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Saturday, 2 November, 2024
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करतारपुर कॉरिडोर से सिख समुदाय इतना उदासीन क्यों, 12 दिनों में बस 3000 तीर्थयात्री पहुंचे

कांग्रेस और अकाली दल के नेताओं ने पीएम मोदी से 'जटिल प्रक्रिया' को सरल बनाने के लिए कहा है. करतारपुर साहिब जाने के लिए पासपोर्ट और पुलिस सत्यापन अनिवार्य है.

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चंडीगढ़: भारत और पाकिस्तान काफी रस्साकशी के बाद आखिरकार इस बात पर सहमत हो गए कि 5,000 तीर्थयात्रियों को हर दिन करतारपुर कॉरिडोर का उपयोग करने की अनुमति दी जाएगी. लेकिन, इसके खुलने के बाद पहले 12 दिनों में, सीमा पार गुरुद्वारा दरबार साहिब में आगंतुकों की कुल संख्या मुश्किल से 3,000 के पार हो पाई है.

छह किलोमीटर लंबा यह कॉरिडोर भारत के गुरदासपुर जिले के डेरा बाबा नानक को पाकिस्तान के नरोवाल जिले के करतारपुर से जोड़ता है, जो गुरुद्वारा दरबार साहिब का घर है, जहां सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव ने अपने जीवन के अंतिम वर्ष बिताए थे.

सिख समुदाय की एक लंबे समय से चली आ रही मांग को लेकर कॉरिडोर का उद्घाटन 9 नवंबर को दोनों देशों द्वारा किया गया था, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके पाकिस्तानी समकक्ष इमरान खान करतारपुर में डेरा बाबा नानक के उद्घाटन समारोह का हिस्सा थे.

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में एक वीआईपी प्रतिनिधिमंडल ने पहले दिन गुरुद्वारा का दौरा किया था.

इतनी उदासीन प्रतिक्रिया क्यों?

पंजाब के जेल मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने कहा कि संगत (तीर्थयात्रियों) के लिए सबसे बड़ी बाधा करतारपुर आने से पहले की जाने से पहले आने वाली जटिल प्रक्रिया है.

एक तीर्थयात्री को यात्रा करने की अनुमति के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा. आवेदन के लिए पासपोर्ट, आधार और पैन कार्ड का विवरण चाहिए.

चूंकि सत्यापन प्रक्रिया, जिसमें भारत और पाकिस्तान के बीच पत्राचार शामिल है. लगभग 10 दिन लगते हैं, आवेदकों को आवेदन की तारीख के लगभग एक पखवाड़े बाद यात्रा की तारीख दी जाती है.

अमृतसर के निवासी रणबीर सिंह ने कहा, ‘जब हम आवेदन करने की कोशिश करते हैं, तो हमें दिसंबर के पहले सप्ताह में यात्रा की तारीख दिखाई जाती है.’

रंधावा ने कहा कि उन्होंने पीएम मोदी से ‘मामले में व्यक्तिगत हस्तक्षेप करने और प्रक्रिया को सरल बनाने के आदेश जारी करने’ की अपील की थी.

उन्होंने कहा कि ऐसे दिन आए हैं जब सिर्फ 120 लोगों ने गुरुद्वारे का दौरा किया करते थे. उन्होंने कहा, ‘यहां तक ​​कि 9 से 12 नवंबर तक मुफ्त दिनों के रूप में घोषित किए गए दिनों (जब 20 डॉलर का सेवा शुल्क नहीं लगाया गया था) पर भी, गुरुद्वारा जाने वाले व्यक्तियों की संख्या 1,500 से कम थी.’

रंधावा ने कहा कि समस्या पुलिस सत्यापन और अग्रिम रूप से आवेदन करने की थी. यहां तक ​​कि हर तीर्थयात्री के पास वैध पासपोर्ट होना चाहिए, जिसकी पाकिस्तान जांच करता है.’

रंधावा ने कहा, ‘इमरान खान ने उद्घाटन से पहले ट्वीट किया था कि पाकिस्तान पासपोर्ट की शर्त को माफ कर रहा है, लेकिन, ‘जब संगत (तीर्थयात्री) ऑनलाइन फॉर्म भरते हैं तो वे पासपोर्ट का विवरण मांगने वाले कॉलम का सामना करते हैं.

उन्होंने कहा, ‘यह स्पष्ट है कि भारत सरकार उस शर्त को समाप्त नहीं करना चाहती है. संगत के अधिकांश लोग बड़ी उम्र के हैं; उनके पास पासपोर्ट नहीं है लेकिन उन्हें गुरुद्वारे की यात्रा करने की इच्छा है.

रंधावा ने कहा कि पुलिस सत्यापन भी अनावश्यक है. उन्होंने कहा, वाघा सीमा के रास्ते पाकिस्तान जाने वालों को पुलिस सत्यापन की जरूरत नहीं है, इसलिए गलियारे के लिए असकी ज़रूरत क्यों है?

अकाली दल भी सरल प्रक्रिया चाहता है

शिरोमणि अकाली दल (एसएडी), जो पंजाब में विपक्ष में है और केंद्र में सत्तारूढ़ एनडीए का हिस्सा है, ने भी अधिक तीर्थयात्रियों को प्रोत्साहित करने के लिए एक सरल प्रक्रिया के लिए कहा है.

इस सप्ताह के शुरू में पीएम मोदी को लिखे पत्र में, अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने पासपोर्ट क्लॉज और पुलिस सत्यापन प्रक्रिया को हटाने का भी आग्रह किया था.

सुखबीर सिंह बादल ने पत्र में लिखा कि लाखों सिख तीर्थयात्री करतारपुर साहिब की यात्रा करना चाहते थे, लेकिन पासपोर्ट की आवश्यकता से जुड़ी बोझिल प्रक्रिया उनके तीर्थ यात्रा के रास्ते में आ रही थी. बादल ने लिखा है कि करतारपुर साहिब जाने के लिए 5,000 तीर्थयात्रियों के बजाय यह आंकड़ा कुछ सौ लोगों के पास है, जो तीर्थयात्रा पर जाना चाहते हैं पर पासपोर्ट नहीं है.

उन्होंने लिखा कि पासपोर्ट बनाना एक समय लेने वाली और महंगा प्रक्रिया है, जिसमें लगभग 2,000 रुपये प्रति व्यक्ति खर्च होता है. चूंकि भक्तों को परिवार की इकाइयों के रूप में यात्रा करने की संभावना है, यह पासपोर्ट खर्च के रूप में प्रति परिवार 10,000 रुपये का भारी वित्तीय बोझ डालता है और 20 डॉलर के सेवा शुल्क के साथ, कुल लागत प्रति परिवार 20,000 रुपये से अधिक हो जाएगी.

बादल ने सुझाव दिया कि तीर्थयात्रियों को पासपोर्ट के बजाय आधार कार्ड की तरह पहचान प्रमाण देने की अनुमति दी जानी चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि एक मोबाइल ऐप पेश किया जा सकता है और पंजीकरण के लिए विशेष काउंटर बनाए जाए जाने चाहिए.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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1 टिप्पणी

  1. भारत सरकार पासपोर्ट पर अधिक जोर दे रही है जबकि पाकिस्तान सरकार ने इसमें छूट देने का प्रस्ताव दिया था जिसे भारत सरकार के अप्पत्ति के बाद खारिज कर दिया गया जिस कारण अधिकांश लोग जाने में असफल रहें है ,आशा है कि भविष्य में भारत सरकार पासपोर्ट की शर्त को हटाकर यात्रा को सुगम बनाने का प्रयास किया जाएगा

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