नई दिल्ली: मोदी सरकार ने आखिरकार साफ कर दिया है कि वह आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) श्रेणी के तहत 10 फीसदी आरक्षण के अलावा उच्च जाति के उम्मीदवारों को सरकारी नौकरी और शैक्षणिक संस्थानों में तय की परीक्षा के लिए तय की गई उम्र में विशेष छूट दी जाएगी.
पीएमओ में राज्यमंत्री जीतेंद्र सिंह द्वारा सोशल जस्टिस मंत्री थावरचंद गहलोत को पिछले हफ्ते लिखे खत में कहा है कि सरकार अभी ईडब्ल्यूएस कोटा वालों के तय उम्र सीमा में कोई बढ़ोतरी करने के पक्ष में नहीं है.
इस पत्र में सिंह ने कहा है कि ‘एक समूह को आयु में छूट दी जाएगी यदि वह आरक्षण के बावजूद अन्य श्रेणियों की परीक्षा में फेल होता है तब.’
खत में यह भी कहा गया है कि आयु सीमा में दी गई छूट तभी निर्धारित की जाएगी जब आरक्षण पॉलिसी का कुछ प्रभाव पड़ता नजर आएगा, उस विशेष श्रेणी के व्यक्तियों को जिन्हें इसकी आवश्यकता थी. यह भी देखा जाएगा कि इसका फायदा आरक्षित सेवाओं / पदों में शामिल किया जा रहा है या नहीं.
‘इस साल के शुरू में जब से मोदी सरकार ने इडब्ल्यूएस के लोगों के लिए आरक्षण की घोषणा की थी तब यह बात फैली थी कि नौकरी की तलाश कर रहे लोगों की आयु सीमा में भी छूट देनी चाहिए. खासकर उन परीक्षाओं में जिसमें आयु सीमा तय है.’
गहलोत ने सिंह को पिछले महीने खत लिखकर इस कैटगरी में आने वाले लोगों की आयु सीमा में छूट के बारे में पूछा था और इस श्रेणी के लिए उम्र में छूट देने की मांग की थी. दिप्रिंट ने उस समय भी यह खबर की थी जिसमें उसमें यह कहा था कि सरकार की मांगों पर ध्यान देने की संभावना दिखाई नहीं दे रही है क्योंकि सरकार यह मानती है कि आयु में छूट और अन्य आयु लाभ आरक्षित वर्ग को दिए जाने चाहिए यदि कोटा स्वयं समुदाय के लिए पर्याप्त प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने में विफल रहता है.
सिंह ने अब गहलोत को खत लिखकर इसकी सूचना दे दी है.
सरकारी अधिकारी ने यह बातें बताते हुए कहा, एससी\एसटी समुदाय को स्वतंत्रता से पहले से आरक्षण दिया जा रहा हैलेकिन उन्हें दूसरे फायदे 1952 के बाद दिए गए. उसी तरह ओबीसी समुदाय को भी 1993 में आरक्षण दिया गया और उन्हें आयु सीमा में छूट 1995 में दी गई.
सूत्र ने कहा कि आरक्षण अकेले इन समूहों को प्रतिनिधित्व प्राप्त करने में मदद नहीं कर सकता था और यह स्थापित होने के बाद ही किया गया था लेकिन इडब्ल्यूएस समुदाय के लिए यह संभावना नहीं है.
मोदी सरकार की इडब्ल्यूएस कैटगरी के लोगों के लिए सरकारी नौकरी और शिक्षा के क्षेत्र में दिए जाने की 10 फीसदी आरक्षण की घोषणा लोकसभा चुनाव से पहले मास्टर स्ट्रोक थी जिसका फायदा लोकसभा चुनाव में भी मिला.
यह आरक्षण साल में 8 लाख सालाना आय वालों, या फिर जिनकी खेती लायक जमीन पांच एकड़ से कम है या फिर जिनका घर 1000 स्क्वायर फीट के अंदर बना है और जिनकी भूमि घर नगरनिगम क्षेत्र में 100 यार्ड तक है और गैर नगर निगम क्षेत्र वाले इलाके में 200 यार्ड का क्षेत्र है.
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