है जो तय करेंगे कि इस रोग से क्या पेचीदगी होगी. ‘इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता और पाचन क्षमता सही रहें ताकि शरीर इस इंफेक्शन से निपट पाये.’
उनका कहना है ‘जिनका मधुमेह नियंत्रण में नहीं है, जिनका थायरॉयड ठीक नहीं, उच्च रक्तचाप है, वे उन लोगों से ज्यादा खतरें में हैं, जिनका ये सब नियंत्रण में है’.
(रोहिणी स्वामी, अनीशा बेदी औपर हेमा देशपांडे के इनपुट्स के साथ)
(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
नीला राजेश या बीला राजेश।क्या ये धनबाद की उपायुक्त रह चुकी है।